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इंडियन एनर्जी एक्सचेंज पर बेची जा रही थी महंगी बिजली, मामला खुलने पर मचा हड़कंप

इस भीषण गर्मी में बिजली के अभाव से जहां एक तरफ पूरा देश संकट से गुजर रहा है तो वहीं इंडियन एनर्जी एक्सचेंज पर महंगी बिजली बेचने का मामला सामने आया है. उपभोक्ता परिषद ने इस विवादास्पद विषय को उजागर किया है.

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इंडियन एनर्जी एक्सचेंज
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Published : Apr 28, 2022, 4:40 PM IST

लखनऊ : इस भीषण गर्मी में बिजली संकट के चलते प्रदेश और देश की जनता परेशान है. इसके चलते केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय, कोयला मंत्रालय और रेलवे मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. इन तीनों मंत्रालयों में समन्वय स्थापित न होने की वजह से राज्यों को मिलने वाला कोयला नहीं मिल पा रहा है. उत्तर प्रदेश को रोज 87900 मीट्रिक टन कोयला मिलना चाहिए जबकि अब वहां केवल 61309 मीट्रिक टन कोयला ही मिल रहा है.

यानी केंद्र द्वारा प्रदेश को कम कोयला दिया जा रहा है. इसके पीछे विदेशी कोयला खरीदने की बड़ी साजिश बताई गई है. उपभोक्ता परिषद ने एक नया चौंकाने वाला मामला उजागर किया है. केंद्र सरकार का नियम लागू होने के बाद भी प्रदेश में महंगी बिजली बेचने का बड़ा खेल चल रहा है. अब इस मामले पर कार्रवाई की मांग की गई है. अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद की लंबी लड़ाई के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को पावर एक्सचेंज पर चल रही मुनाफाखोरी को रोकने के लिए 20 रुपये प्रति यूनिट तक बेची जा रही बिजली दर पर सीलिंग लगाने का प्रस्ताव भेजा था.

इस पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के दखल के बाद केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने एक अप्रैल को पूरे देश के लिए एक कानून बनाया था. पावर एक्सचेंज में डे हेड मार्केट (डीएएम) व रियल टाइम मार्केट (आरटीएम ) के आधार पर कोई भी जनरेटर 12 रुपये प्रति यूनिट से अधिक दर पर बिजली नहीं बेच पाएगा. यानी 12 रुपये प्रति यूनिट पर अधिकतम सीलिंग लगा दी गई थी.

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने जब इस कानून के तहत बिजली खरीद की जानकारी की तो पता चला कि इंडियन एनर्जी एक्सचेंज की साइट पर अलग ही खेल चल रहा है. इंडियन एनर्जी एक्सचेंज ने एक अप्रैल को कानून बनने के बाद भी चोर दरवाजे टर्म हेड मार्केट (टीएएम) के अंतर्गत एक बड़ा खेल शुरू कर दिया. वह खेल यह है कि एनर्जी एक्सचेंज टर्म हेड मार्केट के आधार पर 13 रुपये प्रति यूनिट से लेकर 17 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली बेच रहा है. 25 अप्रैल के डाटा को देखने से इस मुनाफाखोरी का खुलासा हो गया.

अवधेश वर्मा का कहना है कि जहां पूरा देश भीषण बिजली संकट में परेशान है, राज्यों के उत्पादन कम होने की वजह से राज्य पावर एक्सचेंज पर बिजली खरीद रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई सीलिंग 12 रुपये प्रति यूनिट से अलग हटकर 17 रुपये प्रति यूनिट कर दी गई है. महंगी बिजली बेचना बहुत बड़ा अपराध है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि केंद्र सरकार बनाए गए कानून के बाद केंद्र सरकार इसकी मॉनिटरिंग क्यों नहीं करता कि वास्तव में वह कानून लागू है या चोर दरवाजे से कोई खेल चल रहा है.

यह भी पढ़े- श्रवण साहू हत्याकांड: SSP के बाद DM भी लापरवाही के दोषी, CBI ने कार्रवाई के लिए की सिफारिश

केंद्रीय ऊर्जा सचिव को कराया अवगत : उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार से इस सबंध में बात की. उन्हें इस परेशानी से अवगत कराया. कहा कि केंद्र सरकार इस पर तत्काल प्रतिबंध लागू कराएं. केंद्रीय ऊर्जा सचिव ने आश्वासन दिया कि जल्द ही पूरे मामले पर केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग से बात की जाएगी. उपभोक्ता परिषद ने इसकी जानकारी राज्य के विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन आरपी सिंह सहित केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग को भी दे दी.

