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सौभाग्य योजना में दिए गए फर्जी कनेक्शन, कर्मचारियों ने टारगेट पूरा करने के लिए किया ये काम

प्रदेश में हर घर बिजली पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2017 में सौभाग्य योजना की शुरुआत की थी. 'ईटीवी भारत' की पड़ताल में इस योजना में फर्जीवाड़ा सामने आया है.

सौभाग्य योजना
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Published : Jul 21, 2022, 6:33 PM IST

लखनऊ : प्रदेश में हर घर बिजली पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2017 में सौभाग्य योजना की शुरुआत की थी. इसके तहत गरीब परिवारों को मुफ्त कनेक्शन दिए जाने थे, लेकिन जिन कंपनियों को कनेक्शन देने का ठेका दिया गया था उन कंपनियों के कर्मचारियों ने टारगेट पूरा करने के लिए फर्जी कनेक्शन दे डाले. एक ही घर के पते पर कई कनेक्शन चढ़ा दिये गए. इस तरह एक करोड़ 41 लाख कनेक्शन सौभाग्य योजना के तहत जारी होने का दावा कर दिया गया, लेकिन हकीकत यही है कि कंपनियों ने सौभाग्य योजना में खेल कर दिया. अभी भी ग्रामीण इलाकों में सौभाग्य योजना के तहत जो कनेक्शन दिए गए हैं वहां पर कागजी कार्रवाई तक पूरी नहीं की गई. 'ईटीवी भारत' ने जब पड़ताल की तो फर्जीवाड़ा सामने आया. जिन उपभोक्ताओं का कनेक्शन सौभाग्य योजना में दर्ज है दरअसल, उनका कनेक्शन पहले ही हो चुका था, उपभोक्ता ने बाकायदा इसके लिए कीमत भी चुकाई थी.


लखनऊ के जैतीखेड़ा स्थित सहोवा इलाके में कमला देवी के नाम से सौभाग्य योजना में कनेक्शन दर्ज है. 'ईटीवी भारत' ने जब उपभोक्ता कमलादेवी से फोन पर बात की तो खुलासा हुआ कि सौभाग्य योजना जब शुरू भी नहीं हुई थी उसके पहले ही कनेक्शन हो गया था. बाकायदा इसके लिए उपभोक्ता ने 1800 रुपए भी चुकाए थे, लेकिन पहले से जारी कनेक्शन को भी कंपनियों के कर्मचारियों ने सौभाग्य योजना की सूची में चढ़ा दिया. इसी तरह कई उपभोक्ताओं के जो नाम सौभाग्य योजना में डाल दिए गए उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क ही नहीं हो रहा है. अपनी तरफ से ही फर्जी मोबाइल नंबर चढ़ाकर सौभाग्य योजना में दर्ज कर दिया गया. ग्रामीण इलाकों में कंपनियों ने सौभाग्य योजना में खूब खेल किया.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय

उपभोक्ता कमला देवी की तरह ही रेखा नाम से भी एक कनेक्शन जारी किया गया. इस कनेक्शन को भी सौभाग्य योजना में रखा गया है. उपभोक्ता से बात की गई तो स्वीकार भी किया कि सौभाग्य योजना के तहत कनेक्शन दिया गया. हालांकि मीटर और केबल कंपनी को ही देना था, लेकिन केबल के ₹200 उपभोक्ता से वसूल लिए गए. इतना ही नहीं कंपनी की तरफ से कनेक्शन के एवज में न तो उपभोक्ता को मीटर की रसीद उपलब्ध कराई गई और न ही कनेक्शन के पेपर. आज तक उपभोक्ता इस वजह से बिल जमा ही नहीं कर पा रहा है. कई बार उपकेंद्र के चक्कर काटे यह बताने के लिए कि बिल आ ही नहीं रहा है, लेकिन अधिकारियों ने कोई ध्यान ही नहीं दिया. सीधा सा मतलब है कि कहीं न कहीं दाल में काला जरूर है. सवाल है कि जब सौभाग्य योजना के तहत कनेक्शन दिया गया तो मीटर फीड क्यों नहीं किया गया, जबकि सौभाग्य योजना की सूची में कनेक्शन दर्ज कर लिया गया.



बिजली विभाग के जानकार बताते हैं कि जिन कंपनियों को सौभाग्य योजना के तहत कनेक्शन का ठेका दिया गया था उन्हें एक कनेक्शन के एवज में ₹5000 का भुगतान किया गया. कंपनी को कनेक्शन करने के एवज में उपभोक्ता से एक भी रुपया वसूलना नहीं था. मीटर और केबल दोनों कंपनी को ही लगाने थे, लेकिन तमाम जगह से ऐसी शिकायतें आईं कि उपभोक्ता से सौभाग्य योजना में भी वसूली कर ली गई. गौर करने वाली बात ये भी है कि मीटर और केबल सहित कुल खर्च डेढ़ हजार या दो हजार तक का ही है, लेकिन कंपनियों को भुगतान ₹5000 तक का किया गया.



