कानपुर: शहर के चिड़ियाघर को अत्यधिक सुंदर और आकर्षक बनाने के लिए जितने बजट की जरूरत है उतना नहीं मिल पाता है. इस वजह से प्राणि उद्यान में वन्यजीवों का न तो ठीक से खाना-पीना हो पाता है और न ही उनके रखरखाव के बेहतर प्रबंध हो पाते हैं. हालांकि, लगातार सालों से बजट की समस्या से जूझने वाले जू को अब जनता का सहारा मिलेगा.
कानपुर प्राणि उद्यान की ओर से इस साल ऐसे प्रोग्राम शुरू होंगे, जिनके माध्यम से आमजन को सीधा जोड़ा जाएगा. वन विभाग की वार्षिक योजना के तहत इन कार्यक्रमों का खाका खींचने के लिए सोमवार को प्रधान मुख्य वन संरक्षक संजय सिंह चिड़ियाघर पहुंचे. सोमवार को जू बंद रहता है, ऐसे में शांत माहौल के बीच प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने अधिकतर बाड़ों में जाकर वन्यजीवों का रखरखाव देखा और प्रशासनिक अफसरों से जानकारी ली. ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने कहा कि कानपुर प्राणि उद्यान को बजट कम मिलता है, लेकिन अब यहां जनता का सहयोग लेंगे और संसाधनों में इजाफा करेंगे. उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में कई नए मेहमान चिम्पैंजी, जिराफ, जंगली भैंसा व जंगली कुत्तों के दर्शक दीदार कर सकेंगे. चिड़ियाघर में बनी झील के सुंदरीकरण को लेकर कहा, कि जो-जो काम जरूरी है, उन्हें पूरा कराया जाएगा. ताकि अधिक से अधिक लोग जू घूमने आएं और यहां की जो प्राकृतिक सुंदरता है उसे देख सकें.
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कई तरह की रहीं चर्चाएं : तीन मई को जू में वन राज्यमंत्री केपी मलिक व वन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डा.अरुण सक्सेना ने निरीक्षण किया था. तब प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यजीव संजय सिंह साथ में थे. ठीक 13 दिनों बाद सोमवार को संजय सिंह दोबारा जू पहुंचे. ऐसे में उनके लगातार निरीक्षण को लेकर जू कैंपस में कर्मी व अफसर कई तरह की चर्चाएं करते रहे. कहा जा रहा है, कि वह एक गोपनीय जांच के मामले में जानकारी करने जू आए थे. हालांकि उन्होंने इस दौरान प्राणि उद्यान का निरीक्षण भी किया और व्यवस्थाओं की हकीकत परखी.
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