लखनऊ : इस भीषण गर्मी में बिजली संकट के चलते प्रदेश और देश की जनता परेशान है. इसके चलते केंद्र सरकार के ऊर्जा मंत्रालय, कोयला मंत्रालय और रेलवे मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है. इन तीनों मंत्रालयों में समन्वय स्थापित न होने की वजह से राज्यों को मिलने वाला कोयला नहीं मिल पा रहा है. उत्तर प्रदेश को रोज 87900 मीट्रिक टन कोयला मिलना चाहिए जबकि अब वहां केवल 61309 मीट्रिक टन कोयला ही मिल रहा है.

यानी केंद्र द्वारा प्रदेश को कम कोयला दिया जा रहा है. इसके पीछे विदेशी कोयला खरीदने की बड़ी साजिश बताई गई है. उपभोक्ता परिषद ने एक नया चौंकाने वाला मामला उजागर किया है. केंद्र सरकार का नियम लागू होने के बाद भी प्रदेश में महंगी बिजली बेचने का बड़ा खेल चल रहा है. अब इस मामले पर कार्रवाई की मांग की गई है. अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उपभोक्ता परिषद की लंबी लड़ाई के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को पावर एक्सचेंज पर चल रही मुनाफाखोरी को रोकने के लिए 20 रुपये प्रति यूनिट तक बेची जा रही बिजली दर पर सीलिंग लगाने का प्रस्ताव भेजा था.

इस पर केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के दखल के बाद केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने एक अप्रैल को पूरे देश के लिए एक कानून बनाया था. पावर एक्सचेंज में डे हेड मार्केट (डीएएम) व रियल टाइम मार्केट (आरटीएम ) के आधार पर कोई भी जनरेटर 12 रुपये प्रति यूनिट से अधिक दर पर बिजली नहीं बेच पाएगा. यानी 12 रुपये प्रति यूनिट पर अधिकतम सीलिंग लगा दी गई थी.

उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने जब इस कानून के तहत बिजली खरीद की जानकारी की तो पता चला कि इंडियन एनर्जी एक्सचेंज की साइट पर अलग ही खेल चल रहा है. इंडियन एनर्जी एक्सचेंज ने एक अप्रैल को कानून बनने के बाद भी चोर दरवाजे टर्म हेड मार्केट (टीएएम) के अंतर्गत एक बड़ा खेल शुरू कर दिया. वह खेल यह है कि एनर्जी एक्सचेंज टर्म हेड मार्केट के आधार पर 13 रुपये प्रति यूनिट से लेकर 17 रुपये प्रति यूनिट तक बिजली बेच रहा है. 25 अप्रैल के डाटा को देखने से इस मुनाफाखोरी का खुलासा हो गया.

अवधेश वर्मा का कहना है कि जहां पूरा देश भीषण बिजली संकट में परेशान है, राज्यों के उत्पादन कम होने की वजह से राज्य पावर एक्सचेंज पर बिजली खरीद रहे हैं, वहीं केंद्र सरकार द्वारा लगाई गई सीलिंग 12 रुपये प्रति यूनिट से अलग हटकर 17 रुपये प्रति यूनिट कर दी गई है. महंगी बिजली बेचना बहुत बड़ा अपराध है. सबसे बड़ा सवाल यह है कि केंद्र सरकार बनाए गए कानून के बाद केंद्र सरकार इसकी मॉनिटरिंग क्यों नहीं करता कि वास्तव में वह कानून लागू है या चोर दरवाजे से कोई खेल चल रहा है.

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केंद्रीय ऊर्जा सचिव को कराया अवगत : उपभोक्ता परिषद ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव आलोक कुमार से इस सबंध में बात की. उन्हें इस परेशानी से अवगत कराया. कहा कि केंद्र सरकार इस पर तत्काल प्रतिबंध लागू कराएं. केंद्रीय ऊर्जा सचिव ने आश्वासन दिया कि जल्द ही पूरे मामले पर केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग से बात की जाएगी. उपभोक्ता परिषद ने इसकी जानकारी राज्य के विद्युत नियामक आयोग चेयरमैन आरपी सिंह सहित केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग को भी दे दी.

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