लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) निकाय चुनाव में वार्ड या महापौर का आरक्षण बदलने की दशा में परिवार के लोगों को टिकट नहीं देगी. जिससे समीकरणों पर बड़ा असर पड़ेगा. खासतौर पर महिला से पुरुष या पुरुष से महिला आरक्षण होने की दशा में इसका प्रभाव बड़े स्तर पर पड़ेगा. परिवारवाद के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी की नीति को लेकर यह फैसला लिया जा रहा है, ताकि पार्टी पर परिवारवाद का आरोप न लगे. फिलहाल भाजपा ने तय किया है कि जमीनी फीडबैक में जिस नेता का सकारात्मक रिजल्ट आएगा उसी को ही टिकट से नवाजा जाएगा. पार्टी परिवारवाद के खिलाफ नीति अपनाएगी.
उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव (Municipal elections in Uttar Pradesh) नवंबर तक होने की उम्मीद है. भारतीय जनता पार्टी के पास प्रदेश की अधिकांश महापौर सीट पर कब्जा है. वार्डों में भी भाजपा का प्रभुत्व है. इसलिए प्रदेश में निकाय चुनाव को लेकर सबसे अधिक मारामारी भाजपा के टिकट को लेकर हो रही है. प्रत्येक वार्ड और महापौर क्षेत्र में भाजपा के नेता अपने-अपने समीकरण फिट करने में लगे हुए हैं. जिसमें सबसे ज्यादा मारामारी ऐसी सीटों पर है जहां आरक्षण बदलने का अनुमान लगाया जा रहा है. पार्टी के कर्ताधर्ताओं की सोच कुछ अलग ही है. इसको लेकर भाजपा ने यह तय कर लिया है कि परिवारवाद को बिल्कुल बढ़ावा नहीं दिया जाएगा.
भारतीय जनता पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि जहां भी आरक्षण की व्यवस्था बदलनी है, वहां वर्तमान महापौर या पार्षद की जगह उसके परिवार के लोगों को टिकट नहीं दिया जाएगा. जहां परिवार के लोग भी पार्टी के साथ लंबे समय से जुड़े रहे हैं उनको ही टिकट दिया जाएगा. ऐसे में परिवार के सदस्यों के चुनाव लड़ाने की तैयारी करने वाले नेताओं के लिए बुरी खबर है.
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भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता हरीश चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि निश्चित तौर पर पार्टी परिवारवाद के खिलाफ है. पार्टी केवल उन लोगों को टिकट देगी जिनका फीडबैक सकारात्मक होगा.
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