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पब्लिक सर्विस व्हीकल में लगेगी 'कोडेड डिवाइस', लोकेशन खोजती रह जाएंगी विदेशी सैटेलाइट्स - इंडियन रीजनल नेवीगेशनल

वाहनों की मॉनिटरिंग के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम मुख्यालय में एक बड़ा कंट्रोल कमांड सेंटर बनाया जाएगा. यहीं से प्रदेश भर में संचालित हो रहे वाहनों की मॉनिटरिंग होगी.

राज्य सड़क परिवहन निगम
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Published : Jun 1, 2022, 8:27 PM IST

लखनऊः भारत सरकार की तरफ से जारी टेक्निकल स्टैंडर्ड का नाम एआईएस 140 है. इसी कोड पर व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस बनी है. उसे अब पब्लिक सर्विस व्हीकल में लगाने की तैयारी है. इस कोडिंग डिवाइस की खासियत यही होगी कि इसे किसी भी कीमत पर विदेशी सैटेलाइट्स लोकेट नहीं कर पाएगी. पैनिक बटन भी इस डिवाइस के साथ लगाए जाएंगे. जिससे मदद की जरूरत पड़ने पर लोगों को तत्काल सहायता पहुंचाई जा सके. डिवाइस लगे वाहनों की ट्रैकिंग के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम मुख्यालय में एक बड़ा कंट्रोल कमांड सेंटर बनाया जाएगा. यहां पर 22 फुट की वीडियो वॉल बनेगी. यहीं से प्रदेश भर में संचालित हो रहे वाहनों की मॉनिटरिंग होगी.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय
इंडियन रीजनल नेवीगेशनल सैटेलाइट सिस्टम पर जाएगा डाटा सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल 125 (एच) में 2017 में संशोधन हुआ और एक जनवरी 2019 से इसे लागू किया गया. इसमें तय किया गया कि कोई भी वाहन निर्माता बगैर एआईएस 140 मानक के वाहन को बाहर नहीं भेजेगा. इसी एआईएस 140 कोड पर यह डिवाइस बनकर तैयार हो रही है. केंद्र सरकार की तरफ से इस कोड को मान्यता दी गई है. इस कोड पर बनी डिवाइस को विदेशी सैटेलाइट पकड़ पाए, यह संभव नहीं है. इसका डाटा (आईआरएनएसएस) इंडियन रीजनल नेवीगेशनल सैटेलाइट सिस्टम पर जाता है. वहां से यह डाटा ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के सेटअप पर आएगा, जिसे व्हीकल ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म कहा जाएगा. इसे चार लाख से ज्यादा व्यावसायिक वाहनों में लगाया जाएगा. रोडवेज के अफसर बताते हैं कि ऐसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट जो परमिट से आच्छादित हैं और यात्रियों को लाने और ले जाने का काम करते हैं, उन वाहनों के लिए यह डिवाइस अनिवार्य होगी. सिर्फ भारतीय सैटेलाइट्स कर सकेंगी ट्रैक: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के एक सीनियर अधिकारी बताते हैं कि पहले सेना के वाहनों में जो डिवाइस लगी होती थी, विदेशी सैटेलाइट्स सेना के मूवमेंट की लोकेशन ट्रैक कर लेती थीं, जिससे सुरक्षा में सेंध लगाने की संभावना पैदा हो जाती थी. इसके बाद सेना के वाहनों में एक कोडेड डिवाइस लगाई गई. अब कोई भी विदेशी सैटेलाइट वाहन के मूवमेंट को ट्रैक नहीं कर पाती है. अब इसी तरह की डिवाइस उत्तर प्रदेश की सड़कों पर संचालित हो रहे पब्लिक सर्विस व्हीकल में लगाए जाने की तैयारी हो रही है. अफसरों का दावा है कि पाकिस्तान, चीन और अमेरिकी सैटेलाइट्स भी वाहनों में लगी इस डिवाइस के चलते वाहन की लोकेशन ट्रैक करने में सफल नहीं हो सकती हैं.सवारी ढोने वाले वाहनों में लगेंगे पैनिक बटन: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि इन वाहनों में रोडवेज बस, प्राइवेट बस, रेडियो टैक्सी और कैब शामिल होंगे. पब्लिक सर्विस वाहनों में यह डिवाइस लगेगी तो इससे पता चल जाएगा कि वाहन की लोकेशन क्या है, उसका परमिट किस रूट का है और क्या परमिट के इतर किसी भी रूट पर वाहन संचालित हो रहे हैं. इससे अधिकारियों को कार्रवाई करने में भी आसानी होगी. इसके अलावा इस डिवाइस में पैनिक बटन भी लगा होगा. बसों में 10-10 पैनिक बटन लगाए जाएंगे. भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने जो व्यवस्था की है उसके मुताबिक पैनिक बटन दबाते ही ऑटोमेटिक कॉल पुलिस कमांड रूम 112 पर जाएगी. इसके बाद तत्काल इसकी सूचना तकरीबन 5000 मोबाइल वैन पर जाएगी. इसके बाद तत्काल मौके पर सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. धूप और बरसात में भी नहीं होगी खराब अधिकारी बताते हैं कि इस डिवाइस की एक बड़ी खासियत यह होगी कि धूप और बरसात में भी यह खराब नहीं होगी. जिस तरह से एयरक्राफ्ट का ब्लैक बॉक्स होता है उसी तरह की इस डिवाइस की भी सेफ्टी है. जिस वाहन में ये कोडिंग डिवाइस लगेगी उसका एक सीरियल नंबर जारी हो जाएगा. जिससे इसका डाटा कलेक्ट किया जाएगा. डिवाइस के साथ वाहन स्पेसिफिक होकर रह जाएगा.

