लखनऊ : प्रदेश सरकार, सरकारी स्कूलों की दिशा और दशा बदलने के लिए तमाम कवायद कर रही है. नित नई घोषणाएं की जा रही हैं, लेकिन धरातल पर इसका असर ना के बराबर है. आज भी परिषदीय विद्यालय मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. बेसिक शिक्षा विभाग और पंचायती राज विभाग के समन्वय से स्कूलों का कायाकल्प करना था, लेकिन अफसोस शासन के आदेश के बाद भी अधिकतर विद्यालयों की तस्वीर नहीं बदल पाई है. कहीं बाउंड्री तो कहीं शौचालय गायब हैं. ईटीवी भारत ने जब इसकी पड़ताल की तो आश्चर्यजनक तथ्य सामने आए.
मोहनलालगंज तहसील क्षेत्र के डेहवा पूर्व प्राथमिक विद्यालय (Dehwa East Primary School) की दयनीय स्थिति सरकारी फरमान को मुंह चिढ़ाती नजर आयी. स्कूल में कई वर्षों से बाउंड्रीवाल गायब है. खराब पड़े शौचालय सरकारी योजना की हकीकत बयां कर रहे हैं. स्कूलों में आए दिन मवेशियों का डेरा रहता है और आवारा कुत्ते भी देखने को मिल जाते हैं.
वहीं प्रधानाचार्य का कहना है कि कई बार आवारा मवेशी बच्चों व टीचरों को घायल कर चुके हैं. वहीं अगर बगल में दूसरे स्कूल प्राथमिक विद्यालय धनवारा की बात की जाए तो वहां भी स्कूल में बाउंड्रीवाल नहीं है स्कूल की स्थिति डामाडोल है. विद्यालय को देखने पर एहसास होता है कि शासन की प्राथमिकता वाली योजनाएं किस तरह संचालित हो रही हैं.
खंड शिक्षा अधिकारी मनीष सिंह से जानकारी की तो उन्होंने बताया कि उनके क्षेत्र में कई ऐसे विद्यालय थे जहां पर बाउंड्रीवाल समेत कई समस्याएं थीं. जिसमें 13 विद्यालय का काम पूरा हो चुका है. 18 ऐसे विद्यालय हैं जिनका प्रस्ताव बनवाकर शासन को भेजा जा चुका है, वहीं अगर डेहवा प्राथमिक विद्यालय की बात की जाए तो इसका प्रस्ताव भेज दिया गया है. दो महीने के अंदर इसकी बाउंड्रीवाल कराई जाएगी. परिषदीय विद्यालयों की बदहाल स्थिति अभी भी कई ऐसे स्कूल हैं जिनका कायाकल्प होना बहुत आवश्यक है.
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खंड शिक्षा अधिकारी मोहनलालगंज मनीष सिंह ने जानकारी दी कि उनके क्षेत्र में 18 पूर्व परिषदीय विद्यालय बचे हुए हैं, जहां पर बाउंड्रीवाल सहित कई कमियां हैं. जिनको ठीक करने के लिए कार्य योजना बनाकर शासन को भेज दिया गया है. बहुत जल्द स्वीकृति मिलने पर काम शुरू हो जाएगा.
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