लखनऊ : धरना प्रदर्शन के दौरान सड़क घेरकर आवागमन अवरुद्ध करने के एक मामले में तत्कालीन बसपा महासचिव नसीमुद्दीन सिद्दीकी समेत पांच अभियुक्तों को एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अम्बरीश कुमार श्रीवास्तव ने दोषी करार दिया है. कोर्ट ने प्रत्येक को 25-25 सौ रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है. कोर्ट ने कहा है कि जुर्माने की रकम जमा न करने पर आरोपियों को 15 दिन का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा.
मामले की सुनवाई के समय अभियुक्त नसीमुद्दीन सिद्दीकी, राम अचल राजभर, नौशाद अली, अतर सिंह राव व मेवालाल गौतम व्यक्तिगत रूप से अदालत में हाजिर रहे. अदालत ने पांचों को दोषी करार करने के पश्चात हिरासत में लेने का आदेश दिया तथा सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए मामले को अपरान्ह प्रस्तुत करने का आदेश दिया. सजा के बिंदु पर सुनवाई के समय आरोपियों की ओर से कहा गया कि वे वरिष्ठ नागरिक हैं तथा राजनीतिक मामला होने के कारण उन्हें कम से कम सजा दी जाए. अदालत ने सभी आरोपियों को विधि विरुद्ध जमाव व मार्ग अवरुद्ध करने के आरोप में 25-25 सौ रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई जिसके उपरांत सभी आरोपियों की ओर से अदालत के समक्ष अर्जी प्रस्तुत कर अर्थदंड की धनराशि को जमा करने के लिए समय प्रदान करने की मांग की गई. जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए अर्थदंड जमा करने के लिए 15 दिन का समय प्रदान कर दिया है. पत्रावली के अनुसार, इस मामले की रिपोर्ट उप निरीक्षक शिवा साकेत सोनकर ने 21 जुलाई 2016 को हजरतगंज थाने में दर्ज कराई थी, जिसमें भाजपा के तत्कालीन प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह द्वारा दिए गए बयानों के विरोध में नारेबाजी करते हुए बसपा के करीब चार-पांच हजार कार्यकर्ताओं द्वारा हजरतगंज चौराहे से निकलकर विधानसभा के सामने मार्ग अवरुद्ध करने की बात कही गई थी. विवेचना के बाद पुलिस ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी व अन्य के खिलाफ 21 जून 2017 को कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था.
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