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कौशल विकास मिशन में 3 लाख का था टारगेट 1.70 लाख युवाओं को ही मिला प्रशिक्षण

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Published : Aug 4, 2022, 7:26 PM IST

उत्तर प्रदेश में कौशल विकास मिशन को लेकर बड़ा मामला सामने आया है. युवाओं को प्रशिक्षण देकर प्लेसमेंट का वादा करने वाली संस्थाएं काम नहीं कर पा रही हैं. मिशन प्रशासन की तरफ से अब इन सभी संस्थाओं पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में कौशल विकास मिशन को लेकर बड़ा मामला सामने आया है. युवाओं को प्रशिक्षण देकर प्लेसमेंट का वादा करने वाली संस्थाएं प्रशिक्षित नहीं कर पा रही हैं. आलम यह है कि पिछले साल 3 लाख के टारगेट के मुकाबले सिर्फ 1.70 लाख युवाओं को ही प्रशिक्षण दिया गया. मिशन प्रशासन की तरफ से अब इन सभी संस्थाओं पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के निदेशक आंद्रा वामसी ने बताया कि 1.30 लाख के प्रशिक्षण का टारगेट अधूरा रह गया था. इसका टॉपअप कर दिया गया है. संस्थाओं को प्रशिक्षण कराने के लिए कहा गया है. 40 प्रतिशत से कम परफॉर्मेंस देने वाली संस्थाओं को चिन्हित किया गया है. कुछ के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि कुछ ऐसी कुछ संस्थाओं को भी चिन्हित किया गया है, जिनकी परफॉर्मेंस 10 प्रतिशत से भी कम है. इनके खिलाफ भी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई.

जानकारी देते मिशन के निदेशक आंद्रा वामसी

उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के अंतर्गत 14 से 35 आयु वर्ग के युवाओं को उनके पसंदीदा ट्रेड में प्रशिक्षित किए जाने की व्यवस्था की जाती है. उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन, प्राइवेट फाइनेंस के साथ मिलकर प्रदेश भर के अलग-अलग जिलों में प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन किया जाता है. इनकी तरफ से संसाधन मुहैया कराए जाते हैं. प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल संचालन कर युवाओं को प्लेसमेंट तक उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी निजी संस्था की होती है. उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के अंतर्गत की गई जांच में निजी संस्थाओं के स्तर पर गड़बड़ी और लापरवाही की शिकायतें सामने आई हैं. जानकारों की मानें तो बड़े स्तर पर ऐसी संस्थाएं संचालित करने का खुलासा हुआ जो स्वयं प्रशिक्षण नहीं कराती थीं. इनके द्वारा अन्य संस्थाओं के माध्यम से यह कार्य कराया जा रहा था. जिसके चलते गड़बड़ी की शिकायतें लगातार सामने आईं.


बीते दिनों उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के अलीगंज स्थित कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने खुद निजी संस्थाओं के स्तर पर लापरवाही की बात को स्वीकार किया है. उन्होंने बताया कि कुल 38 संस्थाओं को फ्लैक्सी प्राइवेट पार्टनर के तौर पर जोड़ा गया था. इसमें अभी तक की जानकारी के मुताबिक, 14 सक्रिय हैं. उन्होंने कहा कि कई बड़ी संस्थाएं लगातार कौशल विकास मिशन से जुड़ने के लिए तैयार खड़ी हैं. निष्क्रिय संस्थाओं को हटाकर उन्हें जोड़ा जाएगा. इस मिशन की ओर से प्रदेश में इस समय 1216 प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाएं जुड़ी हैं. विभिन्न जिलों से आई रिपोर्ट के अनुसार, 750 संस्थाओं ने निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 40 प्रतिशत से कम युवाओं को प्रशिक्षण दिया है.

इसे भी पढ़ें : लखनऊ: स्कूलों के बाहर जाम खत्म करने की यह है प्लानिंग, दिशा-निर्देश जारी

मिशन निदेशक आन्द्रा वामसी ने कहा कि परफॉर्म ना करने वाली संस्थाओं को आगे काम नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 10 प्रतिशत से कम काम करने वाली संस्थाओं की संख्या करीब 85 रही है. उन्होंने कहा कि बेहतर गुणवत्ता के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी दिशा में अब 20 प्रतिशत से कम आउटपुट देने वाली संस्थाओं को भी आने वाले समय में हटा दिया जाएगा.