ये भी पढ़ें : आखिर कब होगी हाईवे किनारे चल रहे अवैध ढाबों पर कार्रवाई?

यूपीएसआरटीसी के एमडी आरपी सिंह ने बताया कि एआईएस कोड पर आधारित डिवाइस रोडवेज बसों के साथ ही पब्लिक सर्विस व्हीकल में भी लगाई जाएगी. यह डिवाइस पूरी तरह सुरक्षित होगी. डिवाइस से लैस वाहन की लोकेशन ट्रैक कर पाना किसी भी विदेशी सैटेलाइट के लिए आसान नहीं होगा. भारत सरकार ने इस कोड को मान्यता दी है. यह कोड पूरी तरह सुरक्षित है. सभी सवारी वाहनों में डिवाइस लगने के बाद सेंट्रल कमांड कंट्रोल सेंटर से हर वाहन की गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी. पैनिक बटन लगे होने से तत्काल किसी को आवश्यकता पड़ेगी तो इंटरसेप्टर से मदद पहुंचाई जाएगी.

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लखनऊः भारत सरकार की तरफ से जारी टेक्निकल स्टैंडर्ड का नाम एआईएस 140 है. इसी कोड पर व्हीकल लोकेशन ट्रैकिंग डिवाइस बनी है. उसे अब पब्लिक सर्विस व्हीकल में लगाने की तैयारी है. इस कोडिंग डिवाइस की खासियत यही होगी कि इसे किसी भी कीमत पर विदेशी सैटेलाइट्स लोकेट नहीं कर पाएगी. पैनिक बटन भी इस डिवाइस के साथ लगाए जाएंगे. जिससे मदद की जरूरत पड़ने पर लोगों को तत्काल सहायता पहुंचाई जा सके. डिवाइस लगे वाहनों की ट्रैकिंग के लिए उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम मुख्यालय में एक बड़ा कंट्रोल कमांड सेंटर बनाया जाएगा. यहां पर 22 फुट की वीडियो वॉल बनेगी. यहीं से प्रदेश भर में संचालित हो रहे वाहनों की मॉनिटरिंग होगी.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय
इंडियन रीजनल नेवीगेशनल सैटेलाइट सिस्टम पर जाएगा डाटा सेंट्रल मोटर व्हीकल रूल 125 (एच) में 2017 में संशोधन हुआ और एक जनवरी 2019 से इसे लागू किया गया. इसमें तय किया गया कि कोई भी वाहन निर्माता बगैर एआईएस 140 मानक के वाहन को बाहर नहीं भेजेगा. इसी एआईएस 140 कोड पर यह डिवाइस बनकर तैयार हो रही है. केंद्र सरकार की तरफ से इस कोड को मान्यता दी गई है. इस कोड पर बनी डिवाइस को विदेशी सैटेलाइट पकड़ पाए, यह संभव नहीं है. इसका डाटा (आईआरएनएसएस) इंडियन रीजनल नेवीगेशनल सैटेलाइट सिस्टम पर जाता है. वहां से यह डाटा ट्रांसपोर्ट कमिश्नर के सेटअप पर आएगा, जिसे व्हीकल ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म कहा जाएगा. इसे चार लाख से ज्यादा व्यावसायिक वाहनों में लगाया जाएगा. रोडवेज के अफसर बताते हैं कि ऐसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट जो परमिट से आच्छादित हैं और यात्रियों को लाने और ले जाने का काम करते हैं, उन वाहनों के लिए यह डिवाइस अनिवार्य होगी. सिर्फ भारतीय सैटेलाइट्स कर सकेंगी ट्रैक: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के