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छह साल में करोड़ों के दो प्रोजेक्ट नहीं हुए पूरे, गोमती का प्रदूषण जस का तस

पिछले छह साल में गोमती के प्रदूषण को रोकने के लिए दो बड़ी परियोजना शुरू की थी, मगर अब तक ये योजना पूरी नहीं हो सकी है. इसलिए अब तक गोमती का प्रदूषण (Gomti pollution) जस का तस बना हुआ है.

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Published : Oct 4, 2022, 2:52 PM IST

Updated : Oct 4, 2022, 3:29 PM IST

लखनऊ : पिछले छह साल में गोमती के प्रदूषण (Gomti pollution) को रोकने के लिए दो बड़ी परियोजना शुरू की थी, मगर अब तक ये योजना पूरी नहीं हो सकी है. इसलिए अब तक गोमती का प्रदूषण (Gomti pollution) जस का तस बना हुआ है. हैदर कैनाल पर एसटीपी और कुकरैल नाला योजना अब तक जमीन पर नहीं उतरी.

गोमती नदी लखनऊ की लाइफ लाइन है. इस नदी को साफ कराने के नाम पर हजारों करोड़ रुपये बर्बाद हो चुके हैं. बावजूद नदी की सेहत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है. नदी का पानी गंदा और बदबूदार है. झूलेलाल पार्क घाट के पास खड़ा होना तक मुश्किल है. नदी में कूड़ा बह रहा है. करीब 27 छोटे-बड़े नालों से हर रोज सैकड़ों मीट्रिक टन जहर गोमती में घोला जा रहा है. किसी तरह पानी ट्रीटमेंट करके लखनऊ के एक बड़े इलाके की प्यास बुझाई जा रही है. गोमती में अभी 33 में से करीब 17 नाले गिर रहे हैं. इन नालों से 323 एमएलडी सीवर नदी में गिरता है. पिपराघाट के पास तो स्थिति और भी ज्यादा खराब है. उन्होंने बताया कि पिपराघाट और दो घाट के बीच में नालों से सीवर सीधे-सीधे गोमती में गिर रहा है. 1984 में गोमती नदी को साफ कराने के लिए विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी.

जानकारी देते संवाददाता ऋषि मिश्र




लखनऊ में स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना की ओर से बीते चार साल से गोमती नदी की सफाई का अभियान चलाया जा रहा है. स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना के रिद्धि किशोर गौड़ ने बताया कि इस समय गोमती नदी बहुत बुरी तरह से प्रदूषित है. एनजीटी की रिपोर्ट के मुताबिक, गोमती नदी का पानी का इस्तेमाल करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. उन्होंने बताया कि स्वच्छ पर्यावरण सेना की तरफ से बीते 4 वर्षों से गोमती नदी को लेकर सफाई अभियान प्रत्येक शनिवार चलाया जा रहा है. करीब 100 लोग नदी की तलहटी तक उतरकर सफाई करते हैं. पिछली सरकारों में नदी के सफाई के नाम पर करोड़ों का घोटाला किया गया. वर्तमान सरकार की तरफ से काम शुरू किया गया है. यह स्वागत योग्य कदम है. रणजीत सिंह ने कहा कि गोमती को साफ करने के लिए नालों को रोकने की जरूरत है, वहीं तलहटी में जमे कचरे को हटाने को लेकर काम किया जाना चाहिए. समाजवादी पार्टी की सरकार में गोमती के किनारे को खूबसूरत बनाने के लिए गोमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट शुरू किया गया. 2016 में शुरू हुई इस परियोजना में करीब 1427 करोड़ रुपए खर्च भी हो गए. कोई नतीजा नहीं निकला. वहीं बीएसपी की सरकार में गोमती नदी संरक्षण समिति बनाई गई थी. उसका भी कोई लाभ नहीं मिला.

यह भी पढ़ें : दूध लेने के लिए हुई कहासुनी में हुआ खूनीं संघर्ष, एक-दूसरे पर फेंका तेजाब

नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा का कहना है कि गोमती प्रदूषण को लेकर सरकार बहुत गंभीर है. निश्चित तौर पर बहुत जल्द ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा और गोमती को प्रदूषण मुक्त करवाया जाएगा. सरकार इस पर गंभीरता से काम कर रही है.

