झांसी: हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद से जुड़ी स्मृतियों को सहेजने के मकसद से सीपरी बाजार स्थित हीरोज ग्राउंड पर संग्रहालय का निर्माण कराया जा रहा है. साथ ही मैदान को विकसित कर भव्य रूप देने की भी तैयारी की जा रही है. मैदान के निकट ही मेजर ध्यानचंद का घर है, जहां वे अपने शुरुआती दिनों में इसी मैदान पर अपनी टीम के साथ अभ्यास किया करते थे. वहीं हीरोज ग्राउंड से मेजर ध्यानचंद के जीवन की कई स्मृतियां भी जुड़ी हुई हैं.
हीरोज ग्राउंड पर है ध्यानचंद की समाधि
जिस हीरोज ग्राउंड पर कभी हॉकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद प्रैक्टिस किया करते थे, वह बाद में हॉकी खिलाड़ियों के लिए प्रेरणा का केंद्र बन गया. जब मेजर ध्यानचंद की मौत हुई तो उनकी समाधि इसी मैदान के एक हिस्से में बनाई गई. समाधि स्थल पर एक प्रतिमा का निर्माण कर हीरोज ग्राउंड को स्मृति स्थल का रूप दे दिया गया और यह मैदान आज भी दद्दा के जीवन और उपलब्धियों की कहानी बतलाता प्रतीत होता है.
झांसी हीरोज क्लब और हीरोज ग्राउंड
हीरोज ग्राउंड मेजर ध्यानचंद के समय के झांसी हीरोज क्लब के संघर्षों और उपलब्धियों की याद दिलाता है. उस समय संसाधनों के अभाव और अनुभवहीन खिलाड़ियों के साथ इस टीम ने देश के कई टूर्नामेंट में हिस्सा लिया और साल 1933 में हॉकी के प्रतिष्ठित बीटन कप के फाइनल में कलकत्ता कस्टम्स को हराकर हीरोज की प्रतिष्ठा राष्ट्रीय स्तर पर कायम की.
ट्रैक और घास का मैदान बनाने की तैयारी
हीरोज ग्राउंड का रंग रूप अब पूरी तरह से बदलने जा रहा है. मैदान से मिट्टी बदलकर उस पर घास लगायी जा रही है. बैठने के लिए दीर्घा तैयार की जा रही है. मैदान के किनारे रबर का ट्रैक भी तैयार किया जा रहा है, जिस पर लोग टहल सकेंगे. बता दें कि शहर में किसी मैदान पर पहली बार रबर ट्रैक बिछाया जा रहा है. इसके अलावा बाउन्ड्री को भी ऊंचा किया जा रहा है. वहीं मेजर ध्यानचंद की प्रतिमा पर छतरी तैयार की जा रही है.
दद्दा के दिल से जुड़ा था हीरोज ग्राउंड
मेजर ध्यानचंद की बहू डॉ. मीना ध्यानचंद बताती हैं कि हीरोज ग्राउंड का बाबूजी (मेजर ध्यानचंद) के जीवन में बड़ा महत्व रहा है. इस ग्राउंड से ही उन्होंने खेलना शुरू किया था. सेना में भर्ती होने के बाद जब वे छुट्टियां मनाने झांसी आते थे तो इसी मैदान पर अपने दोस्तों के साथ मैच खेलते थे. इस मैदान पर बैठना, खेलना और यहां खेलने वाले लोगों को बताना उन्हें बहुत अच्छा लगता था. हीरोज ग्राउंड उनके दिल से जुड़ा हुआ था.
रात में भी हो सकेंगे मैच
खिलाड़ियों के लिये निरन्तर प्रैक्टिस और टूर्नामेंट के आयोजनों की सुविधा का भी खास ध्यान रखा जा रहा है. हीरोज ग्राउंड पर कराए जा रहे काम में बेहतर लाइटिंग की व्यवस्था की जा रही है. झांसी विकास प्राधिकरण के अफसरों का दावा है कि मैदान पर इस तरह की लाइटिंग व्यवस्था की जा रही है, जिसके बाद रात में भी मैदान पर खेल आयोजित हो सकेंगे.
खास होगा संग्रहालय
इस मैदान के एक हिस्से पर तैयार हो रहा संग्रहालय भी बेहद खास होगा. संग्रहालय का भवन बनकर तैयार हो चुका है. इस संग्रहालय में मेजर ध्यानचंद से जुड़ी स्मृतियों को सहेजकर रखा जाएगा, जिससे यहां आने वाले लोग उन्हें देख सकें और उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें. इसके साथ ही दद्दा का विस्तृत जीवन परिचय भी इस म्यूजियम में प्रदर्शित होगा.
खिलाड़ियों को मिलेगी प्रेरणा
डॉ. मीना का कहना है कि हीरोज ग्राउंड से बाबूजी की बहुत सारी स्मृतियां जुड़ी हुई हैं. उनके खेल का विकास यहीं से हुआ. ग्राउंड पर उनका समाधि स्थल है और बच्चे खेलने भी आते हैं. संग्रहालय में उनसे जुड़ी चीजें रखी जाएं और यहां आने वाले लोग इन्हें देखकर उनके जीवन से प्रेरणा लें तो संभव है कि फिर कोई नया ध्यानचंद पैदा हो जाए.
कोरोना संक्रमण ने धीमी की काम की स्पीड
मेजर ध्यानचंद की जयंती 29 अगस्त से पहले इस मैदान को तैयार कर इस दिन भव्य आयोजन की तैयारी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के कारण यहां चल रहा काम पिछड़ गया है. अगले कुछ महीनों में मैदान के उच्चीकरण और बाकी बचे कामों को पूरा करने का लक्ष्य झांसी विकास प्राधिकरण ने रखा है.
मैदान का 80 फीसदी काम हो चुका है पूरा
झांसी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष सर्वेश कुमार दीक्षित बताते हैं कि हीरोज ग्राउंड का अपग्रेडेशन कराया जा रहा है. इस पर लगभग पौने तीन करोड़ रुपये खर्च होने हैं. अभी तक लगभग 80 फीसदी काम हो चुका है. एक बेहतर रूप में हीरोज ग्राउंड को तैयार किया जा रहा है, जिससे मेजर ध्यानचंद की स्मृति में एक अच्छा मैदान तैयार कर शहर को दिया जाए.
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