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चुनाव आने पर अमेठी वासियों को बरबस ही याद आए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी

कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले जनपद अमेठी में आज भी लोगों की पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को लेकर यादें ताजा हैं. जिसको लेकर ईटीवी भारत संवाददाता ने लोगों के बीच जाकर इस बात का कारण जानने की कोशिश की.

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Published : Apr 9, 2019, 6:24 AM IST

Updated : Apr 9, 2019, 6:37 AM IST

अमेठी में आज भी लोगों की पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को लेकर यादें ताजा हैं.

अमेठी: अमेठी और रायबरेली को यूं ही कांग्रेस का गढ़ नहीं कहा जाता. यहां बहुत से ऐसे विरले हैं, जो सारी जिंदगी उस पंजे पर ही अपनी आस्था व्यक्त करते रहे हैं, जिसे कांग्रेस पार्टी अपना चुनाव चिन्ह मानती है. यहां कांग्रेस का पर्याय गांधी परिवार हैं, जिसमें राजीव गांधी सब पर भारी नजर आते हैं और आज भी लोगों के जहन में जिंदा हैं.

अमेठी में आज भी लोगों की पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को लेकर यादें ताजा हैं.

इस बात को जानने के लिये ईटीवी भारत संवाददाता ने अमेठी संसदीय क्षेत्र के सलोन विधानसभा के बुजुर्ग मतदाता रघुबीर मौर्य से बातचीत की. राजीव गांधी के न रहने पर 90 साल के इस बुजुर्ग मतदाता ने अपने शब्दों में गुनगुना कर राजीव गांधी को याद किया.

हांलाकि देश में संचार क्रांति लाने वाला एक दूरदर्शी प्रधानमंत्री देने का श्रेय लोकसभा क्षेत्र अमेठी को भले ही न मिल पाया हो, पर अमेठी के लोग आज भी अपने उस अनमोल रत्न पर नाज करते हैं. वहीं लोग उनके असमय चले जाने का ही नतीजा अमेठी को विकास की दौड़ में पीछे रह जाने का कारण मानते हैं.

राजीव गांधी को गए हुए तीन दशक से ज्यादा का समय होने को है और भारतीय राजनीति में तब से लेकर अब तक कांग्रेस व भाजपा समेत कई दलों के प्रधानमंत्री सत्ता पर काबिज हो चुके हैं. लेकिन अमेठी को मलाल है कि राजीव के जाने के बाद सही मायनों में उसका हाल किसी ने जानने का प्रयास नहीं किया. राजीव के पुत्र और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भले ही पिछले तीन बार से लगातार अमेठी के सांसद रहे हों, पर स्थानीय लोगों में राहुल गांधी पिता राजीव जैसा प्रभाव डालने में कामयाब नहीं हो पाए हैं.

अमेठी: अमेठी और रायबरेली को यूं ही कांग्रेस का गढ़ नहीं कहा जाता. यहां बहुत से ऐसे विरले हैं, जो सारी जिंदगी उस पंजे पर ही अपनी आस्था व्यक्त करते रहे हैं, जिसे कांग्रेस पार्टी अपना चुनाव चिन्ह मानती है. यहां कांग्रेस का पर्याय गांधी परिवार हैं, जिसमें राजीव गांधी सब पर भारी नजर आते हैं और आज भी लोगों के जहन में जिंदा हैं.

अमेठी में आज भी लोगों की पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को लेकर यादें ताजा हैं.

इस बात को जानने के लिये ईटीवी भारत संवाददाता ने अमेठी संसदीय क्षेत्र के सलोन विधानसभा के बुजुर्ग मतदाता रघुबीर मौर्य से बातचीत की. राजीव गांधी के न रहने पर 90 साल के इस बुजुर्ग मतदाता ने अपने शब्दों में गुनगुना कर राजीव गांधी को याद किया.

हांलाकि देश में संचार क्रांति लाने वाला एक दूरदर्शी प्रधानमंत्री देने का श्रेय लोकसभा क्षेत्र अमेठी को भले ही न मिल पाया हो, पर अमेठी के लोग आज भी अपने उस अनमोल रत्न पर नाज करते हैं. वहीं लोग उनके असमय चले जाने का ही नतीजा अमेठी को विकास की दौड़ में पीछे रह जाने का कारण मानते हैं.

राजीव गांधी को गए हुए तीन दशक से ज्यादा का समय होने को है और भारतीय राजनीति में तब से लेकर अब तक कांग्रेस व भाजपा समेत कई दलों के प्रधानमंत्री सत्ता पर काबिज हो चुके हैं. लेकिन अमेठी को मलाल है कि राजीव के जाने के बाद सही मायनों में उसका हाल किसी ने जानने का प्रयास नहीं किया. राजीव के पुत्र और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भले ही पिछले तीन बार से लगातार अमेठी के सांसद रहे हों, पर स्थानीय लोगों में राहुल गांधी पिता राजीव जैसा प्रभाव डालने में कामयाब नहीं हो पाए हैं.

Intro:चुनाव आने पर अमेठी वासियों को बरबस ही याद आए पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी


90 वर्षीय रघुबीर मौर्य ने ETV से साझा किया अपना अनुभव!!


