लखनऊ : प्रदेश सरकार की सीएम दानपात्र योजना (दान के विलेखों) का प्रदेशवासी जमकर लाभ उठा रहे हैं. योजना के आते ही बड़ी संख्या में लोग रजिस्ट्री ऑफिस में अपनी पैतृक संपत्ति हस्तांतरित कराने पहुंच रहे हैं. महज एक माह में प्रदेश में करीब 28 हजार से अधिक परिवारों ने सीएम दानपात्र योजना का लाभ उठाया. वहीं योगी सरकार को इस योजना से अब तक करीब 100 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है. राजस्व विभाग के अनुसार, योजना के बाद से दान के विलेखों के मामलों में 329 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. इस योजना के तहत छूट पाने वालों में परिवार के सदस्य, जैसे पिता-माता, पति-पत्नी, बेटा, बेटी, बहू, दामाद, सगा भाई, सगी बहन और उनके बच्चे भी शामिल हैं.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दानपात्र योजना (दान के विलेखों) लोगों के लिए अमृत साबित हुई है. राजस्व विभाग की मानें तो योजना से पहले प्रदेशभर में गिनती के लोग ही अपनी पैतृक संपत्ति हस्तांतरित कराते थे, इसकी बड़ी वजह संपत्ति हस्तांतरण में उन्हें मोटी रकम देनी होती थी. ऐसे में कई पीढ़ी बीतने के बाद भी लोग आर्थिक तंगी के चलते अपनी पैतृक संपत्ति हस्तांतरित नहीं कराते थे. वहीं योजना के आने से स्टांप शुल्क में दी गई छूट के बाद लगातार इसमें अप्रत्याशित वृद्धि हो रही है. 15 जून को योगी कैबिनेट ने स्टांप और रजिस्ट्रेशन विभाग पर नया प्रस्ताव मंजूर करते हुए अपनी संपत्ति परिवार के ही किसी सदस्य के नाम कराने के लिए (दान के विलेखों) महज पांच हजार रुपये के स्टांप पर रजिस्ट्री की सुविधा दी थी. इसके अलावा आवेदनकर्ता को एक हजार रुपये प्रोसेसिंग फीस देनी होती है. इस योजना का प्रदेश के करीब 28 हजार से अधिक परिवार फायदा उठा चुके हैं, जबकि सरकार को 100 करोड़ से अधिक का राजस्व प्राप्त हुआ है.
सीएम दानपात्र योजना का भविष्य में एक सबसे बड़ा फायदा यह भी होगा कि योजना से पैतृक संपत्ति से संबंधित परिवारिक विवाद में काफी गिरावट आएगी. साथ ही एक पिता अपने जीवन काल में ही अपनी संपत्ति को अपने पुत्र या पुत्री को हस्तांतरित कर सकेगा. इससे पिता की मृत्यु के बाद भाई-भाई एवं परिवार के अन्य सदस्य के बीच संपत्ति के हस्तांतरण को लेकर चल रहा विवाद खत्म होगा. इसके साथ ही कोई भी विवाहित बेटी अपने मर्जी से भाई-बहन के हक में कम स्टांप शुल्क अदा कर संपत्ति हस्तांतरित कर सकेगी.
मालूम हो कि सभी प्रकार की रजिस्ट्री पर सर्किल रेट के तहत स्टांप शुल्क वसूला जाता है. इस कारण परिवार के सदस्य जरूरी होने पर ही संपत्ति की रजिस्ट्री कराते हैं, ताकि वे भारी भरकम स्टांप शुल्क से बच सकें. यदि किसी को अपनी पैतृक संपत्ति हस्तांतरित करानी होती थी तो उसे अपनी संपत्ति की कीमत का कुल दस प्रतिशत स्टांप शुल्क देना होता था.
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उदाहरण के तौर पर 50 लाख की संपत्ति को हस्तांतरित कराने पर पांच लाख रुपये का स्टांप शुल्क देना पड़ता था. वहीं अब योजना के आने से महज छह हजार रुपये में संपत्ति हस्तांतरित हो जाएगी.
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