लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. पिछले 24 घंटे में प्रदेश में कोरोना के 630 नए मामले सामने आए हैं, जिससे अब प्रदेश में कोरोना एक्टिव मरीजों की संख्या 5,659 हो गई है. तो वहीं 9,638 लोग पूरी तरह से ठीक हो कर डिस्चार्ज किए जा चुके हैं. कोरोना संक्रमण से अभी तक 488 लोगों की मौत हो चुकी है. कोरोना संक्रमण के बढ़ते खतरे को देखते हुए राज्य में कोविड-19 अस्पतालों में बेड की संख्या एक लाख से बढ़ाकर डेढ़ लाख किए जाने का निर्णय सरकार ने लिया है.
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने बताया प्रदेश में 23 सरकारी प्रयोगशालाओं में जांच किया जा रहा है. 11 निजी टेस्टिंग लैब शुरू हो गए हैं. साथ ही जांच के लिए टूनेट मशीनें भी मंगवाई जा रही है. राज्य के सभी 75 जिलों के जिला चिकित्सालय में टूनेट मशीनें मौजूद है. कुल 25 मेडिकल कॉलेज में 4 स्लॉट की टूनेट मशीनें उपलब्ध हैं. शुरू में एक दिन में 60 सैंपल की जांच की क्षमता थी. आज 16 हजार से अधिक सैंपल जांच किया जा रहा है. वहीं जून महीने के अंतिम दिनों में इसे बढ़ाकर 25 हजार का लक्ष्य रखा गया है.
अपर मुख्य सचिव गृह ने बताया कि मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि जांच आईसीएमआर के निर्धारित प्रोटोकाल के अनुरूप ही हो. इसके अलावा प्रदेश में 8 महत्वपूर्ण स्थानों पर टेस्टिंग लैब स्थायी तौर पर स्थापित किये जाएंगे. बीआरडी मेडिकल कॉलेज गिरखपुर में भी लैब स्थापित किया जा रहा है.
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद ने प्रेस कॉन्फ्रेंस वार्ता में बताया कि कोरोना की जांच के लिए उनकी टीम पूरी तरह से सजग है. जो लोग कोरोना पॉजिटिव आते हैं, उनके संपर्क में आने वाले लोगों का भी सैंंपल लिया जाता है, जिनमें लक्षण नहीं होते. उनकी जांच पांचवे से दसवें दिन में की जाती है. अस्पतालों में काम करने वाले लोगों की जांच तुरंत की जाती है.
प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने बताया कि यूपी में बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूर लौटकर वापस आए हैं. ऐसे में राज्य सरकार ने 18 जिलों को चिन्हित किया है, जहां सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर लौटकर आए हैं. इन जिलों के गांव में 15 दिनों में रैंडम जांच की जाएगी. 72 गांव के 1,686 लोगों की जांच की गई, जिसमें कोई भी सैंपल की जांच पॉजिटिव नहीं आई है. इसके अलावा कुछ रेंडम जांच भी की गई है, जिसके नतीजे आने बाकी है.
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