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बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं को लेकर दिये निर्देश, अधिकारियों को सौंपी जिम्मेदारी - पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन

उत्तर प्रदेश में बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सभी डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. इसके लिये अवर अभियंता, उपखंड अधिकारी और अधिशासी अभियंता को जिम्मेदारी सौंपी गई है.

शक्ति भवन
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Published : Aug 2, 2022, 7:52 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पावर काॅरपोरेशन प्रबन्धन की तरफ से सभी डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. इनमें अवर अभियंता, उपखंड अधिकारी और अधिशासी अभियंता को जिम्मेदारी भी सौंपी गई है. पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन ने विद्युत पोलों को सीधा करने और मानक से कम ऊंचाई पर लटकते तारों को सैगिंग रखने का कार्य युद्ध स्तर पर कराए जाने के निर्देश जारी किए हैं.


पावर काॅरपोरेशन के चैयरमैन एम देवराज की तरफ से जारी निर्देशों में कहा गया है कि ग्रामीण एवं शहरी अंचलों में जो रोड क्रॉसिंग है, वहां हर वर्ष सड़क मरम्मत के बाद सड़क की ऊंचाई बढ़ जाती है. जिससे 33 केवी/11 केवी एलटी लाइन का जमीन से क्लीयरेंस कम होता जाता है. इन सड़कों से जब बड़ी ऊंचाई के ट्रक या बस लाइनों के नीचे से गुजरते हैं तो उनमें कम क्लीयरेंस होने के कारण तार छू जाता है और बड़ी दुर्घटनाएं हो जाती हैं. रोड क्रॉसिंग पर दोनों ओर जहां जरूरी हो 11 मीटर पोल लगाकर क्रॉसिंग की ग्राउंड क्लीयरेंस बढ़ा दें और संबंधित खंडों के अवर अभियंताओं से सर्टिफिकेट लें कि अब खतरनाक क्राॅसिंग उनके क्षेत्र में नहीं रह गई है. इन क्रॉसिंग की जाली से गार्डिंग भी सुनिश्चित कराई जाए. नहर की पटरी के किनारे जो बिजली लाइनें बनी हैं उन पर भी मिट्टी के पटान के कारण ग्राउंड क्लीयरेंस कम हो जाता है और वहां भी कई बार जब वाहन गुजरते हैं तो बिजली लाइनें दुर्घटना का कारण बनती हैं. ऐसी लाइनें जहां क्लीयरेंस की समस्या है, उन्हें या तो ऊंचे खंभों से रिप्लेस कर दिया जाए या उन लाइनों को विस्थापित कर दिया जाए.

आदर्श रूप में इस पूरे तंत्र को वायर मेस फेसिंग से घिरा होना चाहिए, लेकिन कई जगह या तो जाली नहीं है या जालियां टूटी हुई हैं. इन टूटी हुई जालियों के कारण आए दिन बच्चे खेलते-खेलते एलटी डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स ट्रांसफार्मर के संपर्क में आने पर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं. यही नहीं जानवर भी इसका शिकार होते हैं. अभियान चलाकर वायर मेस फेंसिंग से उन्हें घेरा जाए और जहां यह जालियां टूटी हुई हैं उनकी मरम्मत कराई जाए. स्टे वायर को भी दुरुस्त किया जाए. फील्ड के अधिकारियों को इस बारे में सचेत कर दें और अवर अभियंताओं से इस आशय का प्रमाण पत्र लें कि उनके क्षेत्र में लगे स्टे वायर में इंसुलेटर लगाकर उसे दुर्घटना रहित बना दिया गया है. ग्रामीण अंचलों में शिकायतें मिल रही हैं कि जर्जर तार टूट कर गिर जाते हैं, जिसके संपर्क में कोई वाहन, इंसान या फिर जानवर आ जाते हैं. कहीं-कहीं स्वयं घटना का कारण यही जर्जर तार बनते हैं. सब स्टेशनों से निकलने वाले 11 केवी फीडरों की ट्रिपिंग को दिखवा लें. सुनिश्चित करें कि दुर्घटनाग्रस्त होने पर या किसी प्रकार के व्यवधान आने पर ट्रिप अवश्य हो जाए, जिससे जनहानि रोकी जा सके.


एलटी लाइन का मुख्य दायित्व लाइनमैन और अवर अभियंता का होगा. उपखंड अधिकारी इसका पर्यवेक्षण करेंगे और अधिशासी अभियंता वितरण नियंत्रण स्थापित करेंगे. 11 केवी लाइन और ट्रांसफार्मरों की भी जिम्मेदारी लाइन कार्मिक और जेई की होगी. उपखंड अधिकारी सुपर विजन करेंगे और अधिशासी अभियंता (वितरण) नियंत्रण स्थापित करेंगे. 33 केवी उपकेन्द्र में टीजी2 एसएसओ और अवर अभियंता का मुख्य दायित्व होगा.

