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चांद नजर आया, 10 जुलाई को मनाई जाएगी बकरीद - बकरीद 10 जुलाई को

लखनऊ में चांद कमेटियों ने चांद दिखने की तस्दीक के साथ बकरीद यानी ईद उल अजहा की तारीख का एलान कर दिया है.

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Published : Jun 30, 2022, 10:39 PM IST

Updated : Jun 30, 2022, 11:09 PM IST

लखनऊ: लखनऊ में चांद कमेटियों ने चांद दिखने की तस्दीक के साथ बकरीद यानी ईद उल अजहा की तारीख का एलान कर दिया है. इस वर्ष यह त्योहार हिंदुस्तान में 10 जुलाई को मनाया जाएगा. मरकजी चांद कमेटी फरंगी महल, शिया चांद कमेटी के साथ रूय्यत ए हिलाल कमेटी ने गुरुवार को जिलहिज्जा महीने का चांद नजर आने की तस्दीक की है. चांद नजर आने के साथ ही देश में अब बकरों और अन्य जानवरों की खरीदारी का सिलसिला बड़े पैमाने पर शुरू हो जायेगा. लंबे समय से किसान और गांव के कारोबारी बकरीद के त्योहार का इंतजार करते हैं.

यह भी पढे़ं:राजस्थानः BSF और पाक रेंजर्स ने ईद के मौके पर अंतरराष्ट्रीय सीमा पर किया मिठाइयों का आदान-प्रदान

बता दें कि इस्लाम धर्म में दो ईद मनाई जाती है पहली ईद उल फितर और दूसरी ईद उल अजहा. ईद उल अजहा का त्योहार जिलहिज्जा महीने की दस तारीख को मनाया जाता है. मुसलमान इस त्योहार पर जानवरों की कुर्बानी देते हैं और इसके गोश्त को गरीब और जरूरतमंदों के साथ अपने रिश्तेदारों में बाटते हैं. इस्लाम में कुर्बानी को बेहद अहम माना गया है. हर साहिबे हैसियत (कुर्बानी करने की हैसियत रखने वाले) पर कुर्बानी को फर्ज़ (जरूरी) करार दिया गया है.


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लखनऊ: लखनऊ में चांद कमेटियों ने चांद दिखने की तस्दीक के साथ बकरीद यानी ईद उल अजहा की तारीख का एलान कर दिया है. इस वर्ष यह त्योहार हिंदुस्तान में 10 जुलाई को मनाया जाएगा. मरकजी चांद कमेटी फरंगी महल, शिया चांद कमेटी के साथ रूय्यत ए हिलाल कमेटी ने गुरुवार को जिलहिज्जा महीने का चांद नजर आने की तस्दीक की है. चांद नजर आने के साथ ही देश में अब बकरों और अन्य जानवरों की खरीदारी का सिलसिला बड़े पैमाने पर शुरू हो जायेगा. लंबे समय से किसान और गांव के कारोबारी बकरीद के त्योहार का इंतजार करते हैं.

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बता दें कि इस्लाम धर्म में दो ईद मनाई जाती है पहली ईद उल फितर और दूसरी ईद उल अजहा. ईद उल अजहा का त्योहार जिलहिज्जा महीने की दस तारीख को मनाया जाता है. मुसलमान इस त्योहार पर जानवरों की कुर्बानी देते हैं और इसके गोश्त को गरीब और जरूरतमंदों के साथ अपने रिश्तेदारों में बाटते हैं. इस्लाम में कुर्बानी को बेहद अहम माना गया है. हर साहिबे हैसियत (कुर्बानी करने की हैसियत रखने वाले) पर कुर्बानी को फर्ज़ (जरूरी) करार दिया गया है.


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Last Updated : Jun 30, 2022, 11:09 PM IST
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