ETV Bharat / city

बच्चों के साथ क्रूरता करने वाले मौलाना को जेल भिजवाएगा बाल आयोग

दो किशोरों के साथ ये क्रूरता राजधानी के गोसाईंगंज थाना अंतर्गत शिवलर स्थित सुफ्फा मदीनतुल उलम मदरसा के मौलाना ने की थी. शुक्रवार दोपहर किशोरों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो लोगों ने पुलिस को सूचना दी.

बच्चों के साथ क्रूरता
बच्चों के साथ क्रूरता
author img

By

Published : May 28, 2022, 3:10 PM IST

लखनऊ : राजधानी में दो बच्चों के पैरों में बेड़ियां डालकर ताला लगाकर मदरसे में बंद रखा गया. पुलिस ने महज इसलिए कार्रवाई नहीं की क्योंकि पीड़ित बच्चों के पिता ने कार्रवाई करने से मना कर दिया. वो भी तब जब दोनों ही पीड़ित बच्चे रो रोकर अपने साथ हुई क्रूरता की कहानी को खुद बयां कर रहे थे. पुलिस की मानें तो वो कार्रवाई तब करेगी जब उसे कोई शिकायत मिलेगी. अब इस मामले में बाल संरक्षण आयोग ने पुलिस के कार्रवाई न करने पर नाराजगी जाहिर की है.

पुलिस कर रही तहरीर का इंतजार : दो किशोरों के साथ ये क्रूरता राजधानी के गोसाईंगंज थाना अंतर्गत शिवलर स्थित सुफ्फा मदीनतुल उलम मदरसा के मौलाना ने की थी. शुक्रवार दोपहर किशोरों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो लोगों ने पुलिस को सूचना दी. हालांकि, दोनों के परिजनों ने थाने में लिखित में दिया है कि उन्होंने ही सख्ती करने के लिए कहा था और उन्हें कोई कार्रवाई नहीं चाहिए. गोसाईगंज थाना प्रभारी शैलेन्द्र गिरी ने बताया कि बच्चों को जब मदरसे से छुड़ाया गया तो दोनों के ही परिजनों ने कोई भी कार्रवाई करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि वो शिकायत का इंतजार कर रहे हैं. अगर कोई शिकायती पत्र देगा तो कार्रवाई हो सकेगी.

कानूनी जानकार इसे मानते हैं क्रूरता : ऐसे में अब कानूनी जानकार इस मामले में पिता के मना करने मात्र से पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने पर सवाल उठा रहे हैं. हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रिंस लेनिन कहते हैं कि मदरसे में मौलाना द्वारा किया गया ये कृत्य 'Wrongfully Confinement' की श्रेणी में आता है. यानी कि जान बूझकर बच्चे को उसकी मर्जी के बिना बांध कर रखना. लेनिन के मुताबिक, किसी भी बच्चे के साथ अपराध चाहे माता-पिता करें या फिर कोई अन्य, अपराधी सभी होते हैं. लेनिन पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने पर हैरानी जाहिर करते हुए कहते हैं कि जब अपराध बच्चे के साथ हुआ हो तो पिता कैसे गलत करार दे सकता है.

बाल संरक्षण आयोग हुआ नाराज : मदरसे में दो बच्चों के साथ हुई इस क्रूरता पर बाल संरक्षण आयोग ने भी नाराजगी जाहिर की है. यही नहीं पुलिस की ओर से मदरसा संचालक के खिलाफ कार्रवाई न होने पर आयोग सदस्य अनिता अग्रवाल ने कहा कि किसी भी बच्चे के साथ क्रूरता होती है तो कार्रवाई के लिए उसके पिता कैसे मना कर सकते हैं. यही नहीं, पुलिस ने अब तक इस मामले में एफआईआर तक नहीं दर्ज की इस पर आश्चर्य हो रहा है. अनिता अग्रवाल ने कहा कि वो पुलिस को नोटिस जारी करेंगी. वो खुद उन बच्चों से मिलने जाएंगी.