यह भी पढ़ें : भदोही अग्निकांड से सीएम योगी चिंतित, पूजा पंडालों में सुरक्षा मानकों के पालन के दिए निर्देश

लखनऊ : पिछले छह साल में गोमती के प्रदूषण (Gomti pollution) को रोकने के लिए दो बड़ी परियोजना शुरू की थी, मगर अब तक ये योजना पूरी नहीं हो सकी है. इसलिए अब तक गोमती का प्रदूषण (Gomti pollution) जस का तस बना हुआ है. हैदर कैनाल पर एसटीपी और कुकरैल नाला योजना अब तक जमीन पर नहीं उतरी.

गोमती नदी लखनऊ की लाइफ लाइन है. इस नदी को साफ कराने के नाम पर हजारों करोड़ रुपये बर्बाद हो चुके हैं. बावजूद नदी की सेहत दिन पर दिन बिगड़ती जा रही है. नदी का पानी गंदा और बदबूदार है. झूलेलाल पार्क घाट के पास खड़ा होना तक मुश्किल है. नदी में कूड़ा बह रहा है. करीब 27 छोटे-बड़े नालों से हर रोज सैकड़ों मीट्रिक टन जहर गोमती में घोला जा रहा है. किसी तरह पानी ट्रीटमेंट करके लखनऊ के एक बड़े इलाके की प्यास बुझाई जा रही है. गोमती में अभी 33 में से करीब 17 नाले गिर रहे हैं. इन नालों से 323 एमएलडी सीवर नदी में गिरता है. पिपराघाट के पास तो स्थिति और भी ज्यादा खराब है. उन्होंने बताया कि पिपराघाट और दो घाट के बीच में नालों से सीवर सीधे-सीधे गोमती में गिर रहा है. 1984 में गोमती नदी को साफ कराने के लिए विशेष कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी.

जानकारी देते संवाददाता ऋषि मिश्र




लखनऊ में स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना की ओर से बीते चार साल से गोमती नदी की सफाई का अभियान चलाया जा रहा है. स्वच्छ पर्यावरण आंदोलन सेना के रिद्धि किशोर गौड़ ने बताया कि इस समय गोमती नदी बहुत बुरी तरह से प्रदूषित है. एनजीटी की रिपोर्ट के मुताबिक, गोमती नदी का पानी का इस्तेमाल करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. उन्होंने बताया कि स्वच्छ पर्यावरण सेना की तरफ से बीते 4 वर्षों से गोमती नदी को लेकर सफाई अभियान प्रत्येक शनिवार चलाया जा रहा है. करीब 100 लोग नदी की तलहटी तक उतरकर सफाई करते हैं. पिछली सरकारों में नदी के सफाई के नाम पर करोड़ों का घोटाला किया गया. वर्तमान सरकार की तरफ से काम शुरू किया गया है. यह स्वागत योग्य कदम है. रणजीत सिंह ने कहा कि गोमती को साफ करने के लिए नालों को रोकने की जरूरत है, वहीं तलहटी में जमे कचरे को हटाने को लेकर काम किया जाना चाहिए. समाजवादी पार्टी की सरकार में गोमती के किनारे को खूबसूरत बनाने के लिए गोमती रिवरफ्रंट प्रोजेक्ट शुरू किया गया. 2016 में शुरू हुई इस परियोजना में करीब 1427 करोड़ रुपए खर्च भी हो गए. कोई नतीजा नहीं निकला. वहीं बीएसपी की सरकार में गोमती नदी संरक्षण समिति बनाई गई थी. उसका भी कोई लाभ नहीं मिला.

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नगर विकास मंत्री अरविंद कुमार शर्मा का कहना है कि गोमती प्रदूषण को लेकर सरकार बहुत गंभीर है. निश्चित तौर पर बहुत जल्द ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट के प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा और गोमती को प्रदूषण मुक्त करवाया जाएगा. सरकार इस पर गंभीरता से काम कर रही है.

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Last Updated : Oct 4, 2022, 3:29 PM IST
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