लखनऊ : सात साल पहले तक उत्तर प्रदेश में कोई भी ऐसा बस स्टेशन नहीं था जहां पर यात्रियों को गर्मी में ठंडी हवा का अहसास तक हो सके. चिलचिलाती धूप और चिपचिपाती गर्मी में यात्रियों को बसों के इंतजार में पसीना बहाना पड़ता था. यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखकर उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम ने लखनऊ के कैसरबाग बस स्टेशन को उत्तर प्रदेश के पहले एसी बस स्टेशन के रूप में बनाकर तैयार किया था. कुछ सालों तक तो बस स्टेशन पर यात्रियों को गर्मी में एसी की ठंडक का अहसास हुआ, लेकिन इस बार गर्मी भर इस बस स्टेशन पर यात्री पसीने से ही तरबतर होते रहे. एयर कंडीशन का मजा यात्रियों को मिला भी नहीं और जिस फर्म को एसी के ऑपरेशन का ठेका दिया उसकी हर माह जेब गर्म होती रही. कागजों पर चले एसी से ही हर माह 35 से 40 हजार का भुगतान फर्म को किया जाता रहा. पिछले चार से पांच माह से बस अड्डे का एसी बंद है, पर अधिकारियों की मिलीभगत से फर्म का भुगतान चालू है.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अजीबो गरीब कारनामें अक्सर चर्चा में रहते हैं. अब एक ऐसा ही कारनामा रोडवेज अधिकारियों ने कर दिखाया है, जो फिर से चर्चा का विषय बन रहा है. अधिकारियों ने जिस फर्म को कैसरबाग बस स्टेशन पर एसी के ऑपरेशन का ठेका दिया उस फर्म को बिना एसी चलाए ही लाखों का भुगतान कर दिया गया. परिवहन निगम के अधिकारियों की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि पिछले काफी समय से बस स्टेशन के शीशे के दरवाजे टूट चुके हैं, लेकिन इन्हें दुरुस्त कराने की जहमत नहीं उठाई गई. अब जब हर तरफ दरवाजे ही टूटे हुए हैं तो फिर एसी ऑपरेट होने का सवाल ही नहीं है.
बिजली विभाग पर फोड़ रहे ठीकरा : बस स्टेशन पर एसी न चलने का ठीकरा बस स्टेशन प्रबंधक बिजली विभाग पर फोड़ रहे हैं. उनका कहना है कि बस स्टेशन पर कुल तीन फेज हैं. एक फेज अक्सर गड़बड़ रहता है. जिसके चलते बस स्टेशन पर एसी चलने में दिक्कत आती है. बिजली विभाग को इसके लिए लेटर भी लिखा गया है, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. इसके चलते एसी ऑपरेट होने में समस्या हो रही है. हालांकि अधिकारी कितनी भी सफाई देते रहें, लेकिन हकीकत यही है कि बस स्टेशन पर बस के इंतजार में बैठे यात्रियों को पिछले कई महीनों से एसी की ठंडी हवा मयस्सर नहीं है.
अधिकारी एसी में, यात्री बहा रहे पसीना : यात्री सुविधा के नाम पर परिवहन निगम यात्रियों से किराए में सुविधा शुल्क भी जोड़ता है, लेकिन बस स्टेशन पर यात्रियों को जो सुविधा मिलनी चाहिए उसका लुत्फ अधिकारी उठा रहे हैं. बस स्टेशन पर बसों के इंतजार में यात्री पसीना बहाते हैं और अधिकारी एसी कमरों में बैठते हैं.
कैसरबाग बस स्टेशन पर शीशे के दरवाजे पिछले काफी समय से टूटे हुए हैं. बस स्टेशन के जिम्मेदार बताते हैं कि कुल 10 शीशे काफी समय से टूटे हुए हैं और इसके लिए परिवहन निगम मुख्यालय को पत्र भी लिखा जा चुका है. 10 लाख रुपए का खर्चा आएगा. जब ₹10 लाख मिलेंगे तो बस स्टेशन पर शीशे के टूटे दरवाजे दुरुस्त हो सकेंगे.
हर माह ₹39 हजार का भुगतान : कैसरबाग बस स्टेशन का ठेका जिस फर्म को दिया गया है उसको मेंटेनेंस के लिए हर माह ₹39 हजार का भुगतान किया जाता है. एसी के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी इसी फर्म की है, लेकिन यात्री वेटिंग हाल में पिछले कई महीनों से एसी ऑपरेट ही नहीं हुआ. बावजूद इसके फार्म को भुगतान पूरा किया गया. यानी सीधे तौर पर देखा जाए तो डेढ़ लाख से ज्यादा का भुगतान संबंधित फर्म को एसी नहीं चलने पर भी कर दिया गया.
बस स्टेशन पर गर्मी में उबल रहे यात्री एसी न चलने पर नाराजगी जताते हैं. उनका कहना है कि बस स्टेशन पर यह एहसास ही नहीं हो रहा है कि कभी एसी भी यहां चला होगा? पंखे से ही काम चल रहा है. पंखों की हवा भी सभी यात्रियों को नहीं मिल रही है. कैसरबाग बस स्टेशन से विभिन्न जनपदों के लिए यात्रा करने के लिए बस का इंतजार कर रहे यात्री एसी बस स्टेशन पर एसी न चलने पर अधिकारियों को जिम्मेदार मान रहे हैं. 'ईटीवी भारत' से तमाम यात्रियों ने स्टेशन पर एसी न चलने पर नाराजगी जताई.
कैसरबाग बस स्टेशन के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक (प्रबंधन) रमेश बिष्ट कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि एसी चलता नहीं है, लेकिन अब प्लांट काफी पुराना हो गया है, इसलिए दिक्कतें आ रही हैं. इसके लिए फर्म को चेताया भी गया है. दूसरी बड़ी वजह के फ्लैक्चुएशन की समस्या से फेज गड़बड़ हो जाता है. जिसके चलते दिक्कत आती है. जहां तक फर्म को भुगतान का सवाल है तो हर माह ₹39 हजार का भुगतान किया जाता है.
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उन्होंने बताया कि बस स्टेशन पर पिछले काफी समय से शीशे के दरवाजे टूटे हुए हैं, जिन्हें दुरुस्त कराने के लिए परिवहन निगम मुख्यालय के अधिकारियों को अवगत कराया गया है. दरवाजे दुरुस्त होने के एवज में ही लगभग ₹10 लाख का खर्च आएगा. इसीलिए अब तक शीशे के दरवाजे दुरुस्त नहीं हो पाए हैं.
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