लखनऊ: अगर समय रहते यूपी में केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए Revised Model Fire Service Bill 2019 को लागू कर दिया गया होता. इस एक्ट में फायर सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति से लेकर बिल्डिंग के मालिकों के खिलाफ की जाने वाली कार्रवाई तक तमाम प्रमुख फैसले थे. इनके लागू होने से फायर फाइटिंग के समय मदद तो मिलती ही, साथ ही बिल्डिंग मालिक भी कार्रवाई के डर से फायर सेफ्टी का खासा ध्यान रखते.
हर हाल में रखना होगा फायर सेफ्टी ऑफिसर: डीआईजी फायर सर्विस आकाश कुलहरि के मुताबिक, होटल लेवाना में आग लगने की सूचना मिलने पर जब फायर फाइटर मौके पर पहुंचे, तो उस वक़्त उन्हें उस होटल के फ्लोर प्लान से लेकर वर्तमान परिस्थिति के विषय में कुछ भी पता नहीं था. यहां तक होटल से जुड़ा एक भी कर्मचारी ने न ही होटल में रह रहे लोगों को बचाने का प्रयास किया और न ही मौके पर मौजूद मिले थे. ऐसी ही समस्या से बचने के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाये गए 'मॉडल बिल' में फायर सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति को जरूरी बताया गया है.
यूपी में फायर सेफ्टी बिल लागू होने पर हर होटल, स्कूल, कॉलेज या अस्पताल जैसे व्यवसायिक संस्थानों को फायर विभाग द्वारा दी गयी नोटिस के एक महीने के अंदर एक 'फायर सेफ्टी ऑफिसर' की नियुक्ति करनी होगी. इस ऑफिसर की फायर सर्विस डिपार्टमेंट बाकायदा ट्रेनिंग करवाएगा. इस ऑफिसर की नियुक्ति का लाभ यह होगा कि आग लगने की स्थिति में फायर सेफ्टी ऑफिसर के पास फ्लोर प्लान, मास्टर चाभी व आग लगने की स्थिति में लोगों को सकुशल बाहर निकालने की क्षमता होगी. यही नहीं अगर संस्थान 30 दिन के अंदर फायर सेफ्टी ऑफिसर नहीं नियुक्त करता है तो भारी जुर्माना ठोका जाएगा. डीआईजी फायर सर्विस के मुताबिक यूपी में लगभग 40 हजार फायर सेफ्टी ऑफिसर की आवश्यकता है.
'फायर एक्ट' के तहत होगी कार्रवाई: केंद्र सरकार के द्वारा बनाये गए बिल को राज्यों में 'स्टेट फायर सर्विस एंड इमेरजेंसी एक्ट' कहा जायेगा. अब तक बिल्डिंग में आग लगने के बाद हुई जान माल नुकसान के चलते मालिकों पर IPC एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हो कर कार्रवाई होती है, लेकिन राज्य में अगर ये लागू होता है तो फायर सर्विस एक्ट के तहत उन पर कार्रवाई की जाएगी. यही नहीं जिस व्यक्ति को संस्थान में आग लगने के कारण जो भी जान-माल की हानि होगी उसका पूरा मुआवजा मालिक को ही देना होगा.
साल में दो बार लेनी होगी फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट: होटल लेवाना में आग लगने के बाद डीआईजी फायर सर्विस आकाश कुलहरि की जांच में सामने आया था कि होटल प्रबंधन ने साल 2017 से अब तक एक बार भी फायर ऑडिट नहीं करवाया था. जिस कारण यह पता नहीं चल सका था कि बिल्डिंग में फायर सेफ्टी उपकरणों की वर्तमान स्थितियां क्या थी. केंद्र सरकार के फायर सेफ्टी के लिए बनाए गए मॉडल बिल-2019 के लागू होने पर संस्थान को फायर सर्विस ऑफिसर से फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लेना होगा.
इसके लिए साल में दो बार जनवरी व जुलाई माह में फायर सर्विस से पंजीकृत एक स्वतंत्र एजेंसी से बिल्डिंग में लगे फायर सेफ्टी उपकरणों को चेक करने के साथ वेंटिलेशन व बिल्डिंग कक स्थितियों की जांच करेगी और फायर डिपार्टमेंट को सौंपी जाएगी. अगर संस्थान की ओर से फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट नहीं दिया जाएगा उसका लाइसेंस रद्द करने की कार्रवाई की जाएगी.
थर्ड पार्टी से ट्रेनिंग करने के लिए हो सकेगा एग्रीमेंट: इस एक्ट (fire safety bill in up) के लागू होने पर फायर सर्विस डिपार्टमेंट आधुनिक ट्रेनिंग लेने के लिए थर्ड पार्टी अग्रीमेंट करने के लिए स्वतंत्र हो जाएगी. इसके लिए एनडीआरएफ, एसडीआरएफ जैसी एजेंसियों से फायर सर्विस के जावनों मो ट्रेनिंग दिलाई जा सकेगी. जिससे अत्याधुनिक तकनीकियों से और कैसे आपातकाल की स्थिति में काम किया का सके यह सीखें.
3 माह पहले शासन को फायर सर्विस ने भेजा है ड्राफ्ट: साल 2019 में केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को इस बिल के फायदों के विषय में विस्तार से जानकारी दी थी. इसके बाद दिल्ली, तेलंगाना समेत करीब 6 राज्यों ने इसे अपने-अपने राज्यों में लागू कर दिया गया है. हालांकि यूपी में अब तक इसे अमली-जामा नहीं पहनाया जा सका है. ऐसे में 3 महीने पहले फायर सर्विस मुख्यालय की ओर से शासन को एक ड्राफ्ट भेज कर इस मॉडल बिल को लागू करने के लियूए सिफारिश की थी.
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