बजाज, एनसीसी, एलएंडटी, ट्रांस रेल जैसी कंपनियों ने उपभोक्ताओं को सौभाग्य योजना के तहत फ्री कनेक्शन देने का ठेका लिया था. सबसे ज्यादा 14 जिलों में बजाज कंपनी ने ही उपभोक्ताओं को सौभाग्य योजना के कनेक्शन उपलब्ध कराए थे. इन्हीं इलाकों में ऐसे कनेक्शन भी सूची में दर्ज कर दिए गए जो सौभाग्य योजना के तहत हुए ही नहीं.



2011 की जनगणना में जिन लोगों के नाम नहीं थे, वह ₹500 देकर इस योजना के तहत कनेक्शन ले सकते थे. ₹500 भी एक साथ अदा नहीं करने थे. बिल के साथ 10 किश्तों में 50-50 रुपए का भुगतान करना था. कंपनियों ने सौभाग्य योजना के तहत ऐसे उपभोक्ताओं को कनेक्शन उपलब्ध कराए और 500 के एवज में हजार से 1500 रुपए तक की वसूली कर ली. यहां पर भी खूब फर्जीवाड़ा हुआ.

ये भी पढ़ें : सीएम योगी ने हिंदुस्तान यूनिलीवर प्लांट का किया उद्घाटन, कहा- बुंदेलखंड में निवेश से मिलेंगे रोजगार

राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष जीबी पटेल का कहना है कि दिसंबर माह से तीन माह तक डाटा क्लीनिंग का काम डिवीजन में संपन्न कराया गया. इसमें बड़े स्तर पर परमानेंट डिस्कनेक्शन हुए हैं. इन कनेक्शनों में ऐसे भी कनेक्शन थे जो नेवर पेड उपभोक्ता थे, साथ ही बड़ी संख्या में सौभाग्य योजना के तहत दिए गए कनेक्शन भी शामिल थे. तमाम फर्जी कनेक्शन दिए गए थे. अगर इसकी जांच करा ली जाए तो सब कुछ सामने आ जाएगा. पीडी के लिए भी अभियंताओं पर बड़ा दबाव बनाया गया जिससे अभियंता काफी प्रताड़ित हुए हैं. सौभाग्य योजना के तहत दिए गए कनेक्शनों की जांच होनी चाहिए.

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लखनऊ : प्रदेश में हर घर बिजली पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार ने साल 2017 में सौभाग्य योजना की शुरुआत की थी. इसके तहत गरीब परिवारों को मुफ्त कनेक्शन दिए जाने थे, लेकिन जिन कंपनियों को कनेक्शन देने का ठेका दिया गया था उन कंपनियों के कर्मचारियों ने टारगेट पूरा करने के लिए फर्जी कनेक्शन दे डाले. एक ही घर के पते पर कई कनेक्शन चढ़ा दिये गए. इस तरह एक करोड़ 41 लाख कनेक्शन सौभाग्य योजना के तहत जारी होने का दावा कर दिया गया, लेकिन हकीकत यही है कि कंपनियों ने सौभाग्य योजना में खेल कर दिया. अभी भी ग्रामीण इलाकों में सौभाग्य योजना के तहत जो कनेक्शन दिए गए हैं वहां पर कागजी कार्रवाई तक पूरी नहीं की गई. 'ईटीवी भारत' ने जब पड़ताल की तो फर्जीवाड़ा सामने आया. जिन उपभोक्ताओं का कनेक्शन सौभाग्य योजना में दर्ज है दरअसल, उनका कनेक्शन पहले ही हो चुका था, उपभोक्ता ने बाकायदा इसके लिए कीमत भी चुकाई थी.