ये भी पढ़ें : पति को आत्महत्या के लिए उकसाने वाली पत्नी को पांच साल की कैद

टीचर नहीं कर सकता है प्रताड़ित : पीड़ित किशोरों के परिजनों ने कहा कि उन्होंने ही पढ़ने के लिए बच्चों को बांधकर रखने के लिए कहा था. ऐसे में राइट-टू-एजुकेशन एक्ट में इसके बारे में जिक्र किया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील सौरभ चतुर्वेदी बताते हैं कि राइट-टू-एजुकेशन एक्ट-17 के तहत यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई भी टीचर किसी स्टूडेंट को मानसिक व शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करता है. उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. सर्विस रूल के हिसाब से ऐसे दोषी टीचर के खिलाफ मिस कंडक्ट के लिए कार्रवाई की जा सकती है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊ : राजधानी में दो बच्चों के पैरों में बेड़ियां डालकर ताला लगाकर मदरसे में बंद रखा गया. पुलिस ने महज इसलिए कार्रवाई नहीं की क्योंकि पीड़ित बच्चों के पिता ने कार्रवाई करने से मना कर दिया. वो भी तब जब दोनों ही पीड़ित बच्चे रो रोकर अपने साथ हुई क्रूरता की कहानी को खुद बयां कर रहे थे. पुलिस की मानें तो वो कार्रवाई तब करेगी जब उसे कोई शिकायत मिलेगी. अब इस मामले में बाल संरक्षण आयोग ने पुलिस के कार्रवाई न करने पर नाराजगी जाहिर की है.

पुलिस कर रही तहरीर का इंतजार : दो किशोरों के साथ ये क्रूरता राजधानी के गोसाईंगंज थाना अंतर्गत शिवलर स्थित सुफ्फा मदीनतुल उलम मदरसा के मौलाना ने की थी. शुक्रवार दोपहर किशोरों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो लोगों ने पुलिस को सूचना दी. हालांकि, दोनों के परिजनों ने थाने में लिखित में दिया है कि उन्होंने ही सख्ती करने के लिए कहा था और उन्हें कोई कार्रवाई नहीं चाहिए. गोसाईगंज थाना प्रभारी शैलेन्द्र गिरी ने बताया कि बच्चों को जब मदरसे से छुड़ाया गया तो दोनों के ही परिजनों ने कोई भी कार्रवाई करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि वो शिकायत का इंतजार कर रहे हैं. अगर कोई शिकायती पत्र देगा तो कार्रवाई हो सकेगी.

कानूनी जानकार इसे मानते हैं क्रूरता : ऐसे में अब कानूनी जानकार इस मामले में पिता के मना करने मात्र से पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने पर सवाल उठा रहे हैं. हाईकोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रिंस लेनिन कहते हैं कि मदरसे में मौलाना द्वारा किया गया ये कृत्य 'Wrongfully Confinement' की श्रेणी में आता है. यानी कि जान बूझकर बच्चे को उसकी मर्जी के बिना बांध कर रखना. लेनिन के मुताबिक, किसी भी बच्चे के साथ अपराध चाहे माता-पिता करें या फिर कोई अन्य, अपराधी सभी होते हैं. लेनिन पुलिस द्वारा कार्रवाई न करने पर हैरानी जाहिर करते हुए कहते हैं कि जब अपराध बच्चे के साथ हुआ हो तो पिता कैसे गलत करार दे सकता है.

बाल संरक्षण आयोग हुआ नाराज : मदरसे में दो बच्चों के साथ हुई इस क्रूरता पर बाल संरक्षण आयोग ने भी नाराजगी जाहिर की है. यही नहीं पुलिस की ओर से मदरसा संचालक के खिलाफ कार्रवाई न होने पर आयोग सदस्य अनिता अग्रवाल ने कहा कि किसी भी बच्चे के साथ क्रूरता होती है तो कार्रवाई के लिए उसके पिता कैसे मना कर सकते हैं. यही नहीं, पुलिस ने अब तक इस मामले में एफआईआर तक नहीं दर्ज की इस पर आश्चर्य हो रहा है. अनिता अग्रवाल ने कहा कि वो पुलिस को नोटिस जारी करेंगी. वो खुद उन बच्चों से मिलने जाएंगी.

ये भी पढ़ें : पति को आत्महत्या के लिए उकसाने वाली पत्नी को पांच साल की कैद

टीचर नहीं कर सकता है प्रताड़ित : पीड़ित किशोरों के परिजनों ने कहा कि उन्होंने ही पढ़ने के लिए बच्चों को बांधकर रखने के लिए कहा था. ऐसे में राइट-टू-एजुकेशन एक्ट में इसके बारे में जिक्र किया गया है. इलाहाबाद हाईकोर्ट के वकील सौरभ चतुर्वेदी बताते हैं कि राइट-टू-एजुकेशन एक्ट-17 के तहत यह प्रावधान किया गया है कि अगर कोई भी टीचर किसी स्टूडेंट को मानसिक व शारीरिक तौर पर प्रताड़ित करता है. उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. सर्विस रूल के हिसाब से ऐसे दोषी टीचर के खिलाफ मिस कंडक्ट के लिए कार्रवाई की जा सकती है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.