कानपुर : जब कोई शस्त्र लाइसेंस के लिए आवेदन करता है तो कई चरणों में आवेदन की जांच होती है. यह देखा जाता है कि अगर आवेदनकर्ता को वाकई जरूरत है तो उसका लाइसेंस बनता है. हालांकि, इसके विपरीत कानपुर में कुछ सालों पहले फर्जी शस्त्र लाइसेंस बने. फिर उन लाइसेंसों पर कारतूस खरीदे गए और उनकी खेप आतंकवादियों तक पहुंच गई.
इसके बाद जब जांच शुरू हुई तो डीएम कार्यालय से लेकर शासन तक अफसरों के हाथ-पैर फूल गए. शहर के इस सबसे चर्चित मामले में फिर से एक नया ट्विस्ट आया गया है. करीब एक माह पहले डीएम नेहा शर्मा (DM Neha Sharma) ने 41 हजार शस्त्र लाइसेंसों के जांच के आदेश दिए थे. इनमें से हजारों की संख्या में शस्त्र लाइसेंस की फाइलें डीएम कार्यालय से रहस्यमय ढंग से लापता हो गईं. डीएम ने कहा कि कुछ फाइलें गायब हैं. हालांकि गोपनीय जांच से यह दिखवाया जा रहा है कि ये फाइलें कहां गईं.
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एसआइटी कर रही है जांच : शहर में जब फर्जी शस्त्र लाइसेंस (fake arms license) का मामला सामने आया था तो सरकार ने एसआइटी से मामले की जांच का फैसला किया था. एसआइटी की जांच अभी जारी है. जिलाधिकारी कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक 93 फर्जी शस्त्र लाइसेंस बने थे. 21 फर्जी ट्रांजिट लाइसेंस के जरिए कारतूस बेचे जा चुके हैं. इस मामले में एटीएस ने भी जांच की थी. तब एक लिपिक को बर्खास्त किया गया था और कई अन्य पर कार्रवाई जारी है.
15 दिनों में सरकार के पास पहुंचेगी रिपोर्ट : एसआइटी के आला अफसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इस मामले की रिपोर्ट बन चुकी है. 15 दिनों के अंदर रिपोर्ट सरकार को दे दी जाएगी. रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कई फाइलें की जानकारी अभी तक नहींं मिली है.
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