लखनऊ : बिजली विभाग के अधिकारियों के अजब-गजब कारनामे हैं. आए दिन ये अधिकारी अपनी इन्हीं कारगुजारियों के चलते सुर्खियों में बने रहते हैं. अब एक ऐसा ही मामला सामने आया है जिसने बिजली विभाग के अधिकारियों की लापरवाही उजागर कर दी और उनकी कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया है. विभाग की तरफ से उपभोक्ता को कनेक्शन दिया नहीं और बिल भेज दिया गया. कनेक्शन के लिए आवेदन करने वाले आवेदक ने पावर काॅरपोरेशन की मेल आईडी पर शिकायत भेजी. इसके बाद चेयरमैन ने मामले की जांच कराई तो पाया कि जेई ने इस मामले में पूरी लापरवाही दिखाई है. लिहाजा, जांच रिपोर्ट के बाद चेयरमैन ने अवर अभियंता दीपक गुप्ता को सस्पेंड कर दिया.
गोरखपुर के सहजनवा स्थित समेंरा गांव निवासी बृजेश कुमार सिंह ने साल 2019 में बिजली कनेक्शन के लिए आवेदन किया था. आरोप है कि अक्टूबर 2019 में बगैर कनेक्शन जोड़े ही विभाग की तरफ से उन्हें बिल भेज दिया गया. 300 मीटर बिजली की लाइन से घर दूर होने के चलते ट्रांसफार्मर भी लगना था. उपभोक्ता तीन साल से कनेक्शन के लिए दौड़ता रहा, लेकिन न तो ट्रांसफार्मर लगाया गया और न अब तक बृजेश को कनेक्शन ही दिया गया. 27 जुलाई को पावर काॅरपोरेशन की आईडी पर बृजेश कुमार सिंह ने इसकी शिकायत भेजी. जिसके बाद इस मामले की जांच गोरखपुर क्षेत्र के मुख्य अभियंता वितरण से कराई गई.
जांच में सामने आया कि शिकायतकर्ता बृजेश कुमार सिंह के परिसर से 300 मीटर की दूरी पर 11 केवी की एचटी लाइन उपलब्ध है. शिकायतकर्ता के परिसर पर कोई बिजली का कनेक्शन नहीं पाया गया, लेकिन परिसर से लगभग 500 मीटर की दूरी पर एक 10 केवीए का ट्रांसफार्मर मिला, जिसका कोई अभिलेख विद्युत भंडार खंड और विद्युत कार्यशाला खंड गोरखपुर में उपलब्ध ही नहीं था. नियमानुसार विभागीय सामग्री का दुरुपयोग करने, अपने कार्य में शिथिलता बरतने, संयोजन का भौतिक सत्यापन न करने और उपभोक्ता को गुमराह किए जाने के लिए तत्कालीन अवर अभियंता दीपक गुप्ता को जांचकर्ता ने प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए इसकी रिपोर्ट भेज दी.
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इसके बाद सोमवार को पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन एम. देवराज ने तत्कालीन अवर अभियंता दीपक गुप्ता को सस्पेंड कर दिया. अवर अभियंता को अब शक्ति भवन में अटैच किया गया है.
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