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विपक्षी दलों के सभी नेता ट्विटर और दफ्तर से सक्रिय, धरातल पर संघर्ष कर रहे ये नेता

राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ही इकलौते ऐसे विपक्ष के नेता हैं जो जमीन पर उतरकर संघर्ष करने में लगे हुए हैं. जयंत चौधरी ने हाल ही में अपने सभी विधायकों को आदेश दिया है कि अपनी निधि की कुछ फीसदी धनराशि दलितों पर ही खर्च करें.

राष्ट्रीय लोकदल
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Published : Jul 16, 2022, 5:02 PM IST

लखनऊ : जहां एक तरफ विपक्षी पार्टियों के नेता सिर्फ ट्विटर और अपने दफ्तर से राजनीति कर रहे हैं, वहीं राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ही इकलौते ऐसे विपक्ष के नेता हैं जो जमीन पर उतरकर संघर्ष करने में लगे हुए हैं. रोजगार के मुद्दे को लेकर लगातार जयंत सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं. सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना का विरोध कर युवा पंचायतों का आयोजन कर रहे हैं. इसके साथ ही युवाओं के रोजगार के मुद्दे उठा रहे हैं. चौधरी जयंत सिंह ने हाल ही में अपने सभी विधायकों को आदेश दिया है कि अपनी निधि की कुछ फीसदी धनराशि दलितों पर ही खर्च करें. लिहाजा, अब चौधरी जयंत सिंह जनता के बीच अपनी पकड़ बना रहे हैं और इसमें सफल भी होने लगे हैं.


उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में अब तक रालोद मुखिया बड़ी संख्या में युवा पंचायत में युवाओं को संबोधित कर चुके हैं. बात अगर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की करें तो चुनाव समाप्त होने के बाद वह किसी भी तरह की आवाज उठाने के लिए जमीन पर नहीं उतरे. बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती का भी हाल कुछ ऐसा ही रहा. उधर, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी लगातार चुनाव से पहले सरकार के नाक में दम करती रहीं. आए दिन सड़क पर उतरकर सरकार को हिलाने की कोशिशों में लगी रहीं, लेकिन जैसे ही चुनाव संपन्न हुआ उत्तर प्रदेश का रास्ता ही भूल गईं. दिल्ली से ही उत्तर प्रदेश की राजनीति कर रही हैं. विपक्षी दलों के नेताओं की इसी तरह की निष्क्रियता पार्टियों को कमजोर कर रही है और इससे भाजपा को मजबूती मिल रही है.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय




राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने हाल ही में एक और घोषणा की कि पार्टी के सभी विधायक दलितों के हितों पर ध्यान देते हुए निधि का 35 प्रतिशत दलितों के हितों पर खर्च करेंगे. उनके उत्थान के लिए काम करेंगे. चौधरी जयंत सिंह के इस मास्टर स्ट्रोक ने विभिन्न दलों के नेताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया. खासकर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती को, क्योंकि मायावती ही खुद को दलितों का सबसे बड़ा हितैषी बताती हैं और दलित वोट बैंक पर अपना हक मानती हैं, लेकिन रालोद मुखिया के इस कदम के बाद मायावती को जरूर सोचना पड़ेगा, नहीं तो दलित वोट बैंक राष्ट्रीय लोकदल की तरफ भी शिफ्ट होने में देर नहीं करेगा. फिलहाल चौधरी जयंत सिंह के इस कदम के बाद अन्य पार्टियां भी जरूर कुछ न कुछ सोच ही रही होंगी.


रालोद के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी का कहना है कि पार्टी के इतिहास पर नजर डालें तो चाहे कोई मुख्यमंत्री रहा हो या फिर प्रधानमंत्री, कभी भी किसी भी नेता पर किसी तरह के घोटाले के आरोप नहीं लगे. अब जयंत चौधरी राज्यसभा सांसद हैं, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लेकिन उन पर भी किसी तरह के आरोप नहीं हैं. उनका दामन साफ है इसीलिए वे लगातार जनता के हितों को लेकर सरकार को घेरने का काम कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने कोई ऐसा काम नहीं किया है, जिससे सीबीआई या ईडी उन्हें परेशान कर सकती है. जबकि विपक्षी दलों के नेता सीबीआई और ईडी से डरकर सरकार के खिलाफ आवाज नहीं उठा पा रहे हैं.

