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समय से इलाज न किया जाए तो घातक हो सकता है क्षय रोग : डॉ. एमबी सिंह

क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ. एमबी सिंह ने बताया कि एक व्यक्ति के शरीर के अलग-अलग हिस्से में टीबी की बीमारी होती है. इनके कई प्रकार होते हैं.

क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ. एमबी सिंह
क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ. एमबी सिंह
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Published : Jul 6, 2022, 8:19 PM IST

लखनऊ : क्षय रोग (टीबी) एक संक्रामक रोग है. यह जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस के कारण होता है. आमतौर पर यह फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन कुछ ऐसे मामले हैं जहां यह रीढ़ और मस्तिष्क को भी प्रभावित कर रहा है. क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ. एमबी सिंह ने बताया कि एक व्यक्ति के शरीर के अलग-अलग हिस्से में टीबी की बीमारी होती है. इनके कई प्रकार होते हैं. अगर समय से इलाज न किया जाए तो यह घातक हो सकता है. उन्होंने बताया कि हजरतगंज स्थित सिविल अस्पताल में रोजाना 10 से 15 टीबी के मरीज अस्पताल की ओपीडी में आते हैं.

ऐसे फैलता है क्षयरोग : सिविल अस्पताल के वरिष्ठ क्षयरोग विशेषज्ञ ने बताया कि इससे पीड़ित मरीज जब छींकता है, खांसता है, हंसता है या थूकता है तो हवा में टीबी के कीटाणु फैलते हैं. कीटाणुओं के साथ हवा में सांस लेने वाला कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है. इसके बैक्टीरिया लगभग हमेशा फेफड़ों में पाए जाते हैं.

जानकारी देती संवाददाता अपर्णा शुक्ला




क्षयरोग के प्रकार : अव्यक्त क्षयरोग में व्यक्ति में बैक्टीरिया होते हैं, लेकिन किसी भी लक्षण को प्रदर्शित नहीं करते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रतिरक्षा संक्रमण से लड़ती है और इसे एक हद तक दबाने में सक्षम है. गुप्त तपेदिक से पीड़ित व्यक्ति बीमारी को दूसरों तक नहीं पहुंचा सकते हैं. हालांकि, उनके जीवन के किसी बिंदु पर बैक्टीरिया दोबारा सक्रिय हो सकते हैं और संक्रमण सक्रिय क्षयरोग बन सकता है.

ये भी पढ़ें : लखनऊ में डायरिया का प्रकोप बढ़ा, बच्ची सहित 2 की मौत, 50 से ज्यादा बीमार

क्षयरोग के शुरुआती लक्षण : बुखार, खांसी जो तीन या अधिक सप्ताह तक रहती है, खूनी खांसी, सीने में दर्द, सांस लेने या खांसने के साथ दर्द, वजन कम होना, थकान, बुखार, रात को पसीना, ठंड लगना, भूख में कमी, सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, सूजी हुई लसीका ग्रंथी

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लखनऊ : क्षय रोग (टीबी) एक संक्रामक रोग है. यह जीवाणु माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस के कारण होता है. आमतौर पर यह फेफड़ों को प्रभावित करता है, लेकिन कुछ ऐसे मामले हैं जहां यह रीढ़ और मस्तिष्क को भी प्रभावित कर रहा है. क्षय रोग विशेषज्ञ डॉ. एमबी सिंह ने बताया कि एक व्यक्ति के शरीर के अलग-अलग हिस्से में टीबी की बीमारी होती है. इनके कई प्रकार होते हैं. अगर समय से इलाज न किया जाए तो यह घातक हो सकता है. उन्होंने बताया कि हजरतगंज स्थित सिविल अस्पताल में रोजाना 10 से 15 टीबी के मरीज अस्पताल की ओपीडी में आते हैं.

ऐसे फैलता है क्षयरोग : सिविल अस्पताल के वरिष्ठ क्षयरोग विशेषज्ञ ने बताया कि इससे पीड़ित मरीज जब छींकता है, खांसता है, हंसता है या थूकता है तो हवा में टीबी के कीटाणु फैलते हैं. कीटाणुओं के साथ हवा में सांस लेने वाला कोई भी व्यक्ति संक्रमित हो सकता है. इसके बैक्टीरिया लगभग हमेशा फेफड़ों में पाए जाते हैं.

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क्षयरोग के प्रकार : अव्यक्त क्षयरोग में व्यक्ति में बैक्टीरिया होते हैं, लेकिन किसी भी लक्षण को प्रदर्शित नहीं करते हैं. ऐसा इसलिए है क्योंकि प्रतिरक्षा संक्रमण से लड़ती है और इसे एक हद तक दबाने में सक्षम है. गुप्त तपेदिक से पीड़ित व्यक्ति बीमारी को दूसरों तक नहीं पहुंचा सकते हैं. हालांकि, उनके जीवन के किसी बिंदु पर बैक्टीरिया दोबारा सक्रिय हो सकते हैं और संक्रमण सक्रिय क्षयरोग बन सकता है.

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क्षयरोग के शुरुआती लक्षण : बुखार, खांसी जो तीन या अधिक सप्ताह तक रहती है, खूनी खांसी, सीने में दर्द, सांस लेने या खांसने के साथ दर्द, वजन कम होना, थकान, बुखार, रात को पसीना, ठंड लगना, भूख में कमी, सीने में दर्द, सांस लेने में कठिनाई, सूजी हुई लसीका ग्रंथी

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