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उपखंड अधिकारी सुपर विजन करेंगे और अनुरक्षण अधिशासी अभियंता (वितरण, परीक्षण, अवर अभियंता, सहायक अभियंता मीटर) नियंत्रण स्थापित करेंगे. 33 केवी लाइन की जिम्मेदारी अवर अभियंता और उपखंड अधिकारी मिलकर निभाएंगे. अधिशासी अभियंता वितरण सुपर विजन करेंगे और अधीक्षण अभियंता वितरण का नियंत्रण होगा.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में बिजली से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पावर काॅरपोरेशन प्रबन्धन की तरफ से सभी डिस्कॉम के प्रबंध निदेशकों को दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं. इनमें अवर अभियंता, उपखंड अधिकारी और अधिशासी अभियंता को जिम्मेदारी भी सौंपी गई है. पावर काॅरपोरेशन प्रबंधन ने विद्युत पोलों को सीधा करने और मानक से कम ऊंचाई पर लटकते तारों को सैगिंग रखने का कार्य युद्ध स्तर पर कराए जाने के निर्देश जारी किए हैं.


पावर काॅरपोरेशन के चैयरमैन एम देवराज की तरफ से जारी निर्देशों में कहा गया है कि ग्रामीण एवं शहरी अंचलों में जो रोड क्रॉसिंग है, वहां हर वर्ष सड़क मरम्मत के बाद सड़क की ऊंचाई बढ़ जाती है. जिससे 33 केवी/11 केवी एलटी लाइन का जमीन से क्लीयरेंस कम होता जाता है. इन सड़कों से जब बड़ी ऊंचाई के ट्रक या बस लाइनों के नीचे से गुजरते हैं तो उनमें कम क्लीयरेंस होने के कारण तार छू जाता है और बड़ी दुर्घटनाएं हो जाती हैं. रोड क्रॉसिंग पर दोनों ओर जहां जरूरी हो 11 मीटर पोल लगाकर क्रॉसिंग की ग्राउंड क्लीयरेंस बढ़ा दें और संबंधित खंडों के अवर अभियंताओं से सर्टिफिकेट लें कि अब खतरनाक क्राॅसिंग उनके क्षेत्र में नहीं रह गई है. इन क्रॉसिंग की जाली से गार्डिंग भी सुनिश्चित कराई जाए. नहर की पटरी के किनारे जो बिजली लाइनें बनी हैं उन पर भी मिट्टी के पटान के कारण ग्राउंड क्लीयरेंस कम हो जाता है और वहां भी कई बार जब वाहन गुजरते हैं तो बिजली लाइनें दुर्घटना का कारण बनती हैं. ऐसी लाइनें जहां क्लीयरेंस की समस्या है, उन्हें या तो ऊंचे खंभों से रिप्लेस कर दिया जाए या उन लाइनों को विस्थापित कर दिया जाए.

आदर्श रूप में इस पूरे तंत्र को वायर मेस फेसिंग से घिरा होना चाहिए, लेकिन कई जगह या तो जाली नहीं है या जालियां टूटी हुई हैं. इन टूटी हुई जालियों के कारण आए दिन बच्चे खेलते-खेलते एलटी डिस्ट्रीब्यूशन बॉक्स ट्रांसफार्मर के संपर्क में आने पर दुर्घटनाग्रस्त हो जाते हैं. यही नहीं जानवर भी इसका शिकार होते हैं. अभियान चलाकर वायर मेस फेंसिंग से उन्हें घेरा जाए और जहां यह जालियां टूटी हुई हैं उनकी मरम्मत कराई जाए. स्टे वायर को भी दुरुस्त किया जाए. फील्ड के अधिकारियों को इस बारे में सचेत कर दें और अवर अभियंताओं से इस आशय का प्रमाण पत्र लें कि उनके क्षेत्र में लगे स्टे वायर में इंसुलेटर लगाकर उसे दुर्घटना रहित बना दिया गया है. ग्रामीण अंचलों में शिकायतें मिल रही हैं कि जर्जर तार टूट कर गिर जाते हैं, जिसके संपर्क में कोई वाहन, इंसान या फिर जानवर आ जाते हैं. कहीं-कहीं स्वयं घटना का कारण यही जर्जर तार बनते हैं. सब स्टेशनों से निकलने वाले 11 केवी फीडरों की ट्रिपिंग को दिखवा लें. सुनिश्चित करें कि दुर्घटनाग्रस्त होने पर या किसी प्रकार के व्यवधान आने पर ट्रिप अवश्य हो जाए, जिससे जनहानि रोकी जा सके.


एलटी लाइन का मुख्य दायित्व लाइनमैन और अवर अभियंता का होगा. उपखंड अधिकारी इसका पर्यवेक्षण करेंगे और अधिशासी अभियंता वितरण नियंत्रण स्थापित करेंगे. 11 केवी लाइन और ट्रांसफार्मरों की भी जिम्मेदारी लाइन कार्मिक और जेई की होगी. उपखंड अधिकारी सुपर विजन करेंगे और अधिशासी अभियंता (वितरण) नियंत्रण स्थापित करेंगे. 33 केवी उपकेन्द्र में टीजी2 एसएसओ और अवर अभियंता का मुख्य दायित्व होगा.

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