ये भी पढ़ें : बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर अखिलेश यादव ने उठाए सवाल, कहा- आधे-अधूरे एक्सप्रेसवे को हड़बड़ी में शुरू किया

उन्होंने कहा कि चौधरी जयंत सिंह लगातार जनता के हितों की बात कर रहे हैं साथ ही अब दलितों के हितों को लेकर उन्होंने ऐसा कदम उठाया है, जिससे दलितों का उत्थान हो सकेगा. सभी विधायक दलितों के हितों पर निधि खर्च करेंगे तो निश्चित तौर पर दलित समाज का उत्थान होगा. यह सिर्फ रालोद मुखिया ने ही सोचा है. बाकी अन्य किसी पार्टी के नेता ने नहीं. इसलिए राष्ट्रीय लोकदल की राजनीति अन्य राजनीतिक दलों से अलग है.
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लखनऊ : जहां एक तरफ विपक्षी पार्टियों के नेता सिर्फ ट्विटर और अपने दफ्तर से राजनीति कर रहे हैं, वहीं राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ही इकलौते ऐसे विपक्ष के नेता हैं जो जमीन पर उतरकर संघर्ष करने में लगे हुए हैं. रोजगार के मुद्दे को लेकर लगातार जयंत सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहे हैं. सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना का विरोध कर युवा पंचायतों का आयोजन कर रहे हैं. इसके साथ ही युवाओं के रोजगार के मुद्दे उठा रहे हैं. चौधरी जयंत सिंह ने हाल ही में अपने सभी विधायकों को आदेश दिया है कि अपनी निधि की कुछ फीसदी धनराशि दलितों पर ही खर्च करें. लिहाजा, अब चौधरी जयंत सिंह जनता के बीच अपनी पकड़ बना रहे हैं और इसमें सफल भी होने लगे हैं.


उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में अब तक रालोद मुखिया बड़ी संख्या में युवा पंचायत में युवाओं को संबोधित कर चुके हैं. बात अगर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की करें तो चुनाव समाप्त होने के बाद वह किसी भी तरह की आवाज उठाने के लिए जमीन पर नहीं उतरे. बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती का भी हाल कुछ ऐसा ही रहा. उधर, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी लगातार चुनाव से पहले सरकार के नाक में दम करती रहीं. आए दिन सड़क पर उतरकर सरकार को हिलाने की कोशिशों में लगी रहीं, लेकिन जैसे ही चुनाव संपन्न हुआ उत्तर प्रदेश का रास्ता ही भूल गईं. दिल्ली से ही उत्तर प्रदेश की राजनीति कर रही हैं. विपक्षी दलों के नेताओं की इसी तरह की निष्क्रियता पार्टियों को कमजोर कर रही है और इससे भाजपा को मजबूती मिल रही है.

जानकारी देते संवाददाता अखिल पांडेय




राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने हाल ही में एक और घोषणा की कि पार्टी के सभी विधायक दलितों के हितों पर ध्यान देते हुए निधि का 35 प्रतिशत दलितों के हितों पर खर्च करेंगे. उनके उत्थान के लिए काम करेंगे. चौधरी जयंत सिंह के इस मास्टर स्ट्रोक ने विभिन्न दलों के नेताओं को सोचने पर मजबूर कर दिया. खासकर बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती को, क्योंकि मायावती ही खुद को दलितों का सबसे बड़ा हितैषी बताती हैं और दलित वोट बैंक पर अपना हक मानती हैं, लेकिन रालोद मुखिया के इस कदम के बाद मायावती को जरूर सोचना पड़ेगा, नहीं तो दलित वोट बैंक राष्ट्रीय लोकदल की तरफ भी शिफ्ट होने में देर नहीं करेगा. फिलहाल चौधरी जयंत सिंह के इस कदम के बाद अन्य पार्टियां भी जरूर कुछ न कुछ सोच ही रही होंगी.


रालोद के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी का कहना है कि पार्टी के इतिहास पर नजर डालें तो चाहे कोई मुख्यमंत्री रहा हो या फिर प्रधानमंत्री, कभी भी किसी भी नेता पर किसी तरह के घोटाले के आरोप नहीं लगे. अब जयंत चौधरी राज्यसभा सांसद हैं, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं, लेकिन उन पर भी किसी तरह के आरोप नहीं हैं. उनका दामन साफ है इसीलिए वे लगातार जनता के हितों को लेकर सरकार को घेरने का काम कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्होंने कोई ऐसा काम नहीं किया है, जिससे सीबीआई या ईडी उन्हें परेशान कर सकती है. जबकि विपक्षी दलों के नेता सीबीआई और ईडी से डरकर सरकार के खिलाफ आवाज नहीं उठा पा रहे हैं.

ये भी पढ़ें : बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे पर अखिलेश यादव ने उठाए सवाल, कहा- आधे-अधूरे एक्सप्रेसवे को हड़बड़ी में शुरू किया

उन्होंने कहा कि चौधरी जयंत सिंह लगातार जनता के हितों की बात कर रहे हैं साथ ही अब दलितों के हितों को लेकर उन्होंने ऐसा कदम उठाया है, जिससे दलितों का उत्थान हो सकेगा. सभी विधायक दलितों के हितों पर निधि खर्च करेंगे तो निश्चित तौर पर दलित समाज का उत्थान होगा. यह सिर्फ रालोद मुखिया ने ही सोचा है. बाकी अन्य किसी पार्टी के नेता ने नहीं. इसलिए राष्ट्रीय लोकदल की राजनीति अन्य राजनीतिक दलों से अलग है.
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