लखनऊ: सीजेएम रवि कुमार गुप्ता ने कूटरचित दस्तावेजों के जरिए एक निष्क्रांत जमीन पर मकान का अवैध निर्माण कराने के आपराधिक मामले में निरुद्ध मुल्जिम मुख्तार अंसारी के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए मामले की अगली सुनवाई दो नवंबर को तय की है. सोमवार को इस मामले में मुख्तार अंसारी को बांदा जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश किया गया था.
इस मामले में मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी व उमर अंसारी भी मुल्जिम है. इनके खिलाफ पहले ही आरोप पत्र दाखिल हो चुका है. मुल्जिमों के खिलाफ आईपीसी की धारा 120बी, 420, 467, 468 व 471 के साथ ही सार्वजनिक सम्पति निवारण नुकसान निवारण अधिनियम की धारा 3 में आरोप पत्र दाखिल किया गया है. 27 अगस्त, 2020 को इस मामले की एफआईआर प्रभारी लेखपाल सुरजन लाल ने थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी.
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इसके मुताबिक राजधानी के जियामऊ इलाके की एक निष्क्रांत जमीन पर फर्जी दस्तावेजों के जरिए व अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर मुल्जिमों ने अवैध रुप से मकान का निर्माण कराया है. मुल्जिमों ने आपराधिक षडयंत्र से मकान का नक्शा पास कराकर निर्माण कराया और करोड़ों की सरकारी सम्पति का नुकसान करते हुए जमीन को हड़प लिया था.
वहीं इस साल फरवरी महीने में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने मुख्तार अंसारी की उस याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें उसके खिलाफ हजरतगंज थाने में दर्ज एफआईआर को चुनौती दी गई थी. इस एफआईआर में मुख्तार व उसके बेटों पर जियामऊ इलाके में एक निष्क्रांत सम्पति को अवैध रूप से कूटरचित दस्तावेजों के सहारे हथियाने और अवैध निर्माण करने का आरोप था.
क्या है निष्क्रांत संपत्ति: विभाजन के समय जो लोग भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए थे, उनकी जो भूमि यहां थी, उसे निष्क्रांत श्रेणी में रखा गया था. यह भूमि केवल उन्हीं लोगों को आवंटित की जा सकती थी, जो विभाजन के समय पाकिस्तान से वहां अपनी संपत्ति छोड़कर यहां आए थे.