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किसानों के साथ केंद्र सरकार ने किया छल: आरएलडी - 700 farmer martyrs

राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने शनिवार को केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार ने किसानों के साथ छल किया है. उन्होंने कहा कि समिति ने फसलों के एमएसपी में वृद्धि को जो मंजूरी दी है, वह ऊंट के मुंह में जीरा है.

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Published : Jun 11, 2022, 8:49 PM IST

लखनऊः राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने केन्द्र सरकार पर किसानों के साथ छल करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में समिति ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को जो मंजूरी दी है, वह ऊंट के मुंह में जीरा है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने एमएसपी तय करते समय किसानों की फसल की लागत पर खर्च होने वाले लेबर चार्ज, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई, बिजली, ईंधन आदि को ध्यान में नहीं रखा, जबकि महंगाई बढ़ने से फसल लागत बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि किसानों की फसलों की लागत बढ़ी होने पर भी मंडियों में लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है. सरकार का किसानों की आय दोगुनी करने का वादा जुमला बनकर रह गया है. किसानों के पास न दवाई के लिए पैसे हैं और न ही बच्चों की पढ़ाई के लिए. उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि क्षेत्र में अधिक फायदा हो, सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. जबकि कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य साधन है. केन्द्र सरकार ने कृषि में बढ़ती लागत और महंगाई की मार झेल रहे देश के करोड़ों किसानों के साथ धोखा किया है.

ये भी पढ़ें : लखनऊ के ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में बेहतर इलाज की तैयारी, अस्पतालों में 122 डॉक्टरों की होगी नियुक्ति

उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं किसान आन्दोलन के समय लगभग 700 किसान शहीद हो गए थे और सरकार उन्हें खालिस्तानी व आतंकवादी कहती रही. उनको श्रद्धांजलि देना भी उचित नहीं समझा था. आखिर में अन्नदाता ही विजयी हुए और सरकार को अपनी हठधर्मिता को छोड़ना पड़ा.

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लखनऊः राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय ने केन्द्र सरकार पर किसानों के साथ छल करने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में समिति ने फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि को जो मंजूरी दी है, वह ऊंट के मुंह में जीरा है.

उन्होंने कहा कि सरकार ने एमएसपी तय करते समय किसानों की फसल की लागत पर खर्च होने वाले लेबर चार्ज, बीज, उर्वरक, खाद, सिंचाई, बिजली, ईंधन आदि को ध्यान में नहीं रखा, जबकि महंगाई बढ़ने से फसल लागत बढ़ गई है. उन्होंने कहा कि किसानों की फसलों की लागत बढ़ी होने पर भी मंडियों में लाभकारी मूल्य नहीं मिल रहा है. सरकार का किसानों की आय दोगुनी करने का वादा जुमला बनकर रह गया है. किसानों के पास न दवाई के लिए पैसे हैं और न ही बच्चों की पढ़ाई के लिए. उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि क्षेत्र में अधिक फायदा हो, सरकार का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. जबकि कृषि क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था का मुख्य साधन है. केन्द्र सरकार ने कृषि में बढ़ती लागत और महंगाई की मार झेल रहे देश के करोड़ों किसानों के साथ धोखा किया है.

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उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं किसान आन्दोलन के समय लगभग 700 किसान शहीद हो गए थे और सरकार उन्हें खालिस्तानी व आतंकवादी कहती रही. उनको श्रद्धांजलि देना भी उचित नहीं समझा था. आखिर में अन्नदाता ही विजयी हुए और सरकार को अपनी हठधर्मिता को छोड़ना पड़ा.

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