लखनऊ : कोरोना वायरस (Corona virus) ने फेफड़ों पर बेहद खराब असर डाला है, यही कारण है कि पोस्ट कोविड के ज्यादातर मरीज अस्थमा के शिकार हो रहे हैं. जिन मरीजों में अस्थमा की शुरुआत हुई थी उनकी हालत इस समय काफी खराब है, जबकि जिन्हें सांस से संबंधित कोई बीमारी नहीं थी वह भी इस बीमारी से जूझ रहे हैं. केजीएमयू के पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर यूनिट विभाग के एचओडी डॉ. वेद प्रकाश बताते हैं कि कोरोना के कारण बहुत सारे लोग सांस संबंधी बीमारियों से पीड़ित हुए हैं, जिसमें अस्थमा और लंग्स इन्फेक्शन के मरीज अधिक बढ़ गए हैं. कोविड की पहली, दूसरी, तीसरी लहर के बाद अब चौथी लहर चल रही है, जिसमें लोग पोस्ट कोविड के शिकार हो रहे हैं.
उन्होंने बताया कि पहली, दूसरी और तीसरी कोविड लहर ने ह्यूमन बॉडी को पहले से ही कमजोर बना दिया है. व्यक्ति की इम्यूनिटी सिस्टम पहले की तुलना में इस समय काफी कमजोर हो चुकी है. वैक्सीन लगे होने के बावजूद भी लोगों की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव आ रही है. कोरोना वायरस ने ह्यूमन ऑर्गन पर काफी बुरा प्रभाव छोड़ा है. जिसकी वजह से बहुत सारे लोग कम उम्र में दुनिया से अलविदा कह रहे हैं.
ओपीडी में मरीजों की संख्या में इजाफा : उन्होंने बताया कि पोस्ट कोविड से पीड़ित मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. पोस्ट कोविड का असर शरीर के हर हिस्से में पड़ा है. सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ा है. इसमें कई विभाग आते हैं. पल्मोनरी एंड क्रिटिकल केयर यूनिट में रोजाना नए पुराने लगभग चार से पांच हजार मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं.
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केजीएमयू के अलावा लोहिया अस्पताल में भी सांस संबंधी मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है. पहले अस्पताल की ओपीडी में एक से दो हजार मरीज इलाज के लिए आते थे, लेकिन फिलहाल तीन हजार मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं. इसके अलावा सिविल अस्पताल में 200 से 250 मरीज रोजाना पहुंच रहे हैं. वहीं बलरामपुर अस्पताल में 300 से अधिक मरीज अस्पताल की ओपीडी में इलाज के लिए आ रहे हैं. इस समय लोकबंधु अस्पताल में रोजाना 500 मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं. अस्पतालों में इस समय सांस की समस्या से पीड़ित मरीजों की संख्या में 40 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
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