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अधिक एस्टीमेट वसूलने वाले अधिकारियों पर होगी कार्रवाई, पांच अक्टूबर तक मांगी सूचना - new connection rate from farmers

उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों की तरफ से कास्ट डाटा बुक के विपरीत 25 से 35 प्रतिशत तक प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं और किसानों से नया कनेक्शन दर (new connection rate from farmers) में अधिक वसूली की गई.

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Published : Sep 27, 2022, 5:18 PM IST

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों की तरफ से कास्ट डाटा बुक के विपरीत 25 से 35 प्रतिशत तक प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं और किसानों से नया कनेक्शन दर (new connection rate from farmers) में अधिक वसूली की गई. इस पर विद्युत नियामक आयोग की तरफ से पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन (Chairman of Power Corporation) व सभी कंपनियों के प्रबंध निदेशक को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत नोटिस जारी की गई है. वहीं अब पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज की तरफ से सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक व पावर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशकों को निर्देश जारी किया गया. कहा गया है कि सभी विद्युत उपभोक्ताओं जिनसे अधिक धनराशि वसूली गई है उसे तत्काल वापस किया जाए. साथ ही पूरे प्रदेश में जिन कार्मिकों ने उपभोक्ताओं को त्रुटिपूर्ण एस्टीमेट जारी किया है, उनके खिलाफ पांच अक्टूबर तक विभागीय कार्रवाई करते हुए पावर काॅरपोरेशन को सूचित किया जाए.

पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन (Chairman of Power Corporation) ने 24 अगस्त 2020 में जारी आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि जब सभी बिजली कंपनियों को पहले ही यह निर्देश जारी किए गए थे कि कास्ट डाटा बुक ही पूरे प्रदेश में लागू रहेगी, फिर इसका उल्लंघन कैसे किया गया? चेयरमैन ने सभी प्रबंध निदेशकों को दिए गए निर्देश में कहा है कि उपभोक्ताओं का जो भी एस्टीमेट बनाया जाएगा. वह कॉस्ट व डाटा बुक के अनुरूप ही बनेगा. कुल मिलाकर आने वाले समय में बडे़ पैमाने पर बिजली अभियंता व कार्मिकों पर कार्रवाई होना तय है. 21 अक्टूबर को विद्युत नियामक आयोग अपनी आगे की वैधानिक कार्यवाही पर भी बड़ा फैसला ले सकता है.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि ईआरपी में किसी भी उच्चाधिकारी ने बदलाव कराया तो निश्चित ही वह दोषी है, लेकिन जितना दोषी वह है उतना ही फील्ड में तैनात एस्टीमेट बनाने वाले भी हैं, क्योंकि उनको कॉस्ट डाटा बुक का पूरा ज्ञान होना चाहिए. अगर उसके विपरीत जाकर कोई भी एस्टीमेट ईआरपी पर तैयार हो रहा था तो उस पर उन्हें आपत्ति दर्ज करना चाहिए था. ईआरपी व्यवस्था में बदलाव का विकल्प है तो अगर उपभोक्ताओं की दर ज्यादा हो रही थी उसको कॉस्ट डाटा बुक के अनुसार फीड करना चाहिए था. अगर ऐसा नहीं किया गया है तो इसका मतलब केवल बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डालने के लिए इस असंवैधानिक व्यवस्था को लागू किया. इसके लिए अधिकारी से लेकर नीचे के जो भी लोग हैं सभी दोषी हैं उन पर कार्रवाई किया जाना जरूरी है. उपभोक्ता परिषद 21 अक्टूबर को सभी वैधानिक पहलुओं को आयोग के सामने रखते हुए सभी उच्चाधिकारियों व दोषियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की मांग करेगा.

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उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद अपनी अवमानना याचिका के तहत उच्चाधिकारियों पर पेनाल्टी लगाने व धारा 146 के तहत तीन माह की सजा के लिए पूरी पैरवी करेगा. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने सभी विद्युत उपभोक्ताओं से अपील की है कि जिन्होंने विगत वर्षों में नया विद्युत कनेक्शन लिया है वह अपने एस्टीमेट को निम्नानुसार मिलान कर लें कि उनसे कहीं ज्यादा एस्टीमेट पर वसूली तो नहीं की गई है? उसकी वापसी के लिए भी वह अपने क्षेत्र के अधिशासी अभियंता से मिल लें.

