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बेसिक विद्यालय में बिना किताबों के पढ़ रहे बच्चे, देखिए क्या है राजधानी में सरकारी शिक्षा का हाल

सरकारी स्कूलों में शिक्षा का मजाक बनाया जा रहा है. बीते 4 महीने से स्कूल चल रहे हैं, लेकिन अभी तक एक भी बच्चे को सरकार द्वारा दी जाने वाली निशुल्क किताब नहीं मिल पाई है. जिम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा है कि अभी तक यह किताबें निराला नगर स्थित विद्यालय परिसर में रखी हुई हैं.

बेसिक शिक्षा विभाग
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Published : Aug 2, 2022, 6:52 PM IST

लखनऊ : प्रदेश सरकार की नाक के नीचे राजधानी में ही सरकारी स्कूलों में शिक्षा का मजाक बनाया जा रहा है. बीते 4 महीने से स्कूल चल रहे हैं, लेकिन अभी तक एक भी बच्चे को सरकार द्वारा दी जाने वाली निशुल्क किताब नहीं मिल पाई है. जबकि, करीब 20 दिन पहले लखनऊ जिले में बच्चों के लिए बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से किताबें भेजी जा चुकी हैं. जिम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा है कि अभी तक यह किताबें निराला नगर स्थित विद्यालय परिसर में रखी हुई हैं.


राजधानी में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों की संख्या करीब 1619 है. यहां करीब 2 लाख बच्चे पढ़ते हैं. इन बच्चों को सत्र 2022-23 की पढ़ाई के लिए सरकार की तरफ से निशुल्क किताबें उपलब्ध कराई जानी हैं. इस सत्र की शुरुआत अप्रैल के महीने में की जा चुकी है. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, कुल करीब 18 लाख किताबों की जरूरत है जो इन बच्चों को उपलब्ध कराई जाएंगी. इसमें से अभी तक सिर्फ 4 लाख किताबें राजधानी पहुंची हैं. इनका भी वितरण शुरू नहीं हो पाया.

जानकारी देते संवाददाता आशीष त्रिपाठी




जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण छात्रों को नुकसान कम से कम हो इसके लिए विद्यालयों के स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसे में कुछ विद्यालयों में पिछली क्लास के छात्रों की किताबें रखवाई गई हैं. उन्हीं से पढ़ाई करवाई जा रही है. नरही के बेसिक विद्यालय में एक किताब से दो-दो, तीन-तीन बच्चे पढ़ते हुए मिले. इसी तरह जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के पीछे बने बेसिक विद्यालय जवाहर नगर की प्रिंसिपल अजरा खातून ने बताया कि उन्होंने भी अपने पुराने बच्चों की किताबें रखवाई थीं, उन्हीं किताबों से अब पढ़ाई कराई जा रही है.

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि किताबों को स्कूल तक पहुंचाने के लिए ढुलाई का टेंडर हो चुका है. जल्द ही किताबों के वितरण की प्रक्रिया शुरू होगी. सत्र 2022-23 में सरकारी स्कूलों के बच्चों को निशुल्क किताबें उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में शासन के स्तर पर ही देरी की गई थी.

इसे भी पढ़ें : नशा देकर महिला मित्र की बनाई न्यूड वीडियो क्लिप, दोबारा मिलने न आने पर कर दी वायरल

शिक्षकों का कहना है कि जून के महीने में किताबों की छपाई का टेंडर किया गया. ऐसे में किताबों के बच्चों तक पहुंचने में 4 से 5 महीने लगना लाजमी है.

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लखनऊ : प्रदेश सरकार की नाक के नीचे राजधानी में ही सरकारी स्कूलों में शिक्षा का मजाक बनाया जा रहा है. बीते 4 महीने से स्कूल चल रहे हैं, लेकिन अभी तक एक भी बच्चे को सरकार द्वारा दी जाने वाली निशुल्क किताब नहीं मिल पाई है. जबकि, करीब 20 दिन पहले लखनऊ जिले में बच्चों के लिए बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से किताबें भेजी जा चुकी हैं. जिम्मेदारों की लापरवाही का नतीजा है कि अभी तक यह किताबें निराला नगर स्थित विद्यालय परिसर में रखी हुई हैं.


राजधानी में बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों की संख्या करीब 1619 है. यहां करीब 2 लाख बच्चे पढ़ते हैं. इन बच्चों को सत्र 2022-23 की पढ़ाई के लिए सरकार की तरफ से निशुल्क किताबें उपलब्ध कराई जानी हैं. इस सत्र की शुरुआत अप्रैल के महीने में की जा चुकी है. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक, कुल करीब 18 लाख किताबों की जरूरत है जो इन बच्चों को उपलब्ध कराई जाएंगी. इसमें से अभी तक सिर्फ 4 लाख किताबें राजधानी पहुंची हैं. इनका भी वितरण शुरू नहीं हो पाया.

जानकारी देते संवाददाता आशीष त्रिपाठी




जिम्मेदारों की लापरवाही के कारण छात्रों को नुकसान कम से कम हो इसके लिए विद्यालयों के स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसे में कुछ विद्यालयों में पिछली क्लास के छात्रों की किताबें रखवाई गई हैं. उन्हीं से पढ़ाई करवाई जा रही है. नरही के बेसिक विद्यालय में एक किताब से दो-दो, तीन-तीन बच्चे पढ़ते हुए मिले. इसी तरह जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के पीछे बने बेसिक विद्यालय जवाहर नगर की प्रिंसिपल अजरा खातून ने बताया कि उन्होंने भी अपने पुराने बच्चों की किताबें रखवाई थीं, उन्हीं किताबों से अब पढ़ाई कराई जा रही है.

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अरुण कुमार ने बताया कि किताबों को स्कूल तक पहुंचाने के लिए ढुलाई का टेंडर हो चुका है. जल्द ही किताबों के वितरण की प्रक्रिया शुरू होगी. सत्र 2022-23 में सरकारी स्कूलों के बच्चों को निशुल्क किताबें उपलब्ध कराने की प्रक्रिया में शासन के स्तर पर ही देरी की गई थी.

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शिक्षकों का कहना है कि जून के महीने में किताबों की छपाई का टेंडर किया गया. ऐसे में किताबों के बच्चों तक पहुंचने में 4 से 5 महीने लगना लाजमी है.

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