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लखनऊ: KGMU में विंटर वेकेशन में आधे डॉक्टर छुट्टी पर, आधे संभाल रहे OPD

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में सर्दियों की छुट्टियां शुरू हो गई हैं. डॉक्टरों का कहना है कि सर्दियों की छुट्टियों के दौरान उनका काम बढ़ जाता है.

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केजीएमयू में विंटर वेकेशन में आधे डॉक्टर छुट्टी पर.
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Published : Dec 27, 2019, 12:06 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में सर्दियों की छुट्टियां शुरू हो गई हैं. विंटर वेकेशन स्टार्ट हो गए हैं. ऐसे में तमाम डॉक्टर छुट्टी पर चले गए हैं. नतीजे के तौर पर आधे डॉक्टरों को ही पूरी ओपीडी और एकेडमिक क्लासेस आदि संभालनी पड़ रही है.

केजीएमयू में विंटर वेकेशन में आधे डॉक्टर छुट्टी पर.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में विंट वेकेशन के बाद लगभग 450 डॉक्टरों में से आधे डॉक्टर छुट्टी पर जा चुके हैं. छुट्टियां लगभग 9 से 10 दिन की होती हैं और इन छुट्टियों के दौरान अनुपस्थित डॉक्टरों की ओपीडी, ओटी और एकेडमिक लेक्चरर्स अन्य डॉक्टरों को संभालनी पड़ती है. डॉक्टरों का कहना है कि छुट्टियों के दौरान उनका काम बढ़ जाता है.

क्या कहते हैं डॉक्टर
केजीएमयू के सीएमएस डॉक्टर संखवार कहते हैं कि ओटी और ओपीडी की बात की जाए तो 50% डॉक्टर छुट्टी पर होते हैं. डॉक्टरों का काम बढ़ जाता है. फिर भी हम इसे मैनेज करने में सक्षम होते हैं, क्योंकि मरीजों की सेवाएं, ओटी और ओपीडी पूर्ववत ही चलती रहती हैं. हमारे यहां लगभग 220 डॉक्टर इस समय विंटर वेकेशन पर हैं और लगभग इतने ही कार्यरत हैं.

इसे भी पढ़ें- जुमे की नमाज से पहले प्रशासन सतर्क, मुस्लिम धर्मगुरुओं के साथ बैठक

इस बारे में केजीएमयू के डेंटल फैकल्टी के मेडिकल सुपरिटेंडेंट नीरज मिश्रा कहते हैं कि डॉक्टरों के न रहने पर एकेडमिक्स और अन्य डॉक्टरों की ओपीडी संभालने की वजह से मरीजों का थोड़ा प्रेशर डॉक्टरों पर जरूर होता है. इसके अलावा जिन विभागों में बच्चों की छुट्टियां हो जाती हैं, वहां पर भी ओपीडी के दौरान काम बढ़ जाता है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी स्थित किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में सर्दियों की छुट्टियां शुरू हो गई हैं. विंटर वेकेशन स्टार्ट हो गए हैं. ऐसे में तमाम डॉक्टर छुट्टी पर चले गए हैं. नतीजे के तौर पर आधे डॉक्टरों को ही पूरी ओपीडी और एकेडमिक क्लासेस आदि संभालनी पड़ रही है.

केजीएमयू में विंटर वेकेशन में आधे डॉक्टर छुट्टी पर.

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में विंट वेकेशन के बाद लगभग 450 डॉक्टरों में से आधे डॉक्टर छुट्टी पर जा चुके हैं. छुट्टियां लगभग 9 से 10 दिन की होती हैं और इन छुट्टियों के दौरान अनुपस्थित डॉक्टरों की ओपीडी, ओटी और एकेडमिक लेक्चरर्स अन्य डॉक्टरों को संभालनी पड़ती है. डॉक्टरों का कहना है कि छुट्टियों के दौरान उनका काम बढ़ जाता है.

क्या कहते हैं डॉक्टर
केजीएमयू के सीएमएस डॉक्टर संखवार कहते हैं कि ओटी और ओपीडी की बात की जाए तो 50% डॉक्टर छुट्टी पर होते हैं. डॉक्टरों का काम बढ़ जाता है. फिर भी हम इसे मैनेज करने में सक्षम होते हैं, क्योंकि मरीजों की सेवाएं, ओटी और ओपीडी पूर्ववत ही चलती रहती हैं. हमारे यहां लगभग 220 डॉक्टर इस समय विंटर वेकेशन पर हैं और लगभग इतने ही कार्यरत हैं.

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इस बारे में केजीएमयू के डेंटल फैकल्टी के मेडिकल सुपरिटेंडेंट नीरज मिश्रा कहते हैं कि डॉक्टरों के न रहने पर एकेडमिक्स और अन्य डॉक्टरों की ओपीडी संभालने की वजह से मरीजों का थोड़ा प्रेशर डॉक्टरों पर जरूर होता है. इसके अलावा जिन विभागों में बच्चों की छुट्टियां हो जाती हैं, वहां पर भी ओपीडी के दौरान काम बढ़ जाता है.

Intro:लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में विंटर वेकेशंस स्टार्ट हो गए हैं। ऐसे में तमाम डॉक्टर छुट्टी पर चले गए हैं। नतीजे के तौर पर आधे डॉक्टरों को ही पूरी ओपीडी और एकेडमिक क्लासेस आदि संभालनी पड़ रही है।


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किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी विंटर वेकेशंस के बाद लगभग 450 डॉक्टरों में से आधी डॉक्टर छुट्टी पर जा चुके हैं। छुट्टियां लगभग 9 से 10 दिन की होती है और इन छुट्टियों के दौरान अनुपस्थित डॉक्टरों की ओपीडी, ओटी और एकेडमिक लेक्चरर्स अन्य डॉक्टरों को संभालनी पड़ती है जो उनके लिए दुगने भार के बराबर होती है। हालांकि डॉक्टर खुलकर इस बारे में मीडिया से बात करने से बच रहे हैं लेकिन इस बात को मान जरूर रहे हैं कि छुट्टियों के दौरान उनका काम बढ़ जाता है।

बारे में केजीएमयू केसीएमएस डॉक्टर संखवार कहते हैं ओटी और ओपीडी की बात की जाए तो 50% डॉक्टर छुट्टी पर होते हैं डॉक्टरों का तो काम बढ़ जाता है फिर भी हम इसे मैनेज करने में सक्षम होते हैं क्योंकि मरीजों की सेवाएं, ओटी और ओपीडी पूर्ववत ही चलती रहती हैं। हमारे यहां लगभग 220 डॉक्टर इस वक्त विंटर वेकेशंस पर है और लगभग इतने ही कार्यरत हैं।


Conclusion:इस बारे में केजीएमयू के डेंटल फैकल्टी के मेडिकल सुपरिंटेंडेंट तो नीरज मिश्रा कहते हैं कि अरे डॉक्टरों के ना रहने पर एकेडमिक्स और अन्य डॉक्टरों की ओपीडी संभालने की वजह से मरीजों का थोड़ा प्रेशर डॉक्टरों पर जरूर होता है इसके अलावा जिन विभागों में बच्चों की छुट्टियां हो जाती हैं वहां पर भी ओपीडी के दौरान काम बढ़ जाता है।

बाइट- डॉ एस एन संखवार, सीएमएस, केजीएमयू
बाइट- डॉ नीरज मिश्रा, मेडिकल सुपरिंटेंडेंट डेंटल फैकल्टी केजीएमयू
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