कानपुर: आमतौर पर जब शक्कर की बात होती है, तो सभी घरों में उपयोग की जाने वाली सफेद चीनी की चर्चा करते हैं. हालांकि, आपको जानकर हैरानी होगी, कि चीनी उद्योग जगत में इस समय 38 प्रकार की शक्कर का उपयोग किया जा रहा है. अब यह शक्कर किस-किस तरह की होती है, इसकी जानकारी राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) (National sugar institue) के छात्रों को दी जाएगी.
वह अपने पाठ्यक्रम की पढ़ाई तो करेंगे ही, साथ ही 38 प्रकार की शक्कर बनाना सीखेंगे. इतना ही नहीं, संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा देश भर के संस्थानों खासतौर से चीनी उद्योग से जुड़ी संस्थाओं को तरह-तरह की चीनी तैयार करने की तकनीकी सलाह भी दी जाएगी.
छात्रों को प्रैक्टिकल वर्क के तौर पर यह सिखाया जाएगा कि आखिर वह किस तरह चीनी की पैकेजिंग कर सकते हैं. संस्थान के निदेशक प्रो.नरेंद्र मोहन ने बताया कि संस्थान का मकसद है कि जब यहां के छात्र अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद चीनी उद्योग जगत में नौकरी करने जाएं तो उन्हें हर छोटी-बड़ी जानकारी हो. उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में क्यूब शुगर, आइसिंग शुगर, ब्रेवरेज शुगर, फार्मास्युटिकल शुगर, हेल्दी शुगर, फ्लेवर्ड शुगर, रॉ शुगर, व्हाइट शुगर, रिफाइंड शुगर, कैंडी शुगर समेत कई अन्य तरह की शुगर का उपयोग भी उन्हें बताया जाएगा.
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इस साल 90 लाख टन चीनी का निर्यात करेंगे: प्रो.नरेंद्र मोहन ने बताया कि इस साल देश से 90 लाख टन चीनी का निर्यात किया जाएगा. उन्होंने बताया कि चीनी की उपभोक्ता खपत (पूरे देश में) 268 लाख टन सालाना है. यानी, प्रति व्यक्ति द्वारा 20 किलोग्राम चीनी का उपयोग पूरे वर्ष में किया जाता है. हालांकि अब इस उपभोक्ता खपत के लिए नया लक्ष्य 300 लाख टन से अधिक रखा गया है. उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश में चीनी मिलों की कुल संख्या जहां 120 है, वहीं देश में इनकी संख्या 520 है.
100 टन गन्ने की हो सकती पेराई: प्रो.नरेंद्र मोहन ने बताया कि एनएसआई में 100 टन गन्ने की पेराई की जा सकती है. संस्थान में ही छात्रों को शक्कर बनाने की विधि बताई जाती है. इसके अलावा गन्ने की खोई से तरह-तरह के उत्पाद बनाने की दिशा में भी कवायद की जा रही है.
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