08 अप्रैल 2019 - रायबरेली

अमेठी और रायबरेली को ऐसे ही कांग्रेस का गढ़ नहीं करार दिया जाता।यहां बहुत से ऐसे विरले हैं जो जीवन पर्यंत उस पंजे पर ही अपनी आस्था व्यक्त करते रहे हैं जिसे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी अपना चुनाव चिन्ह मानती है।यहां कांग्रेस का पर्याय गांधी परिवार हैं। गांधी परिवार में सबसे ज्यादा लोकप्रियता की बात करें तो राजीव गांधी सब पर भारी नजर आते हैं।यही कारण है कि जब अमेठी में चुनाव के दिन आते हैं तो बरबस ही लोगों को राजीव गांधी याद आ जाते है।


ETV संवाददाता ने अमेठी संसदीय क्षेत्र के सलोन विधानसभा के बुज़ुर्ग मतदाता रघुबीर मौर्य से मुलाकात कर वो मर्म जानने का प्रयास किया जिसकी बदौलत राजीव गांधी अमेठी के लोगों की यादों में आज भी जिंदा है और उतने ही हर दिल अज़ीज है जितना किसी भी नेता के लिए वर्तमान राजनीतिक परिवेश में हासिल करना नामुमकिन सा लगता है।




Body:अमेठी में सियासत की पारी खेलने कई राजनीतिक दलों के महारथियों ने आकर हाथ आजमाएं,या यूं कहा जाएं कि अमेठी में कई आए और गए पर राजीव जैसी छवि आज तक किसी भी नेता की नही बन पाई।अमेठी संसदीय क्षेत्र से 4 बार सांसद के रूप में निर्वाचित हुए राजीव गांधी भले ही सबके लिए देश के प्रधानमंत्री रहे हो पर यहां तो हर किसी के लिए व्यक्तिगत कुशल क्षेम वाले मरहम के जनक वैध ही थे और वो मरहम आज के राजनेताओं के पास ढूढ़ने से भी नही मिलता।

देश में संचार क्रांति लाने वाला एक दूरदर्शी प्रधानमंत्री देने का श्रेय लोकसभा क्षेत्र अमेठी को भले ही न मिल पाया हो पर अमेठी के लोग आज भी अपने उस अनमोल रत्न पर नाज करते है। वही लोग उनके असमय चले जाने का ही नतीजा अमेठी को विकास की दौड़ में पीछे रह जाने का कारण मानते है।

क्या था उस व्यक्तित्व में सबसे ख़ास जिसकी कमी आज भी लोगों को अखरती है -

आकर्षक चेहरा और उससे भी ज्यादा आकर्षक व्यवहार के साथ सभी के साथ विनम्रता बर्ताव ही राजीव के लिए लोगों के मन मे अपार स्नेह पैदा करता था।अमेठी के विकास में राजीव द्वारा उठाएं गए कदम का ही नतीजा है कि उन्हें गए हुए करीब 27 से भी ज्यादा वर्ष हो गए हो पर आज भी उनसे जुड़ी सुनहरी यादें लोगों के जेहन में ताजा है।

रघुबीर मौर्य अपने शब्दों में कुछ इस तरह से राजीव गांधी से जुड़ी यादों को ETV से साझा करते है और गुनगुनाते है -

'राजीव भैया गए सुर धाम खेत अमेठी रोवत हो,
लट छट काय उनकी रानी रोएं और कुटुंब परिवरवा हो,
आंसू भरे उनके नेता जो रोएं गांव में रोए परधनवा हो,
56 जिला उत्तर प्रदेश की रोएं, रोवेएं देश विदेशवा हो,
पशु पंछी सब रोवन लागे वनमा में रोएं मोरवा हो।।'

राजीव को गए हुए तीन दशक से ज्यादा का समय होने को है और भारतीय राजनीति में तब से लेकर अब तक कांग्रेस व भाजपा समेत कई दलों के प्रधानमंत्री सत्ता पर काबिज हो चुके हैं साथ ही सूबे की राजनीति में भी कई अन्य पार्टियों का शासन रहा है पर अमेठी को मलाल है कि राजीव के जाने के बाद सही मायनों में उसका हाल किसी ने जानने का प्रयास नही किया। राजीव के पुत्र और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भले ही पिछले तीन बार से लगातार अमेठी के सांसद रहे हो पर स्थानीय लोगों में राहुल गांधी पिता राजीव जैसा प्रभाव डालने में कामयाब नहीं हो पाए हैं।

अमेठी में गांधी परिवार की लोकप्रियता किसी वर्ग विशेष में न रहकर धर्म व संप्रदाय समेत सभी बंधनों को पार करने में कामयाब होती है।बैकग्राउंड में इसका कारण भले ही लोगों का आत्मीय लगाओ हो व कई पीढ़ियों से चले आ रहे हैं कांग्रेस के प्रति वफ़ादारी का जुनून समय के साथ अपने क्षेत्र को अन्य जनपदों के मुकाबले पीछे रह जाने की कसक जो बदलाव की बयार को हवा देती है।हां,बदलाव तभी संभव होगा जब दिली लगाव पर हावी होने में कामयाब रहे,और तब तक तो निष्ठा गांधी परिवार से ही जुड़ी है।


बाइट : रघुबीर मौर्य - बुज़ुर्ग मतदाता अमेठी

प्रणव कुमार - 7000024034



Conclusion:
Last Updated : Apr 9, 2019, 6:37 AM IST
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