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शहर के ढाबों में काम करने वाले बच्चों को कान्वेंट स्कूलों में मिलेगा दाखिला - child labor education scheme

शहर के होटल, ढाबा, दुकानों और कारखानों समेत अन्य स्थानों पर काम करने वाले बच्चे अब कांवेंट स्कूलों के छात्र बन सकेंगे. बाल श्रम पर अंकुश लगाने के लिए श्रम विभाग शहर में ब्राजील मॉडल को लागू करने जा रहा है.

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बाल श्रम विभाग
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Published : Aug 5, 2022, 3:41 PM IST

कानपुर: शहर के होटल, ढाबा, दुकानों और कारखानों समेत अन्य स्थानों पर काम करने वाले बच्चे अब कांवेंट स्कूलों के छात्र बन सकेंगे. बाल श्रम पर अंकुश लगाने के लिए श्रम विभाग शहर में ब्राजील मॉडल को लागू करने जा रहा है, जिसके तहत इन बच्चों को चिन्हित करने के बाद पहले इनके माता-पिता से संवाद स्थापित किया जाएगा. उसके बाद ये बच्चे जिन स्कूलों में प्रवेश चाहते हैं वहां दाखिला दिलाया जाएगा. दाखिले के साथ ही बच्चों को स्कूल यूनिफार्म, कॉपी-किताबें और कई अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी.
1000 से अधिक बच्चों को कर चुके चिन्हित, अब शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ेंगे: राज्य समन्वयक बाल और बंधुआ श्रम रिजवान अली ने etv bharat से खास बातचीत में बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने पिछले साल ही बाल श्रमिक विद्या योजना के तहत बच्चों को लाभान्वित करने का फैसला किया था. इसके बाद विभागीय अफसरों ने इस योजना के लिए दूसरे राज्यों और दूसरे देशों की गतिविधियों को स्टडी किया. ब्राजील में यह योजना थी, कि बच्चों को स्कूल भेजने के साथ ही उन्हें कई अन्य सुविधाएं दी जाएं. उसी मॉडल को शहर में लागू करने का निर्णय हुआ. विभाग की ओर से सितंबर 2021 से अब तक 1000 से अधिक बच्चों को चिन्हित किया जा चुका है, जिन्हें आने वाले समय में शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा, जबकि पहले चरण में 2000 बच्चों तक का लक्ष्य है.

शहर में ब्राजील मॉडल को लागू करने जा रहा है श्रम विभाग

इसे भी पढ़ेंः मेरठ मेडिकल कॉलेज में बांधकर रखे गए मरीज़ की मौत, दो वार्ड ब्यॉय बर्खास्त, 4 नर्स का वेतन कटा

37 परिवार ऐसे हैं, जहां बच्चे ही मुखिया: श्रम विभाग के अफसरों ने बाल श्रम को लेकर जो सर्वे किया, उसमें एक बेहद रोंगटे खड़े कर देने और चौंकाने वाली बात सामने आई है. शहर के 37 परिवार ऐसे हैं, जहां बच्चे ही घर के मुखिया हैं और अपनी कमाई से घर चला रहे हैं, जबकि श्रमायुक्त कार्यालय के पास पूरे सूबे के जो आंकड़े हैं, उनमें 1000 से अधिक ऐसे परिवार हैं, जहां घरों में बच्चे ही कमाई का मुख्य जरिया हैं.

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कानपुर: शहर के होटल, ढाबा, दुकानों और कारखानों समेत अन्य स्थानों पर काम करने वाले बच्चे अब कांवेंट स्कूलों के छात्र बन सकेंगे. बाल श्रम पर अंकुश लगाने के लिए श्रम विभाग शहर में ब्राजील मॉडल को लागू करने जा रहा है, जिसके तहत इन बच्चों को चिन्हित करने के बाद पहले इनके माता-पिता से संवाद स्थापित किया जाएगा. उसके बाद ये बच्चे जिन स्कूलों में प्रवेश चाहते हैं वहां दाखिला दिलाया जाएगा. दाखिले के साथ ही बच्चों को स्कूल यूनिफार्म, कॉपी-किताबें और कई अन्य सुविधाएं भी मुहैया कराई जाएंगी.
1000 से अधिक बच्चों को कर चुके चिन्हित, अब शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ेंगे: राज्य समन्वयक बाल और बंधुआ श्रम रिजवान अली ने etv bharat से खास बातचीत में बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने पिछले साल ही बाल श्रमिक विद्या योजना के तहत बच्चों को लाभान्वित करने का फैसला किया था. इसके बाद विभागीय अफसरों ने इस योजना के लिए दूसरे राज्यों और दूसरे देशों की गतिविधियों को स्टडी किया. ब्राजील में यह योजना थी, कि बच्चों को स्कूल भेजने के साथ ही उन्हें कई अन्य सुविधाएं दी जाएं. उसी मॉडल को शहर में लागू करने का निर्णय हुआ. विभाग की ओर से सितंबर 2021 से अब तक 1000 से अधिक बच्चों को चिन्हित किया जा चुका है, जिन्हें आने वाले समय में शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ा जाएगा, जबकि पहले चरण में 2000 बच्चों तक का लक्ष्य है.

शहर में ब्राजील मॉडल को लागू करने जा रहा है श्रम विभाग

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37 परिवार ऐसे हैं, जहां बच्चे ही मुखिया: श्रम विभाग के अफसरों ने बाल श्रम को लेकर जो सर्वे किया, उसमें एक बेहद रोंगटे खड़े कर देने और चौंकाने वाली बात सामने आई है. शहर के 37 परिवार ऐसे हैं, जहां बच्चे ही घर के मुखिया हैं और अपनी कमाई से घर चला रहे हैं, जबकि श्रमायुक्त कार्यालय के पास पूरे सूबे के जो आंकड़े हैं, उनमें 1000 से अधिक ऐसे परिवार हैं, जहां घरों में बच्चे ही कमाई का मुख्य जरिया हैं.

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