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इंटरावेंशनल तकनीक से बिना छाती खोले डॉक्टरों ने किया सफल ऑपरेशन, मरीज सुरक्षित

डॉ. नितिन दीक्षित ने बताया कि वाराणसी से रेफर होकर आने वाले 45 वर्षीय पुरुष को पेट दर्द और चक्कर आ रहा था. केजीएमयू में आने के बाद 128 स्लाइस सीटी स्कैन एंजियोग्राफी से एरोटा महाधमनी मध्य से फट चुकी थी.

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Published : Jul 16, 2022, 10:09 PM IST

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केजीएमयू

लखनऊ: राजधानी के केजीएमयू में इंटरावेंशनल तकनीक के जरिए डॉक्टरों की टीम ने सफल ऑपरेशन कर दो मरीजों की जिंदगी बचाई. यह ऑपरेशन बिना छाती खोलें किया गया. एक पुरुष मरीज को बनारस से रेफर किया गया था. ब्लड प्रेशर बढ़ने से उसके मुख रक्त वाहिका मध्य से फट गई थी. छाती में ब्लीडिंग भी हुई थी मगर खून का थक्का जमने की वजह से जीवन चल रहा था. मगर खतरा बना था.

दूसरी महिला मरीज को खांसी के साथ खून आ रहा था. इसकी एयरोट धमनी में भी गुच्छा बन गया था. दोनों ही मरीजों को समय रहते पलमोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डॉक्टर वेद प्रकाश की निगरानी में डॉ. अरुण दीक्षित, डॉ. सौरभ कुमार और डॉ. सिद्धार्थ कुमार समेत पूरी टीम ने इंटरनेशनल इंटरवेंशनल प्रोसीजर द्वारा दोनों ही मरीजों की छाती में स्टंट प्रत्यारोपित कर के भविष्य सुरक्षित कर दिया है.

डॉ. नितिन दीक्षित ने बताया कि वाराणसी से रेफर होकर आने वाले 45 वर्षीय पुरुष को पेट दर्द और चक्कर आ रहा था. केजीएमयू में आने के बाद 128 स्लाइस सीटी स्कैन एंजियोग्राफी से एरोटा महाधमनी मध्य से फट चुकी थी. छाती में जहां फटी थी वहां पर ब्लीडिंग भी हुई थी. ब्लीडिंग होने पर खून का थक्का जम गया था.

इसे भी पढ़ेंः केजीएमयू में दवाओं के लिए करोड़ों का बजट देती है सरकार, फिर भी मरीजों को मिल रही आधी-अधूरी दवाएं

जिसकी वजह से ब्लीडिंग रुक चुकी थी. छाती से पैर तक पूरी एरोटा मध्य से फटी थी मगर ब्लीडिंग नहीं हो रही थी. बीमारी की गंभीरता को समझते हुए तत्काल प्रभाव से इंटरवेंशनल प्रोसिजर का निर्णय लिया गया और पैर से खून ले जाने वाली एरोटा मुख्य धमनी में छाती में पहुंचे और जहां पर खून जमा था. वहां पर स्टंट प्रत्यारोपित कर दिया. मुख्य स्थान पर स्टंट पड़ेगा से एरोटा स्वयं रिकवर हो जाएगी. यह स्टंट हार्ट में पड़ने वाले स्टंट के मुकाबले लंबा व महंगा होता है.

