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कमलेश तिवारी की पत्नी को जिहादियों ने फिर दी हत्या की चेतावनी, उर्दू में भेजा पत्र, अब तक नहीं मिल सका न्याय

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Published : Jul 1, 2022, 5:05 PM IST

Updated : Jul 1, 2022, 7:30 PM IST

18 अक्टूबर, साल 2019 को लखनऊ में हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या भी कन्हैया लाल की तरह की गई थी. ईटीवी भारत ने शुक्रवार को कमलेश तिवारी की पत्नी किरण कमलेश तिवारी से खास बातचीत की.

कमलेश तिवारी
कमलेश तिवारी

लखनऊ : 18 अक्टूबर, साल 2019 को लखनऊ में हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या हुई थी. उनकी भी हत्या ठीक वैसे ही की गई थी जैसे उदयपुर में कन्हैया लाल को जेहादी मानसिकता के लोगों ने मौत के घाट उतारा. कमलेश तिवारी की हत्या के तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन उनके परिवार को आज तक न्याय की एक किरण भी नजर नहीं आई है. वहीं पिछले दिनों कमलेश तिवारी की पत्नी किरण कमलेश तिवारी को हत्या की धमकी मिली है. किरण को यह चेतावनी गुजरात से भेजे गये एक पत्र के माध्यम से दी गई है. पत्र उर्दू में लिखा हुआ है.

कमलेश तिवारी की हत्या का केस अब तक निचली अदालत में ही चल रहा है. आरोपितों की गुहार पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज कोर्ट को केस ट्रांसफर कर दिया है. मुख्य साजिशकर्ता के गिरफ्तार ना होने की वजह से यह केस निर्णय की स्थिति में नहीं पहुंच पा रहा है. ना ही इस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में डाला गया है. जिसके चलते कमलेश तिवारी के परिवार की पीड़ा असहनीय हो चुकी है. उस पर जान से मारने की एक और चेतावनी ने परिवार के डर को और बढ़ा दिया. उदयपुर में हुई हत्या के बाद कमलेश तिवारी के परिवार की सुरक्षा जरूर बढ़ा दी गई है. सीसीटीवी कैमरे खराब हैं जो कि पुलिस द्वारा सही नहीं करवाए जा रहे हैं. कमलेश तिवारी के पुत्र को हाईकोर्ट के आदेश के एक महीना बीतने के बावजूद अब तक नौकरी नहीं दी गई है.

बातचीत करते संवाददाता ऋषि मिश्रा
उर्दू में लिखा पत्र
उर्दू में लिखा पत्र


कमलेश तिवारी की पत्नी किरण कमलेश तिवारी से ईटीवी भारत ने जब खास बातचीत की तो उन्होंने अपना दर्द बयान किया अतीत के पन्ने खोलते हुए किरण ने बताया कि 18 अक्टूबर 2019 का दिन था, जब करवा चौथ के अगले दिन हत्यारे उनके घर उनके पति से मिलने आए थे. उन्होंने दही बड़े तक खिलाए थे. इसके बाद वह कुछ देर पलंग पर लेटी और अचानक उनकी आंख लग गई. जब आंख खुली तो शोरशराबा सुना और तब पता चला कि उनके पति की हत्या करके जेहादी फरार हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि हत्या होने के बाद राज्य सरकार की ओर से तमाम आश्वासन दिए गए थे. वह आश्वासन पूरे नहीं हुये. सरकार ने 15 लाख रुपए का मुआवजा दिया था. उसी के सहारे उनका परिवार आज तक चल रहा है. बेटे को नौकरी नहीं मिली. इस संबंध में वह हाईकोर्ट गईं. हाईकोर्ट ने पिछले महीने निर्णय सुनाया है. इसमें सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह दो महीने के भीतर उनके बेटे की नौकरी पर अपना निर्णय सुनाये. हमने इस संबंध में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात की. उनको अपना प्रार्थना पत्र भी दिया है, लेकिन वहां से भी अब तक कोई जवाब नहीं आया है.

कमलेश तिवारी की पत्नी किरण कमलेश तिवारी
कमलेश तिवारी की पत्नी किरण कमलेश तिवारी

किरण तिवारी ने बताया कि पिछले दिनों उनको एक और पत्र मिला है जो कि गुजरात के जिहादियों ने भेजा है. जिसमें उन्होंने उर्दू में उनको मौत के घाट उतारने की चेतावनी दी है. पुलिस ने अब उनकी सुरक्षा बढ़ाई है, जब उदयपुर में यह कांड हो गया. इससे पहले केवल 2 सिपाही उनके परिवार की सुरक्षा में लगे थे. इसके अलावा उनके घर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे में से अधिकांश खराब हो चुके हैं. केवल दो कैमरे चल रहे हैं. उसमें भी रिकॉर्डिंग की सुविधा नहीं है. डीवीआर भी काम नहीं कर रहा है.

