लखनऊ : राजधानी के सबसे बड़े और सर्वाधिक छात्र संख्या वाले सिटी मोंटेसरी स्कूल की सभी 18 शाखाओं को बंद कराए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. स्कूल प्रशासन की ओर से शिक्षा के अधिकार के तहत फ्री सीट पर गरीब और जरूरतमंद परिवारों के बच्चों को दाखिला न दिए जाने पर यह कार्रवाई शुरू की गई है. सिटी मोंटेसरी स्कूल समेत 16 स्कूलों की सूची तैयार की गई है. जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय की तरफ से इन स्कूलों को सरकार की तरफ से दी गई एनओसी को समाप्त करने की प्रक्रिया शुरू की गई है. अगर कार्रवाई होती है तो इनकी मान्यता समाप्त हो जाएगी और प्रशासन स्कूल का संचालन नहीं कर पाएगा. संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय को इस संबंध में सूचना भेजी गई है.
शिक्षा के अधिकार के तहत देश के सभी निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटें जरूरतमंद और गरीब परिवार के बच्चों के लिए आरक्षित की जाती हैं. उत्तर प्रदेश में इन आरक्षित सीटों पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के स्तर पर बच्चों का चयन करके दाखिला कराए जाने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है. सत्र 2022-23 में दाखिले के लिए तीन चरणों की प्रक्रिया पूरी हो गई है. बेसिक शिक्षा विभाग की तरफ से जारी कार्यक्रम के मुताबिक 30 जून तक इन बच्चों के दाखिले भी कराये जाने थे. लखनऊ में करीब 15 हजार 660 छात्र-छात्राओं का चयन किया गया है. इनका दाखिला शहर के अलग-अलग निजी स्कूलों में कराया जाना है. आंकड़ों के मुताबिक करीब 6 हजार बच्चों के दाखिले निजी स्कूलों की फ्री सीट पर हो पाए हैं.
जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी विजय प्रताप सिंह ने बताया कि आरटीई के तहत दाखिला ना देने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने बताया कि यह वह स्कूल हैं, जिन्होंने अभी तक इस साल एक भी बच्चे का दाखिला नहीं लिया है. शहर के बड़े निजी स्कूल दाखिला लेने को तैयार नहीं हैं. बच्चों को बहाने बनाकर वापस लौटाया जा रहा है.
दाखिला नहीं ले रहे नामचीन स्कूल : विभागीय आंकड़ों पर भरोसा करें तो सीएमएस की 18 शाखाओं में दाखिले के लिए आरटीई के तहत करीब 170 से ज्यादा बच्चों का चयन किया गया है, लेकिन स्कूल प्रशासन की तरफ से अभी तक किसी भी बच्चे को दाखिला न दिए जाने की सूचना सामने आई है. वहीं सिटी मोंटेसरी स्कूल के साथ ही चौक का Arham पब्लिक स्कूल, कैंपवेल रोड पर संचालित रामप्रसाद पब्लिक स्कूल, न्यू पब्लिक स्कूल पारा और न्यू पब्लिक स्कूल श्रृंगार नगर, सेंट मेरी इंटर कॉलेज इंदिरा नगर, राजकुमार अकैडमी मेहंदी गंज और राजकुमार अकैडमी आलमनगर के साथ ही गुरुकुल एकेडमी, ब्लूमिंग फ्लावर स्कूल पान दरीबा समेत अन्य नाम शामिल हैं.
846 करोड़ सरकार पर बकाया : राजधानी समेत प्रदेश के कई निजी स्कूलों की तरफ से दाखिले लेने से साफ इंकार कर दिया गया है. कई ऐसे स्कूल भी हैं जो आनाकानी कर रहे हैं. एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ उत्तर प्रदेश का दावा है कि सरकार पिछले कई सालों की फीस का बकाया अभी तक नहीं दे पाई है. एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल श्रीवास्तव का कहना है कि करीब 846 करोड़ रुपए फीस का सरकार पर बकाया है. इसके अलावा सरकार की तरफ से शुल्क प्रतिपूर्ति भी पिछले 9 सालों से ₹450 प्रति माह तय की गई है.
यह हैं मांगें : शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 की धारा 12 ( 2 ) के तहत पिछले 9 शैक्षिक सत्रों (2013-2014, 2014-2015, 2015-2016, 2016-2017, 2017-2018, 2018-2019, 2019-2020, 2020-2021 तथा 2021-2022) में प्राइमरी सरकारी स्कूलों में प्रति छात्र खर्च की गई धनराशि को सरकारी गजट अथवा शासनादेश के माध्यम से घोषित किया जाये. साथ ही सभी 9 वर्षों में दाखिल दुर्बल वर्ग एवं अलाभित समूह के बच्चों के फीस की बकाया धनराशि का भुगतान करने की मांग उठाई है.
दिल्ली एवं तमिलनाडु सरकार की तरह ही उत्तर प्रदेश में भी आरटीई अधिनियम के तहत प्रत्येक वर्ष अक्टूबर माह में सरकारी स्कूलों में प्रति छात्र खर्च होने वाली धनराशि को नियमानुसार घोषित करने की मांग की गई है.
शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत निर्धारित पात्रता की सभी शर्तों को पूरा करने वाले पात्र बच्चों को ही शिक्षा विभाग द्वारा निजी स्कूलों में प्रवेश के लिए भेजने की भी अपील की गई है.
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शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत शिक्षा विभाग द्वारा निजी स्कूलों में धारा 12 (1) (ग) के अन्तर्गत प्रवेश के लिये भेजे गये अलाभित समूह एवं दुर्बल वर्ग के बच्चों के पात्रता संबंधित अभिलेखों आदि को संबंधित निजी स्कूलों को जांचने संबंधी अधिकार देने की मांग की गई है.
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