लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस केस को लेकर सोमवार को सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया कि मामले में पुनरीक्षण याचिका पोषणीय (Maintainable- सुनवाई योग्य) नहीं है, लिहाजा न्यायालय ने याचिका को अपील में परिवर्तित करने का आदेश दिया. याचिका में सभी 32 अभियुक्तों को दोषी करार दिये जाने की भी मांग की गई है. याचिका में विशेष अदालत के अयोध्या प्रकरण में 30 सितम्बर 2020 के निर्णय को चुनौती दी गई है. मामले की अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी.
बाबरी विध्वंस के मामले में आरोपी बनाए गए लोगों को सीबीआई कोर्ट से बरी होने के बाद एक बार फिर उनको छोड़ने को लेकर सवाल खड़े किए जा रहे हैं. इसीलिए इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एक पुनर्विचार याचिका दाखिल की गई थी. यह याचिका बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में पक्षकार हाजी महबूब और सैयद अखलाक अहमद की तरफ से दाखिल की थी. इस पर आज सुनवाई होगी.
वैधानिकता को लेकर सुनवाई: हालांकि 2021 में ही यह याचिका दाखिल की गई थी लेकिन अब इसकी चर्चा इसलिए हो रही है कि आज इसकी वैधानिकता को लेकर सुनवाई होनी है. अगर पुनर्विचार याचिका स्वीकार कर ली जाती है तो एक बार फिर यह मामला सुर्खियों में आ जाएगा और सरकार समेत उन जीवित आरोपियों को नोटिस जारी कर दी जाएगी और उस पर बाकायदा फिर सुनवाई होगी. मगर यदि यह याचिका स्वीकार नहीं होती है तो खारिज होने के साथ ही इसका वैधानिक अस्तित्व समाप्त हो जाएगा.
इस हाईप्रोफाइल मामले में भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा समेत ऐसे कई बड़े नाम हैं जिनके कारण इस मामले की एक बार फिर चर्चा सुर्खियों में हैं. हालांकि आरोपी बनाए गए लोगों में लगभग आधे अब इस दुनिया में नहीं है लेकिन जितने लोग बचे हैं उनका वजूद इसे एक बार फिर सुर्खियों में ला देता है.
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इस मसले पर हाजी महबूब (पूर्व पक्षकार बाबरी मस्जिद) का कहना है कि याचिका को कई महीने हो गए 5 से 6 महीने से ऊपर हो गया, लेकिन सुनवाई होनी थी 18 तारीख को. उस पर पेशी है, उम्मीद करता हूं कि हमारी अपील मंजूर की जाएगी और केस शुरू हो जाएगा. मस्जिद को उन्होंने गिराया था और गिरवाया था और उसमें वह इंवॉल्व थे और उसके बाद अब अदालत उसका क्या फैसला देती है वह अदालत के ऊपर है.
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