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश में कौशल विकास मिशन को लेकर बड़ा मामला सामने आया है. युवाओं को प्रशिक्षण देकर प्लेसमेंट का वादा करने वाली संस्थाएं प्रशिक्षित नहीं कर पा रही हैं. आलम यह है कि पिछले साल 3 लाख के टारगेट के मुकाबले सिर्फ 1.70 लाख युवाओं को ही प्रशिक्षण दिया गया. मिशन प्रशासन की तरफ से अब इन सभी संस्थाओं पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है.

उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के निदेशक आंद्रा वामसी ने बताया कि 1.30 लाख के प्रशिक्षण का टारगेट अधूरा रह गया था. इसका टॉपअप कर दिया गया है. संस्थाओं को प्रशिक्षण कराने के लिए कहा गया है. 40 प्रतिशत से कम परफॉर्मेंस देने वाली संस्थाओं को चिन्हित किया गया है. कुछ के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि कुछ ऐसी कुछ संस्थाओं को भी चिन्हित किया गया है, जिनकी परफॉर्मेंस 10 प्रतिशत से भी कम है. इनके खिलाफ भी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू की गई.

जानकारी देते मिशन के निदेशक आंद्रा वामसी

उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के अंतर्गत 14 से 35 आयु वर्ग के युवाओं को उनके पसंदीदा ट्रेड में प्रशिक्षित किए जाने की व्यवस्था की जाती है. उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन, प्राइवेट फाइनेंस के साथ मिलकर प्रदेश भर के अलग-अलग जिलों में प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन किया जाता है. इनकी तरफ से संसाधन मुहैया कराए जाते हैं. प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल संचालन कर युवाओं को प्लेसमेंट तक उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी निजी संस्था की होती है. उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के अंतर्गत की गई जांच में निजी संस्थाओं के स्तर पर गड़बड़ी और लापरवाही की शिकायतें सामने आई हैं. जानकारों की मानें तो बड़े स्तर पर ऐसी संस्थाएं संचालित करने का खुलासा हुआ जो स्वयं प्रशिक्षण नहीं कराती थीं. इनके द्वारा अन्य संस्थाओं के माध्यम से यह कार्य कराया जा रहा था. जिसके चलते गड़बड़ी की शिकायतें लगातार सामने आईं.


बीते दिनों उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन के अलीगंज स्थित कार्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) कपिल देव अग्रवाल ने खुद निजी संस्थाओं के स्तर पर लापरवाही की बात को स्वीकार किया है. उन्होंने बताया कि कुल 38 संस्थाओं को फ्लैक्सी प्राइवेट पार्टनर के तौर पर जोड़ा गया था. इसमें अभी तक की जानकारी के मुताबिक, 14 सक्रिय हैं. उन्होंने कहा कि कई बड़ी संस्थाएं लगातार कौशल विकास मिशन से जुड़ने के लिए तैयार खड़ी हैं. निष्क्रिय संस्थाओं को हटाकर उन्हें जोड़ा जाएगा. इस मिशन की ओर से प्रदेश में इस समय 1216 प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाएं जुड़ी हैं. विभिन्न जिलों से आई रिपोर्ट के अनुसार, 750 संस्थाओं ने निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 40 प्रतिशत से कम युवाओं को प्रशिक्षण दिया है.

इसे भी पढ़ें : लखनऊ: स्कूलों के बाहर जाम खत्म करने की यह है प्लानिंग, दिशा-निर्देश जारी

मिशन निदेशक आन्द्रा वामसी ने कहा कि परफॉर्म ना करने वाली संस्थाओं को आगे काम नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 10 प्रतिशत से कम काम करने वाली संस्थाओं की संख्या करीब 85 रही है. उन्होंने कहा कि बेहतर गुणवत्ता के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं. इसी दिशा में अब 20 प्रतिशत से कम आउटपुट देने वाली संस्थाओं को भी आने वाले समय में हटा दिया जाएगा.

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