लखनऊ: राजधानी में वारदात को अंजाम देकर गाड़ी से भाग रहा अपराधी हो या फिर भीड़ वाले इलाके में पुलिस को चकमा देकर कोई छिपा हुआ हो, लखनऊ पुलिस की तीसरी आंख ढूंढ निकालेगी. जल्द ही शहर में सीसीटीएनएस 100 इंटेलिजेंस कैमरे (100 intelligence cameras) इंस्टाल करेगी. जिसमें प्रमुख रूप से नंबर प्लेट रिकॉर्ड (एनपीआर) फेस रिकॉग्निसर कैमरे लगाये जाएंगे.
लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट की प्रवक्ता व डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक ने बताया कि पुलिस की प्राथमिकता अपराध को होने से रोकना व अपराधियों को जल्द से जल्द पकड़ने की होती है. इसके लिये हम लोग लेटेस्ट टेक्नोलॉजी का प्रयोग भी करते हैं. उन्होंने बताया कि क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क सिस्टम (CCTNS) के तहत राजधानी में 100 इंटेलिजेंस कैमरे लगाए जाएंगे. इन कैमरों को लगाने के लिये स्थानों को भी चिन्हित कर लिया गया है.
डीसीपी ने बताया कि प्रमुख तौर पर दो तरह के कैमरे लगाए जा रहे हैं, इसमें नंबर प्लेट रिकॉर्ड (एनपीआर) व फेस रिकॉग्निसर कैमरे शामिल हैं. डीसीपी के मुताबिक, सर्वे में पाया गया है कि घटना को अंजाम देने के बाद अपराधी शहर के बाहर बने हाईवे के रास्ते भाग निकलने में कामयाब हो जाते हैं. शहर में लगे CCTV कैमेरों में उनकी गाड़ी का नंबर रिकॉर्ड होने के बावजूद उन्हें पकड़ने या फिर ट्रेस करने में समस्या आती है, लेकिन एनपीआर कैमरे लगे होने से हमें बस उनकी गाड़ी का नंबर सॉफ़्टवेयर में डालना होगा और उसके बाद वो जिस भी एनपीआर के सामने से गुजरे होंगे, हमें अलर्ट मिल जाएगा. यही नहीं उनके सम्भावित मार्गों में घेराबंदी कर पकड़ा जा सकेगा. उन्होंने बताया कि शहर के जितने भी मार्ग फैजाबाद, सीतापुर, हरदोई, कानपुर व प्रयागराज हाईवे को जोड़ते हैं, उन सभी जगहों पर एनपीआर कैमरे लगाए जाएंगे. शहीद पथ पर भी यह कैमरे इंस्टॉल किए जाएंगे.
डीसीपी अपर्णा ने बताया कि इसी तरह फेस रिकॉग्निसर कैमरा भी एनपीआर की ही तरह कार्य करेगा. इसमें इतना फर्क होगा कि यह नंबर प्लेट की जगह चेहरे की पहचान करेगा. उन्होंने बताया कि यह कैमरा सिर्फ अपराधियों को पकड़ने के लिए ही नहीं बल्कि मिसिंग लोगों को ढूंढने के लिये भी सहायक होगा. इसके लिये इन कैमरे को भीड़ वाली जगहों जैसे बस अड्डा, रेलवे स्टेशन व बड़ी बाजारों में लगाया जाएगा. उन्होंने बताया कि, यदि कोई अपराधी अपराध कर बस या ट्रेन से भागने की फिराक में होगा और इन जगहों पर जायेगा तो पहले से ही सॉफ़्टवेयर में अपलोड तश्वीर से उनका मिलान होते ही कंट्रोल रूम को अलर्ट मिल जायेगा. इसी तरह जिन मिसिंग व्यक्ति की तश्वीर सीसीटीएनएस में पहले से ही अपलोड होगी वह जैसे ही रेलवे व बस स्टेशन में वह आता है तो हमें पता चल सकेगा.
जल्द मिलेंगे बॉडी वॉर्न व ड्रोन कैमरे : उत्तर प्रदेश में पुलिस फोर्स के लिये जल्द ही योगी सरकार 25 हजार नए बॉडी वॉर्न कैमरे लेगी. यही नहीं 425 ड्रोन कैमरे भी लिए जाएंगे. इस ड्रोन की खास बात यह रहेगी कि इनके कैमरे स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर के तहत डेवलअप किए गए हैं. यानिकि इन कैमरों में रिकॉर्ड हुए फुटेज को डिलीट नहीं किया जा सकता है. साथ ही फुटेज को सेंट्रल सर्वर पर आसानी से भेजा जा सकता है.
यह भी पढ़ें : तकनीकी शिक्षा से मजबूत होता है देश, विकास को मिलती है गति- ब्रजेश पाठक
डीजी लॉजिस्टिक बीके मौर्य के मुताबिक, वर्तमान पुलिस के पास 3635 बॉडी वॉर्म कैमरे का इस्तेमाल कानून व्यवस्था में किया जाता है, जिसमें 2652 बॉडी वॉर्म कैमरे का इस्तेमाल ट्रैफिक ड्यूटी में किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि सिविल पुलिस के लिए 25 हजार और कैमरे खरीदने की तैयारी है.
यह भी पढ़ें : पतंजलि योगपीठ का कर्मचारी बताकर 1 लाख 26 हजार ठगे, मुकदमा दर्ज