फिरोजाबाद: जनपद की एक अदालत ने केंद्रीय कानून राज्यमंत्री एसपी सिंह बघेल को 8 साल पुराने एक मामले में बरी कर दिया है. साल 2014 में लोकसभा चुनाव के दौरान शाम को एक बवाल हुआ था जिसमें एसपी सिंह बघेल समेत कई लोगों को नामजद किया गया था. सुनवाई के दौरान अदाल में अभियोजन पक्ष साक्ष्य पेश नहीं कर सका और साक्ष्यों के अभाव में अदालत में केंद्रीय कानून मंत्री को बरी कर दिया.
गौरतलब है कि साल 2014 में लोकसभा का चुनाव हुआ था जिसमें भारतीय जनता पार्टी ने प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल को अपना प्रत्याशी बनाया था. समाजवादी पार्टी से प्रोफेसर रामगोपाल यादव के बेटे अक्षय यादव चुनाव मैदान में थे. मतदान वाले दिन शाम को एसपी सिंह बघेल और उनके समर्थकों ने सुभाष तिराहे पर धरना दिया था.
एसपी सिंह बघेल का आरोप था कि चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर धांधली हुई. इसी दौरान सुभाष तिराहे पर जमकर बवाल भी हुआ. इसमें एसपी सिंह बघेल समेत कई नेताओं को नामजद किया गया और कुछ अज्ञात थे. जांच पड़ताल के दौरान पुलिस ने एसपी सिंह बघेल समेत 60 लोगों के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की थी.
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मामले की सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट के जज जितेंद्र सिंह के यहां हुई. कई बार इसमें तारीख पड़ी. अभियोजन पक्ष की तरफ से गवाह भी पेश हुए लेकिन अभियोजन पक्ष कोई ऐसा साक्ष्य पेश नहीं कर सका जो एफआईआर के अनुरूप हो. एसपी सिंह बघेल के वकील राजेश कुलश्रेष्ठ ने बताया कि अभियोजन पक्ष न तो आगजनी का कोई साक्ष्य पेश कर सका और न ही डकैती का कोई सबूत. लिहाजा अदालत ने इसे राजनीतिक द्वेष के तहत दर्ज कराया हुआ मुकदमा मानकर प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल को इन सभी मामलों में बरी कर दिया है. वहीं, मंत्री एसपी सिंह बघेल का कहना है कि सपा सरकार में राजनीतिक द्वेषवश उनके खिलाफ केस दर्ज कराया था.
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