लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों की हालत खराब है. शिक्षक नेताओं की मानें तो प्रदेश भर के सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों के 40 हजार पद खाली हैं. इन सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में बीते करीब साढ़े चार सालों में एक भी नई नियुक्ति नहीं की गई है.
भारतीय जनता पार्टी की सरकार में नई नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू नहीं की गई. पिछली सरकार में जारी किए गए विज्ञापन के आधार पर नियुक्तियां हो रही हैं. प्रदेश के एडेड स्कूलों की हालत दिन ब दिन खराब होती जा रही है. पढ़ाने के लिए शिक्षक ही नहीं हैं. कई ऐसे स्कूल हैं जहां, हिंदी और अंग्रेजी के शिक्षक गणित और विज्ञान जैसे विषय पढ़ा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों की संख्या करीब 5 हजार है. माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के डॉ. महेन्द्र नाथ राय ने बताया कि पहले स्कूलों में करीब 1.76 लाख पद थे. इनको घटाकर करीब 1.20 लाख के आसपास कर दिया गया. वर्तमान में शिक्षकों के करीब 40 हजार पद खाली पड़े हैं. उन्होंने बताया कि पिछली सरकार के कार्यकाल में भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी. उसी प्रक्रिया को वर्तमान सरकार ने आगे बढ़ाया है.
माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्र ने बताया कि शिक्षक न होने का खामियाजा स्कूलों और बच्चों को भुगतना पड़ रहा है. पढ़ाई हो नहीं पा रही है. किसी स्कूल में साइंस का टीचर नहीं है, तो किसी में अंग्रेजी पढ़ाने वाला कोई नहीं है. इसके चलते कई सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं. कुछ ऐसे भी स्कूल हैं, जहां केवल एक टीचर के सहारे पढ़ाई हो रही है. उन्होंने कहा कि अगर जल्द शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू नहीं होती है, तो आने वाले समय में काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है.
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