लखनऊ : उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर सुधारने की एक अनूठी पहल की गई है. प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर यहां प्री प्राइमरी एजुकेशन के लिए बाल वाटिकाओं की शुरुआत की गई है. अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश भर में करीब 1.50 लाख से ज्यादा बाल वाटिकाओं की शुरुआत की गई है. ज्यादातर बाल वाटिकायें सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों से जुड़े आंगनबाड़ी केंद्रों में शुरू की गई हैं. वहीं कई ऐसे स्कूल भी हैं जहां आंगनबाड़ी केंद्र नहीं हैं, लेकिन शिक्षकों के प्रयासों से बाल वाटिकाओं की शुरुआत की गई है.
ईटीवी भारत की टीम ने लखनऊ के बेसिक विद्यालय जवाहर नगर में शिक्षिका नुसरत बेगम से बात की और उनके अनुभव जानें. शिक्षिका नुसरत बेगम ने बताया कि इन बाल वाटिका में बच्चों को किताबी ज्ञान से ज्यादा खेल-खेल में सीखने पर जोर दिया जा रहा है. इसमें बच्चों को कहानियां सुनाई जाती हैं. विभाग की तरफ से गतिविधियों की एक पूरी लिस्ट दी गई है, जिसके हिसाब से बच्चों को तैयार किया जा रहा है. इसका नतीजा है कि बच्चे नियमित रूप से स्कूल आ रहे हैं. खेल-खेल में इतना सीख जा रहे हैं जो कि सामान्य रूप से समझा पाना आसान नहीं था.
सरकारी स्कूलों में भी अब प्री प्राइमरी की कक्षाओं का संचालन किया जा रहा है. ऐसे स्कूल जिनमें आंगनबाड़ी केंद्र भी चल रहे हैं. वहां पर प्री प्राइमरी की कक्षाएं शुरू हो चुकी हैं. वहीं बेसिक शिक्षा परिषद के सभी सरकारी प्राइमरी स्कूलों में पहली कक्षा में पहुंचने वाले बच्चों के लिए बाल वाटिका की शुरुआत की गई है. इसके तहत पढ़ाई को रोचक बनाने के लिए 12 सप्ताह का एक पूरा कार्यक्रम निर्धारित किया गया है. जिनमें बच्चों को खेल-खेल में सीखने की प्रवृत्ति विकसित की जा रही है.
एडी बेसिक मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि बाल वाटिका बच्चों को स्कूल तथा सामाजिक परिवेश से जोड़ते हुए खेल-खेल में शिक्षित करने की प्रक्रिया है. इसका उद्देश्य बच्चों के मन से पढ़ाई का डर निकालते हुए रोचक सूट तरीके से शिक्षा से जोड़ना तथा उनकी मानसिक तथा बौद्धिक क्षमता का आकलन करते हुए शिक्षकों को उपचारात्मक शिक्षा प्रदान करना है.
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