लखनऊ के जैतीखेड़ा स्थित सहोवा इलाके में कमला देवी के नाम से सौभाग्य योजना में कनेक्शन दर्ज है. 'ईटीवी भारत' ने जब उपभोक्ता कमलादेवी से फोन पर बात की तो खुलासा हुआ कि सौभाग्य योजना जब शुरू भी नहीं हुई थी उसके पहले ही कनेक्शन हो गया था. बाकायदा इसके लिए उपभोक्ता ने 1800 रुपए भी चुकाए थे, लेकिन पहले से जारी कनेक्शन को भी कंपनियों के कर्मचारियों ने सौभाग्य योजना की सूची में चढ़ा दिया. इसी तरह कई उपभोक्ताओं के जो नाम सौभाग्य योजना में डाल दिए गए उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क ही नहीं हो रहा है. अपनी तरफ से ही फर्जी मोबाइल नंबर चढ़ाकर सौभाग्य योजना में दर्ज कर दिया गया. ग्रामीण इलाकों में कंपनियों ने सौभाग्य योजना में खूब खेल किया.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय

उपभोक्ता कमला देवी की तरह ही रेखा नाम से भी एक कनेक्शन जारी किया गया. इस कनेक्शन को भी सौभाग्य योजना में रखा गया है. उपभोक्ता से बात की गई तो स्वीकार भी किया कि सौभाग्य योजना के तहत कनेक्शन दिया गया. हालांकि मीटर और केबल कंपनी को ही देना था, लेकिन केबल के ₹200 उपभोक्ता से वसूल लिए गए. इतना ही नहीं कंपनी की तरफ से कनेक्शन के एवज में न तो उपभोक्ता को मीटर की रसीद उपलब्ध कराई गई और न ही कनेक्शन के पेपर. आज तक उपभोक्ता इस वजह से बिल जमा ही नहीं कर पा रहा है. कई बार उपकेंद्र के चक्कर काटे यह बताने के लिए कि बिल आ ही नहीं रहा है, लेकिन अधिकारियों ने कोई ध्यान ही नहीं दिया. सीधा सा मतलब है कि कहीं न कहीं दाल में काला जरूर है. सवाल है कि जब सौभाग्य योजना के तहत कनेक्शन दिया गया तो मीटर फीड क्यों नहीं किया गया, जबकि सौभाग्य योजना की सूची में कनेक्शन दर्ज कर लिया गया.



बिजली विभाग के जानकार बताते हैं कि जिन कंपनियों को सौभाग्य योजना के तहत कनेक्शन का ठेका दिया गया था उन्हें एक कनेक्शन के एवज में ₹5000 का भुगतान किया गया. कंपनी को कनेक्शन करने के एवज में उपभोक्ता से एक भी रुपया वसूलना नहीं था. मीटर और केबल दोनों कंपनी को ही लगाने थे, लेकिन तमाम जगह से ऐसी शिकायतें आईं कि उपभोक्ता से सौभाग्य योजना में भी वसूली कर ली गई. गौर करने वाली बात ये भी है कि मीटर और केबल सहित कुल खर्च डेढ़ हजार या दो हजार तक का ही है, लेकिन कंपनियों को भुगतान ₹5000 तक का किया गया.



बजाज, एनसीसी, एलएंडटी, ट्रांस रेल जैसी कंपनियों ने उपभोक्ताओं को सौभाग्य योजना के तहत फ्री कनेक्शन देने का ठेका लिया था. सबसे ज्यादा 14 जिलों में बजाज कंपनी ने ही उपभोक्ताओं को सौभाग्य योजना के कनेक्शन उपलब्ध कराए थे. इन्हीं इलाकों में ऐसे कनेक्शन भी सूची में दर्ज कर दिए गए जो सौभाग्य योजना के तहत हुए ही नहीं.



2011 की जनगणना में जिन लोगों के नाम नहीं थे, वह ₹500 देकर इस योजना के तहत कनेक्शन ले सकते थे. ₹500 भी एक साथ अदा नहीं करने थे. बिल के साथ 10 किश्तों में 50-50 रुपए का भुगतान करना था. कंपनियों ने सौभाग्य योजना के तहत ऐसे उपभोक्ताओं को कनेक्शन उपलब्ध कराए और 500 के एवज में हजार से 1500 रुपए तक की वसूली कर ली. यहां पर भी खूब फर्जीवाड़ा हुआ.

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राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष जीबी पटेल का कहना है कि दिसंबर माह से तीन माह तक डाटा क्लीनिंग का काम डिवीजन में संपन्न कराया गया. इसमें बड़े स्तर पर परमानेंट डिस्कनेक्शन हुए हैं. इन कनेक्शनों में ऐसे भी कनेक्शन थे जो नेवर पेड उपभोक्ता थे, साथ ही बड़ी संख्या में सौभाग्य योजना के तहत दिए गए कनेक्शन भी शामिल थे. तमाम फर्जी कनेक्शन दिए गए थे. अगर इसकी जांच करा ली जाए तो सब कुछ सामने आ जाएगा. पीडी के लिए भी अभियंताओं पर बड़ा दबाव बनाया गया जिससे अभियंता काफी प्रताड़ित हुए हैं. सौभाग्य योजना के तहत दिए गए कनेक्शनों की जांच होनी चाहिए.

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