यह भी पढ़ें : मदरसों के NEET परीक्षा पास छात्रों का होगा सम्मान: मंत्री धर्मपाल सिंह

लखनऊ. उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों की तरफ से कास्ट डाटा बुक के विपरीत 25 से 35 प्रतिशत तक प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं और किसानों से नया कनेक्शन दर (new connection rate from farmers) में अधिक वसूली की गई. इस पर विद्युत नियामक आयोग की तरफ से पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन (Chairman of Power Corporation) व सभी कंपनियों के प्रबंध निदेशक को विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 142 के तहत नोटिस जारी की गई है. वहीं अब पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज की तरफ से सभी बिजली कंपनियों के प्रबंध निदेशक व पावर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशकों को निर्देश जारी किया गया. कहा गया है कि सभी विद्युत उपभोक्ताओं जिनसे अधिक धनराशि वसूली गई है उसे तत्काल वापस किया जाए. साथ ही पूरे प्रदेश में जिन कार्मिकों ने उपभोक्ताओं को त्रुटिपूर्ण एस्टीमेट जारी किया है, उनके खिलाफ पांच अक्टूबर तक विभागीय कार्रवाई करते हुए पावर काॅरपोरेशन को सूचित किया जाए.

पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन (Chairman of Power Corporation) ने 24 अगस्त 2020 में जारी आदेश का हवाला देते हुए कहा है कि जब सभी बिजली कंपनियों को पहले ही यह निर्देश जारी किए गए थे कि कास्ट डाटा बुक ही पूरे प्रदेश में लागू रहेगी, फिर इसका उल्लंघन कैसे किया गया? चेयरमैन ने सभी प्रबंध निदेशकों को दिए गए निर्देश में कहा है कि उपभोक्ताओं का जो भी एस्टीमेट बनाया जाएगा. वह कॉस्ट व डाटा बुक के अनुरूप ही बनेगा. कुल मिलाकर आने वाले समय में बडे़ पैमाने पर बिजली अभियंता व कार्मिकों पर कार्रवाई होना तय है. 21 अक्टूबर को विद्युत नियामक आयोग अपनी आगे की वैधानिक कार्यवाही पर भी बड़ा फैसला ले सकता है.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि सबसे बड़ा सवाल यह है कि यदि ईआरपी में किसी भी उच्चाधिकारी ने बदलाव कराया तो निश्चित ही वह दोषी है, लेकिन जितना दोषी वह है उतना ही फील्ड में तैनात एस्टीमेट बनाने वाले भी हैं, क्योंकि उनको कॉस्ट डाटा बुक का पूरा ज्ञान होना चाहिए. अगर उसके विपरीत जाकर कोई भी एस्टीमेट ईआरपी पर तैयार हो रहा था तो उस पर उन्हें आपत्ति दर्ज करना चाहिए था. ईआरपी व्यवस्था में बदलाव का विकल्प है तो अगर उपभोक्ताओं की दर ज्यादा हो रही थी उसको कॉस्ट डाटा बुक के अनुसार फीड करना चाहिए था. अगर ऐसा नहीं किया गया है तो इसका मतलब केवल बिजली कंपनियों ने उपभोक्ताओं की जेब पर डाका डालने के लिए इस असंवैधानिक व्यवस्था को लागू किया. इसके लिए अधिकारी से लेकर नीचे के जो भी लोग हैं सभी दोषी हैं उन पर कार्रवाई किया जाना जरूरी है. उपभोक्ता परिषद 21 अक्टूबर को सभी वैधानिक पहलुओं को आयोग के सामने रखते हुए सभी उच्चाधिकारियों व दोषियों के खिलाफ कठोर से कठोर कार्रवाई की मांग करेगा.

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उन्होंने कहा कि उपभोक्ता परिषद अपनी अवमानना याचिका के तहत उच्चाधिकारियों पर पेनाल्टी लगाने व धारा 146 के तहत तीन माह की सजा के लिए पूरी पैरवी करेगा. उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने सभी विद्युत उपभोक्ताओं से अपील की है कि जिन्होंने विगत वर्षों में नया विद्युत कनेक्शन लिया है वह अपने एस्टीमेट को निम्नानुसार मिलान कर लें कि उनसे कहीं ज्यादा एस्टीमेट पर वसूली तो नहीं की गई है? उसकी वापसी के लिए भी वह अपने क्षेत्र के अधिशासी अभियंता से मिल लें.

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