दूसरे के 54 वर्षीय महिला की जानकारी देते हुए डॉ. सिद्धार्थ मिश्रा ने बताया कि महिला को खूनी खांसी आ रही थी. सीने में दर्द की शिकायत ही सीटी एंजियोग्राफी में थोरेसिक एओर्टिक एन्यूरिज्म का पता चला. अमूमन ऐसे केसों में ओपन सर्जरी में छाती खोली जाती है. ओपन सर्जरी की गंभीरता को देखते हुए इंटरवेंशनल प्रोसीजर किया गया और जांघ में एरोटा विभिन्न अंगों तक खून आपूर्ति करने वाली मुख्य धमनी के रास्ते कैमरा और स्टंट लेकर छाती तक पहुंचे. जहां पर गुब्बारा बना था. वहां पर स्टंट प्रत्यारोपित कर दिया, जिसके बाद महिला में बीमारी के खतरे को खत्म किया जा सका.
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लखनऊ: राजधानी के केजीएमयू में इंटरावेंशनल तकनीक के जरिए डॉक्टरों की टीम ने सफल ऑपरेशन कर दो मरीजों की जिंदगी बचाई. यह ऑपरेशन बिना छाती खोलें किया गया. एक पुरुष मरीज को बनारस से रेफर किया गया था. ब्लड प्रेशर बढ़ने से उसके मुख रक्त वाहिका मध्य से फट गई थी. छाती में ब्लीडिंग भी हुई थी मगर खून का थक्का जमने की वजह से जीवन चल रहा था. मगर खतरा बना था.

दूसरी महिला मरीज को खांसी के साथ खून आ रहा था. इसकी एयरोट धमनी में भी गुच्छा बन गया था. दोनों ही मरीजों को समय रहते पलमोनरी क्रिटिकल केयर मेडिसिन के डॉक्टर वेद प्रकाश की निगरानी में डॉ. अरुण दीक्षित, डॉ. सौरभ कुमार और डॉ. सिद्धार्थ कुमार समेत पूरी टीम ने इंटरनेशनल इंटरवेंशनल प्रोसीजर द्वारा दोनों ही मरीजों की छाती में स्टंट प्रत्यारोपित कर के भविष्य सुरक्षित कर दिया है.

डॉ. नितिन दीक्षित ने बताया कि वाराणसी से रेफर होकर आने वाले 45 वर्षीय पुरुष को पेट दर्द और चक्कर आ रहा था. केजीएमयू में आने के बाद 128 स्लाइस सीटी स्कैन एंजियोग्राफी से एरोटा महाधमनी मध्य से फट चुकी थी. छाती में जहां फटी थी वहां पर ब्लीडिंग भी हुई थी. ब्लीडिंग होने पर खून का थक्का जम गया था.

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जिसकी वजह से ब्लीडिंग रुक चुकी थी. छाती से पैर तक पूरी एरोटा मध्य से फटी थी मगर ब्लीडिंग नहीं हो रही थी. बीमारी की गंभीरता को समझते हुए तत्काल प्रभाव से इंटरवेंशनल प्रोसिजर का निर्णय लिया गया और पैर से खून ले जाने वाली एरोटा मुख्य धमनी में छाती में पहुंचे और जहां पर खून जमा था. वहां पर स्टंट प्रत्यारोपित कर दिया. मुख्य स्थान पर स्टंट पड़ेगा से एरोटा स्वयं रिकवर हो जाएगी. यह स्टंट हार्ट में पड़ने वाले स्टंट के मुकाबले लंबा व महंगा होता है.

दूसरे के 54 वर्षीय महिला की जानकारी देते हुए डॉ. सिद्धार्थ मिश्रा ने बताया कि महिला को खूनी खांसी आ रही थी. सीने में दर्द की शिकायत ही सीटी एंजियोग्राफी में थोरेसिक एओर्टिक एन्यूरिज्म का पता चला. अमूमन ऐसे केसों में ओपन सर्जरी में छाती खोली जाती है. ओपन सर्जरी की गंभीरता को देखते हुए इंटरवेंशनल प्रोसीजर किया गया और जांघ में एरोटा विभिन्न अंगों तक खून आपूर्ति करने वाली मुख्य धमनी के रास्ते कैमरा और स्टंट लेकर छाती तक पहुंचे. जहां पर गुब्बारा बना था. वहां पर स्टंट प्रत्यारोपित कर दिया, जिसके बाद महिला में बीमारी के खतरे को खत्म किया जा सका.
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