लखनऊ: उत्तरप्रदेश की राजधानी में इमाम हुसैन सहित कर्बला के 72 शहीदों की याद में मंगलवार को चेहल्लुम मनाया गया. इस वर्ष भी कोरोना के खतरे के चलते बेहद सादगी के साथ चेहल्लुम सम्पन्न हुआ. सरकार की गाइडलाइन के अनुसार मजलिस में केवल 100 लोगों को ही शिरकत करने की अनुमति दी गई थी और जुलूस निकालने पर पूरी तरह से प्रतिबंध था. पुराने लखनऊ में इस दौरान पुलिस का कड़ा पहरा रहा और RAF की टुकड़ियों सहित कमांडो भी तैनात रहे.
एडीसीपी पश्चिम चिरंजीवी सिन्हा ने बताया कि चेहल्लुम को सकुशल सम्पन्न कराने के लिए 14 अपर पुलिस अधीक्षक, 29 उप-पुलिस अधीक्षक, 25 प्रभारी निरीक्षक समेत 10 कम्पनी पीएसी और एक कम्पनी आरएएफ सहित कमांडोज की भी तैनाती की गई. सम्पूर्ण क्षेत्र को पांच जोन और 18 सेक्टर में बांटकर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच बेहद सादगी से सकुशल चेहल्लुम सम्पन्न कराया गया. एडीसीसीपी ने बताया कि अंजुमनों से बातचीत कर पहले ही शासन के जारी दिशा निर्देशों की जानकारी दी गयी थी. इसके चलते कम लोगों के बीच ही कदीमी मजलिस को सम्पन्न कराया गया और जुलूस पर पूरी तरह से रोक रही.
शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि आज से साढ़े तेरह सौ साल पहले इमाम हुसैन ने इस्लाम को बचाने के लिए बहुत बड़ी कुर्बानी दी थी. यह एक ऐसी कुर्बानी है, जो आज तक मनाई जा रही है और कयामत तक मनाई जाती रहेगी. मौलाना ने कहा कि इमाम हुसैन की कुर्बानी सिर्फ मुसलमान ही नहीं हर धर्म वाला मानता है, यही इसकी विशेषता है.
ये भी पढ़ें- 10 हजार व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर विजय रथ पर सवार होगी बीजेपी !
जुलूस पर लगी रोक को लेकर मौलाना कल्बे जवाद ने कहा कि सियासी जुलूसों पर कोई रोक नहीं लगी है, सिर्फ धार्मिक जुलूसों पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर पाबंदी होनी चाहिये तो पचास हजार लोगों के साथ हो रहे सियासी जुलूसों पर भी होना चाहिए.