अमेठी: अमेठी और रायबरेली को यूं ही कांग्रेस का गढ़ नहीं कहा जाता. यहां बहुत से ऐसे विरले हैं, जो सारी जिंदगी उस पंजे पर ही अपनी आस्था व्यक्त करते रहे हैं, जिसे कांग्रेस पार्टी अपना चुनाव चिन्ह मानती है. यहां कांग्रेस का पर्याय गांधी परिवार हैं, जिसमें राजीव गांधी सब पर भारी नजर आते हैं और आज भी लोगों के जहन में जिंदा हैं.
इस बात को जानने के लिये ईटीवी भारत संवाददाता ने अमेठी संसदीय क्षेत्र के सलोन विधानसभा के बुजुर्ग मतदाता रघुबीर मौर्य से बातचीत की. राजीव गांधी के न रहने पर 90 साल के इस बुजुर्ग मतदाता ने अपने शब्दों में गुनगुना कर राजीव गांधी को याद किया.
हांलाकि देश में संचार क्रांति लाने वाला एक दूरदर्शी प्रधानमंत्री देने का श्रेय लोकसभा क्षेत्र अमेठी को भले ही न मिल पाया हो, पर अमेठी के लोग आज भी अपने उस अनमोल रत्न पर नाज करते हैं. वहीं लोग उनके असमय चले जाने का ही नतीजा अमेठी को विकास की दौड़ में पीछे रह जाने का कारण मानते हैं.
राजीव गांधी को गए हुए तीन दशक से ज्यादा का समय होने को है और भारतीय राजनीति में तब से लेकर अब तक कांग्रेस व भाजपा समेत कई दलों के प्रधानमंत्री सत्ता पर काबिज हो चुके हैं. लेकिन अमेठी को मलाल है कि राजीव के जाने के बाद सही मायनों में उसका हाल किसी ने जानने का प्रयास नहीं किया. राजीव के पुत्र और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भले ही पिछले तीन बार से लगातार अमेठी के सांसद रहे हों, पर स्थानीय लोगों में राहुल गांधी पिता राजीव जैसा प्रभाव डालने में कामयाब नहीं हो पाए हैं.