लखनऊ: बिना नक्शा पास कराए या फिर नक्शे के विपरीत निर्माण करके नेताओं, नौकरशाहों, माफियाओं का काला पैसा जमकर खपाया गया. इस वजह से शहरों का ढांचा बिगड़ रहा है, लेकिन अंकुश लगाना किसी सरकार में संभव नहीं हो पाया. भारतीय जनता पार्टी की वर्तमान सरकार में मुख्तार अंसारी, अतीक अहमद, दाउद अहमद, इकबाल और ऐसे ही कुछ अन्य माफियाओं के अवैध निर्माण और अवैध कब्जों पर कार्रवाई की गई. अन्य अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई न के बराबर हुई नजर आती है. लखनऊ विकास प्राधिकरण (Lucknow Development Authority) और आवास विकास परिषद (Awas Vikas Parishad) सभी इस पर मूकदर्शक बने हुए हैं.
अवैध निर्माण की वजह से मुख्य रूप से शहरों की नियोजन पर बुरा असर पड़ता है. मास्टर प्लान के मुताबिक शहर की ढांचागत व्यवस्था जैसे जल निकासी, सीवरेज सिस्टम, बिजली व्यवस्था, सड़क और जलापूर्ति की व्यवस्था की जाती है. अवैध निर्माण में इन सारी ढांचागत सुविधाओं पर जबरदस्त असर पड़ता है. जितनी व्यवस्था सरकार की ओर से की जाती है, उससे कहीं अधिक दबाव इंतजामों पर पड़ जाता है. इसकी वजह से पूरा सिस्टम ध्वस्त होता हुआ नजर आता है. यही उत्तर प्रदेश में हो रहा है. बारिश के कारण होने वाला जलभराव, बिजली की समस्या, पानी की किल्लत और खराब सड़कों के पीछे कहीं न कहीं अवैध निर्माणों भी उत्तरदायी हैं.
आवास विकास परिषद, जिला पंचायत और विकास पदाधिकारियों के अभियंताओं और अधिकारियों की मदद से बिल्डर अवैध निर्माण आसानी से करवा रहे हैं. सुविधा शुल्क के जरिए बिना नक्शा बनवाए या नक्शा बनवा कर भी उसके विपरीत निर्माण किया जाता है. इसके बदले में अभियंताओं की मुट्ठी गर्म की जाती है. इस वजह से कागजों में नोटिस काटकर जमीन पर कार्रवाई न के बराबर होती है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता आनंद दुबे ने इस बारे में बताया कि जैसे ही हमारी सरकार बनी थी. हमने अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरू कर दी थी. अनेक माफियाओं की संपत्ति जब्त की गई और ध्वस्त भी हुईं. अगर कहीं कोई कमी रह गई तो हमारी सरकार में अभी और कार्रवाई होगी.
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उत्तर प्रदेश में अवैध निर्माण 2008 के बाद बढ़ना शुरू हुआ. केवल लखनऊ में करीब 5,000 अवैध निर्माणों पर प्रवर्तन का केस चल रहा है. उत्तर प्रदेश में करीब 50,000 अवैध निर्माण अधिसूचित हैं. अवैध निर्माण करके बनाई गई करीब 2,000 करोड़ रुपए की संपत्ति पिछले 5 साल में भाजपा सरकार ने जब्त की या ध्वस्त की. उत्तर प्रदेश में करीब दो हजार अभियंताओं को अवैध निर्माण रोकने की जिम्मेदारी दी गई. इसके बावजूद आंकड़ा यह है. लखनऊ में गोमती नगर, अलीगंज, महानगर, निरालानगर, विकास नगर, रिंग रोड, हजरतगंज और कानपुर रोड पर सबसे ज्यादा अवैध निर्माण है.
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