एक सीनियर अधिकारी बताते हैं कि पहले सेना के वाहनों में जो डिवाइस लगी होती थी, विदेशी सैटेलाइट्स सेना के मूवमेंट की लोकेशन ट्रैक कर लेती थीं, जिससे सुरक्षा में सेंध लगाने की संभावना पैदा हो जाती थी. इसके बाद सेना के वाहनों में एक कोडेड डिवाइस लगाई गई. अब कोई भी विदेशी सैटेलाइट वाहन के मूवमेंट को ट्रैक नहीं कर पाती है. अब इसी तरह की डिवाइस उत्तर प्रदेश की सड़कों पर संचालित हो रहे पब्लिक सर्विस व्हीकल में लगाए जाने की तैयारी हो रही है. अफसरों का दावा है कि पाकिस्तान, चीन और अमेरिकी सैटेलाइट्स भी वाहनों में लगी इस डिवाइस के चलते वाहन की लोकेशन ट्रैक करने में सफल नहीं हो सकती हैं.सवारी ढोने वाले वाहनों में लगेंगे पैनिक बटन: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि इन वाहनों में रोडवेज बस, प्राइवेट बस, रेडियो टैक्सी और कैब शामिल होंगे. पब्लिक सर्विस वाहनों में यह डिवाइस लगेगी तो इससे पता चल जाएगा कि वाहन की लोकेशन क्या है, उसका परमिट किस रूट का है और क्या परमिट के इतर किसी भी रूट पर वाहन संचालित हो रहे हैं. इससे अधिकारियों को कार्रवाई करने में भी आसानी होगी. इसके अलावा इस डिवाइस में पैनिक बटन भी लगा होगा. बसों में 10-10 पैनिक बटन लगाए जाएंगे. भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने जो व्यवस्था की है उसके मुताबिक पैनिक बटन दबाते ही ऑटोमेटिक कॉल पुलिस कमांड रूम 112 पर जाएगी. इसके बाद तत्काल इसकी सूचना तकरीबन 5000 मोबाइल वैन पर जाएगी. इसके बाद तत्काल मौके पर सहायता उपलब्ध कराई जाएगी. धूप और बरसात में भी नहीं होगी खराब अधिकारी बताते हैं कि इस डिवाइस की एक बड़ी खासियत यह होगी कि धूप और बरसात में भी यह खराब नहीं होगी. जिस तरह से एयरक्राफ्ट का ब्लैक बॉक्स होता है उसी तरह की इस डिवाइस की भी सेफ्टी है. जिस वाहन में ये कोडिंग डिवाइस लगेगी उसका एक सीरियल नंबर जारी हो जाएगा. जिससे इसका डाटा कलेक्ट किया जाएगा. डिवाइस के साथ वाहन स्पेसिफिक होकर रह जाएगा.

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यूपीएसआरटीसी के एमडी आरपी सिंह ने बताया कि एआईएस कोड पर आधारित डिवाइस रोडवेज बसों के साथ ही पब्लिक सर्विस व्हीकल में भी लगाई जाएगी. यह डिवाइस पूरी तरह सुरक्षित होगी. डिवाइस से लैस वाहन की लोकेशन ट्रैक कर पाना किसी भी विदेशी सैटेलाइट के लिए आसान नहीं होगा. भारत सरकार ने इस कोड को मान्यता दी है. यह कोड पूरी तरह सुरक्षित है. सभी सवारी वाहनों में डिवाइस लगने के बाद सेंट्रल कमांड कंट्रोल सेंटर से हर वाहन की गतिविधि पर नजर रखी जा सकेगी. पैनिक बटन लगे होने से तत्काल किसी को आवश्यकता पड़ेगी तो इंटरसेप्टर से मदद पहुंचाई जाएगी.

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