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हाथरस कांड: पीड़ित परिवार ने नोएडा में मांगी नौकरी, कहा-हाथरस में महसूस होती है असुरक्षा - नोएडा में दी जाए नौकरी

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष हाथरस कांड की पीड़िता के परिवार ने न्याय मित्र के माध्यम से कोर्ट ने कहा है कि हाथरस में उन्हें असुरक्षा व अलग-थलग कर दिया जाना महसूस होता है.

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हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Apr 4, 2022, 10:33 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष हाथरस कांड की पीड़िता के परिवार ने न्याय मित्र ने कहा है कि हाथरस में उन्हें असुरक्षा व अलग-थलग कर दिया जाना महसूस होता है. उन्होंने अनुरोध किया कि ऐसी स्थिति को देखते हुए, पीड़िता के बड़े भाई को नोएडा में नौकरी दी जाए. वहीं, न्यायालय ने पीड़िता के परिवार को नियमों के तहत लाभ दिए जाने के प्रश्न पर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है. मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने हाथरस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर ‘गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार’ शीर्षक से दर्ज जनहित याचिका पर पारित किया है. सुनवाई के दौरान मामले में न्याय मित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर ने न्यायालय को बताया कि पीड़िता के पिता, भाई व भाभी ने उनसे सम्पर्क कर बताया कि सरकार के द्वारा हाथरस में नौकरी या घर दिए जाने पर उन्होंने वहां असुरक्षा महसूस होने के कारण अनिच्छा जाहिर की थी.

नोएडा में उनके परिवार व रिश्तेदारी के लोग हैं. वे वहीं जाना चाहते हैं. उन्होंने अनुरोध किया कि यदि भाई को नोएडा में सरकारी नौकरी दी जाती है तो पिता को भी वहां प्राइवेट नौकरी मिलने में आसानी होगी. सुनवाई के पश्चात न्यायालय एससी-एसटी एक्ट व एससी-एसटी रूल्स के तहत पीड़िता के परिवार को लाभ दिए जाने के प्रश्न पर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है.

वहीं, सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल पूरक प्रति शपथ पत्र को भी रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि इस शपथ पत्र के अनुसार प्रदेश में अब तक एससी-एसटी रूल्स की धारा 15 के तहत आकस्मिता योजना नहीं बनाई गई है. उक्त योजना के तहत पीड़ित अथवा पीड़ित के आश्रितों को सरकार द्वारा राहत प्रदान करने का प्रावधान है.

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लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के समक्ष हाथरस कांड की पीड़िता के परिवार ने न्याय मित्र ने कहा है कि हाथरस में उन्हें असुरक्षा व अलग-थलग कर दिया जाना महसूस होता है. उन्होंने अनुरोध किया कि ऐसी स्थिति को देखते हुए, पीड़िता के बड़े भाई को नोएडा में नौकरी दी जाए. वहीं, न्यायालय ने पीड़िता के परिवार को नियमों के तहत लाभ दिए जाने के प्रश्न पर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है. मामले की अगली सुनवाई 28 अप्रैल को होगी.

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की खंडपीठ ने हाथरस मामले में स्वतः संज्ञान लेकर ‘गरिमापूर्ण ढंग से अंतिम संस्कार’ शीर्षक से दर्ज जनहित याचिका पर पारित किया है. सुनवाई के दौरान मामले में न्याय मित्र नियुक्त किए गए वरिष्ठ अधिवक्ता जेएन माथुर ने न्यायालय को बताया कि पीड़िता के पिता, भाई व भाभी ने उनसे सम्पर्क कर बताया कि सरकार के द्वारा हाथरस में नौकरी या घर दिए जाने पर उन्होंने वहां असुरक्षा महसूस होने के कारण अनिच्छा जाहिर की थी.

नोएडा में उनके परिवार व रिश्तेदारी के लोग हैं. वे वहीं जाना चाहते हैं. उन्होंने अनुरोध किया कि यदि भाई को नोएडा में सरकारी नौकरी दी जाती है तो पिता को भी वहां प्राइवेट नौकरी मिलने में आसानी होगी. सुनवाई के पश्चात न्यायालय एससी-एसटी एक्ट व एससी-एसटी रूल्स के तहत पीड़िता के परिवार को लाभ दिए जाने के प्रश्न पर अपना आदेश सुरक्षित कर लिया है.

वहीं, सुनवाई के दौरान न्यायालय ने राज्य सरकार की ओर से दाखिल पूरक प्रति शपथ पत्र को भी रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि इस शपथ पत्र के अनुसार प्रदेश में अब तक एससी-एसटी रूल्स की धारा 15 के तहत आकस्मिता योजना नहीं बनाई गई है. उक्त योजना के तहत पीड़ित अथवा पीड़ित के आश्रितों को सरकार द्वारा राहत प्रदान करने का प्रावधान है.

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