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अब एक छत के नीचे पीड़ित, विवेचक और एडीजी करेंगे मामले का निस्तारण

गोरखपुर में अब हर गुरुवार को फरियादियों के लिए दरबार लगाया जाएगा. जिसमें पीड़ित, विवेचक और एडीजी की भी मौजूदगी में समस्याओं का तत्काल निस्तारण किया जाएगा.

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गोरखपुर में लगा फरियादी दरबार
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Published : Jul 7, 2022, 9:35 PM IST

गोरखपुर: गोरखपुर पुलिस ने आज पूरे प्रदेश में एक अनोखी पहल की शुरुआत की है. अब एक छत के नीचे पीड़ित, विवेचक और एडीजी की मौजूदगी में फरियादियों की समस्याओें का निराकरण होगा. एडीजी अखिल कुमार और एसएसपी गुलशन ग्रोवर ने आज जिले के एनएससी हॉल में दरबार लगाया. इसमें एक ही छत के नीचे फरियादी, विवेचक और पुलिस उच्चाधिकारियों की मौजूद थे. यह दरबार हर गुरुवार को लगाया जाएगा.

एडीजी अखिल कुमार जनता दरबार में सभी मामलों की समीक्षा की. जिसमें कई मामलों में तत्काल विवेचक को सत्यता के साथ विवेचना पूरी करने के निर्देश दिए. वहीं, कई अन्य मामलों में जिनमें मुकदमा दर्ज नहीं था. उनमें मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री के जनता दरबार में लगातार शिकायतें बढ़ रही हैं. वह भी पुलिस उत्पीड़न, पुलिस की लापरवाही, मामले में f.i.r. दर्ज न होना, राजस्व से जुड़े मामलों में पुलिस का सहयोग न मिलना. जिस पर मुख्यमंत्री ने काफी नाराजगी जताई थी.

गोरखपुर में लगा फरियादी दरबार

इसी कारण से एडीजी ने ऐसे मामलों के निस्तारण के लिए इस अनूठे प्रयोग की शुरुआत की है. जो अब तब तक जारी रहेगा जब तक आंकड़े शून्य की स्थिति में नहीं पहुंच जाते हैं. दरबार में देखने को मिला कि एक पिता जिसके पुत्र की हत्या हुए करीब 3 माह बीत चुके हैं. लेकिन, उसमें पुलिस ने अभी कोई कार्रवाई नहीं की है. वहीं, पिछले 5 वर्षों से मारपीट के मामलों में पीड़ितों को न्याय नहीं मिला है. खास बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के एक पदाधिकारी भी यहां पहुंचे थे. जिनके घर पर गोलियां चलाई और हत्या कर दी थी. लेकिन हमलावर आज तक गिरफ्तार नहीं हुए है. जबकि उल्टे इन पीड़ितों को ही पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा और कई तरह के अन्य मामलों में फंसाकर रख दिया है.

यह भी पढ़ें:उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में कब से शुरू होगी अग्निवीर भर्ती, जानिए

एडीजी ने इस दौरान सभी विवेचक और थाना प्रभारियों के साथ पुलिस के जिम्मेदार सभी अफसरों को इस बात के लिए सख्त हिदायत दी कि मामले को दर्ज करने और विवेचना करने में ढील न दी जाए. क्योंकि सुदूर ग्रामीण से आया पीड़ित परेशान होता है और कई अन्य समस्याओं से भी जुड़ जाता है. उसका घंटों समय बर्बाद होता है. वह किराया भाड़ा खर्च कर जनता दरबार में पहुंचता है. अंततः ऐसे मामलों के निस्तारण की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के स्तर से फिर पुलिस के पास ही लौटकर आती है. तो ऐसी नौबत न आए, कर्म की प्रधानता बनाइए. पीड़ितों को न्याय दिलाए और मुख्यमंत्री का भरोसा जीतने के साथ जनता का भी भरोसा जीते. यही गोरखपुर पुलिस का कर्तव्य होना चाहिए.

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गोरखपुर: गोरखपुर पुलिस ने आज पूरे प्रदेश में एक अनोखी पहल की शुरुआत की है. अब एक छत के नीचे पीड़ित, विवेचक और एडीजी की मौजूदगी में फरियादियों की समस्याओें का निराकरण होगा. एडीजी अखिल कुमार और एसएसपी गुलशन ग्रोवर ने आज जिले के एनएससी हॉल में दरबार लगाया. इसमें एक ही छत के नीचे फरियादी, विवेचक और पुलिस उच्चाधिकारियों की मौजूद थे. यह दरबार हर गुरुवार को लगाया जाएगा.

एडीजी अखिल कुमार जनता दरबार में सभी मामलों की समीक्षा की. जिसमें कई मामलों में तत्काल विवेचक को सत्यता के साथ विवेचना पूरी करने के निर्देश दिए. वहीं, कई अन्य मामलों में जिनमें मुकदमा दर्ज नहीं था. उनमें मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए. मुख्यमंत्री के जनता दरबार में लगातार शिकायतें बढ़ रही हैं. वह भी पुलिस उत्पीड़न, पुलिस की लापरवाही, मामले में f.i.r. दर्ज न होना, राजस्व से जुड़े मामलों में पुलिस का सहयोग न मिलना. जिस पर मुख्यमंत्री ने काफी नाराजगी जताई थी.

गोरखपुर में लगा फरियादी दरबार

इसी कारण से एडीजी ने ऐसे मामलों के निस्तारण के लिए इस अनूठे प्रयोग की शुरुआत की है. जो अब तब तक जारी रहेगा जब तक आंकड़े शून्य की स्थिति में नहीं पहुंच जाते हैं. दरबार में देखने को मिला कि एक पिता जिसके पुत्र की हत्या हुए करीब 3 माह बीत चुके हैं. लेकिन, उसमें पुलिस ने अभी कोई कार्रवाई नहीं की है. वहीं, पिछले 5 वर्षों से मारपीट के मामलों में पीड़ितों को न्याय नहीं मिला है. खास बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के एक पदाधिकारी भी यहां पहुंचे थे. जिनके घर पर गोलियां चलाई और हत्या कर दी थी. लेकिन हमलावर आज तक गिरफ्तार नहीं हुए है. जबकि उल्टे इन पीड़ितों को ही पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा और कई तरह के अन्य मामलों में फंसाकर रख दिया है.

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एडीजी ने इस दौरान सभी विवेचक और थाना प्रभारियों के साथ पुलिस के जिम्मेदार सभी अफसरों को इस बात के लिए सख्त हिदायत दी कि मामले को दर्ज करने और विवेचना करने में ढील न दी जाए. क्योंकि सुदूर ग्रामीण से आया पीड़ित परेशान होता है और कई अन्य समस्याओं से भी जुड़ जाता है. उसका घंटों समय बर्बाद होता है. वह किराया भाड़ा खर्च कर जनता दरबार में पहुंचता है. अंततः ऐसे मामलों के निस्तारण की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री के स्तर से फिर पुलिस के पास ही लौटकर आती है. तो ऐसी नौबत न आए, कर्म की प्रधानता बनाइए. पीड़ितों को न्याय दिलाए और मुख्यमंत्री का भरोसा जीतने के साथ जनता का भी भरोसा जीते. यही गोरखपुर पुलिस का कर्तव्य होना चाहिए.

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