ये भी पढ़ें : उत्तर प्रदेश में जल्द बनेगी स्किल यूनिवर्सिटी, बढ़ेंगे रोजगार के अवसर: कपिल देव अग्रवाल

उनका आरोप है कि पुलिस भी इस दिशा में काम बेहतर नहीं कर रही है. उनके पति के हत्यारों में से मुख्य साजिशकर्ता को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. जिसकी वजह से हमारा केस आगे नहीं बढ़ रहा है और सजा नहीं हो पा रही है. आरोपितों ने गुहार लगाई और सुप्रीम कोर्ट ने हमारे केस को प्रयागराज में ट्रांसफर कर दिया है. मैं एक महिला हूं और अपने खर्चे पर लखनऊ से प्रयागराज आती जाती हूं. जिसमें मुझे बहुत कष्ट हो रहा है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

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लखनऊ : 18 अक्टूबर, साल 2019 को लखनऊ में हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या हुई थी. उनकी भी हत्या ठीक वैसे ही की गई थी जैसे उदयपुर में कन्हैया लाल को जेहादी मानसिकता के लोगों ने मौत के घाट उतारा. कमलेश तिवारी की हत्या के तीन साल बीत चुके हैं, लेकिन उनके परिवार को आज तक न्याय की एक किरण भी नजर नहीं आई है. वहीं पिछले दिनों कमलेश तिवारी की पत्नी किरण कमलेश तिवारी को हत्या की धमकी मिली है. किरण को यह चेतावनी गुजरात से भेजे गये एक पत्र के माध्यम से दी गई है. पत्र उर्दू में लिखा हुआ है.

कमलेश तिवारी की हत्या का केस अब तक निचली अदालत में ही चल रहा है. आरोपितों की गुहार पर सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज कोर्ट को केस ट्रांसफर कर दिया है. मुख्य साजिशकर्ता के गिरफ्तार ना होने की वजह से यह केस निर्णय की स्थिति में नहीं पहुंच पा रहा है. ना ही इस को फास्ट ट्रैक कोर्ट में डाला गया है. जिसके चलते कमलेश तिवारी के परिवार की पीड़ा असहनीय हो चुकी है. उस पर जान से मारने की एक और चेतावनी ने परिवार के डर को और बढ़ा दिया. उदयपुर में हुई हत्या के बाद कमलेश तिवारी के परिवार की सुरक्षा जरूर बढ़ा दी गई है. सीसीटीवी कैमरे खराब हैं जो कि पुलिस द्वारा सही नहीं करवाए जा रहे हैं. कमलेश तिवारी के पुत्र को हाईकोर्ट के आदेश के एक महीना बीतने के बावजूद अब तक नौकरी नहीं दी गई है.

बातचीत करते संवाददाता ऋषि मिश्रा
उर्दू में लिखा पत्र
उर्दू में लिखा पत्र


कमलेश तिवारी की पत्नी किरण कमलेश तिवारी से ईटीवी भारत ने जब खास बातचीत की तो उन्होंने अपना दर्द बयान किया अतीत के पन्ने खोलते हुए किरण ने बताया कि 18 अक्टूबर 2019 का दिन था, जब करवा चौथ के अगले दिन हत्यारे उनके घर उनके पति से मिलने आए थे. उन्होंने दही बड़े तक खिलाए थे. इसके बाद वह कुछ देर पलंग पर लेटी और अचानक उनकी आंख लग गई. जब आंख खुली तो शोरशराबा सुना और तब पता चला कि उनके पति की हत्या करके जेहादी फरार हो चुके हैं. उन्होंने बताया कि हत्या होने के बाद राज्य सरकार की ओर से तमाम आश्वासन दिए गए थे. वह आश्वासन पूरे नहीं हुये. सरकार ने 15 लाख रुपए का मुआवजा दिया था. उसी के सहारे उनका परिवार आज तक चल रहा है. बेटे को नौकरी नहीं मिली. इस संबंध में वह हाईकोर्ट गईं. हाईकोर्ट ने पिछले महीने निर्णय सुनाया है. इसमें सरकार को निर्देश दिया गया है कि वह दो महीने के भीतर उनके बेटे की नौकरी पर अपना निर्णय सुनाये. हमने इस संबंध में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य से मुलाकात की. उनको अपना प्रार्थना पत्र भी दिया है, लेकिन वहां से भी अब तक कोई जवाब नहीं आया है.

कमलेश तिवारी की पत्नी किरण कमलेश तिवारी
कमलेश तिवारी की पत्नी किरण कमलेश तिवारी

किरण तिवारी ने बताया कि पिछले दिनों उनको एक और पत्र मिला है जो कि गुजरात के जिहादियों ने भेजा है. जिसमें उन्होंने उर्दू में उनको मौत के घाट उतारने की चेतावनी दी है. पुलिस ने अब उनकी सुरक्षा बढ़ाई है, जब उदयपुर में यह कांड हो गया. इससे पहले केवल 2 सिपाही उनके परिवार की सुरक्षा में लगे थे. इसके अलावा उनके घर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरे में से अधिकांश खराब हो चुके हैं. केवल दो कैमरे चल रहे हैं. उसमें भी रिकॉर्डिंग की सुविधा नहीं है. डीवीआर भी काम नहीं कर रहा है.

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उनका आरोप है कि पुलिस भी इस दिशा में काम बेहतर नहीं कर रही है. उनके पति के हत्यारों में से मुख्य साजिशकर्ता को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. जिसकी वजह से हमारा केस आगे नहीं बढ़ रहा है और सजा नहीं हो पा रही है. आरोपितों ने गुहार लगाई और सुप्रीम कोर्ट ने हमारे केस को प्रयागराज में ट्रांसफर कर दिया है. मैं एक महिला हूं और अपने खर्चे पर लखनऊ से प्रयागराज आती जाती हूं. जिसमें मुझे बहुत कष्ट हो रहा है. सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए.

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Last Updated : Jul 1, 2022, 7:30 PM IST
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