लखनऊ: आमदनी से कई गुना सम्पत्ति अर्जित करने व भ्रष्टाचार के मामले में फंसे राजस्व परिषद के अधिकारी विवेकानंद डोबरियाल के बेटे समीर डोबरियाल की अग्रिम जमानत अर्जी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश मोहिंदर कुमार ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि अपराध की गम्भीरता को देखते हुए अभियुक्त समीर डोबरियाल को अग्रिम जमानत नहीं दी जा सकती है.
अदालत के समक्ष अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध करते हुए विशेष लोक अभियोजक अमित अवस्थी व लक्ष्मी पांडेय का तर्क था कि 5 जुलाई 2022 के पत्र के माध्यम से समीर डोबरियाल के विरुद्ध जांच के आदेश दिए गए थे. यह भी कहा गया कि समीर डोबरियाल के विरुद्ध अपराध शाखा के उप निरीक्षक सतीश चंद्र साहू द्वारा जांच सम्पादित की गई तथा उन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट 26 जुलाई 2022 के आधार पर पाया कि अभियुक्त ने लोक सेवक के पद पर रहते हुए, आय से कई गुना अधिक सम्पत्ति अर्जित की है. जिस पर गोमती नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी.
अग्रिम जमानत अर्जी के विरोध में यह भी कहा गया है कि समीर डोबरियाल ने लोक सेवक के पद पर रहते हुए वेतन के रूप में 7 लाख पचास हजार 831 रुपए प्राप्त किए थे. जबकि इस अवधि में उसके द्वारा 57 लाख 23 हजार 848 रुपए व्यय किए गए. कहा गया कि इस प्रकार समीर डोबरियाल ने 49 लाख 73 हजार 17 रुपए अधिक व्यय किया है. वहीं, समीर डोबरियाल की ओर से अपने बचाव में कहा गया कि वह जुलाई 2021 में विधान सभा सचिवालय में सहायक समीक्षा अधिकारी के पद पर नियुक्त हुआ तथा उसे प्रतिमाह 65 हजार रुपए वेतन मिलता है. अदालत ने आरोपी की आय व व्यय के भारी अनुपात को देखते हुए जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है.
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