लखनऊ: कैब फ्लीट टेक्नोलॉजी कंपनी के खिलाफ पुलिस ने जांच शुरू कर दी. चालकों ने कैब कंपनी के साथ ही दूसरी निजी कंपनी पर भी धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया. आरोप है कि इन कंपनियों के कारण करीब 700 से अधिक चालकों की आजीविका संकट में पड़ गई.
विभूतिखंड थाना क्षेत्र के विजय खंड के रहने वाले गंगाभक्त की मानें तो इस कैब कंपनी ने एक स्कीम निकाली थी. जिसके बाद ही वह साल 2017 में कंपनी के ड्राइवर बने थे. गंगाभक्त का कहना है कि स्कीम में कहा गया था कि कैब चालकों को 25000 रुपये प्रतिमाह दिया जाएगा. यह स्कीम देखने के कारण वह चालक बने और उनसे कंपनी ने 21000 रुपये सिक्योरिटी मनी के रूप में जमा कराए थे.
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गंगा भक्त ने कहा कि अधिकारियों ने उसको बताया था कि कंपनी साढ़े चार साल बाद उस कैब को चालक के नाम पर ही रजिस्टर करवा देगी. इस वजह से कंपनी में 700 से अधिक ड्राइवर जुड़ गए थे. गंगा भक्त की मानें तो हर कैब चालक ने प्रति माह 830 रुपये किस्त जमा की थी. कैब चालकों ने करीब ढाई साल तक किस्तें जमा कीं. लॉकडाउन लगने की वजह से उनका काम बंद हो गया और वह लोग किस्त नहीं दे पाए. इसके बाद उनकी गाड़ियां कंपनी ने ले लीं. कंपनी ने कहा था कि लॉकडाउन खुलने के बाद उनको यह गाड़ियां लौटा दी जाएंगी.
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विभूतिखंड इंस्पेक्टर चंद्र शेखर मिश्रा ने बताया कि कैब चालकों की ओर से एक शिकायती पत्र दिया गया. उसके आधार पर कैब फ्लीट टेक्नोलॉजी कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया. कैब चालकों ने कंपनी पर डेढ़ करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने का आरोप लगाया है. फिलहाल इस मामले की जांच की जा रही है.