प्रयागराज : सीबीएसई बोर्ड ने अपने सिलेबस में कुछ बदलाव किया है. इसे लेकर अब सवाल खड़े होने लगे हैं. हाल ही बोर्ड ने अपने फैसले में दसवीं से बारहवीं तक के पाठ्यक्रम में संशोधन किया है. इसमें 11वीं और बारहवीं कक्षा में इस्लाम और मुगल काल से जुड़े कुछ पाठ हटाए गए हैं. साथ ही फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कविता की कुछ लाइनें जो दसवीं की साहित्य की किताब में थीं, उसे हटा दिया गया है.
इसे लेकर अब साहित्य जगत से जुड़े लोग सरकार के साथ ही सीबीएसई बोर्ड पर भी निशाना साध रहे है. वहीं, सीबीएसई बोर्ड से जुड़े स्कूल प्रबंधन का कहना है कि समय समय पर बोर्ड अपने पाठ्यक्रम में बदलाव करता रहता है. समय के साथ जो गैर जरूरी पाठ लगते हैं, उन्हें हटाकर नए पाठ बढ़ाए जाते हैं.
इस्लाम और मुगल से जुड़े पाठ बदलने पर भी खड़े हुए सवाल : सीबीएसई के दसवीं के साहित्य की किताब में पाकिस्तान के शायर फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कविता की कुछ पंक्तियां थीं जिन्हें संशोधित पाठ्यक्रम के तहत कोर्स से हटा दिया गया है. साथ ही 11वीं की किताब में इस्लाम धर्म से जुड़ा सेंट्रल इस्लामिक लैंड्स नामक पाठ हटाया गया है. 12वीं की पुस्तक से किंग्स एंड क्रॉनिकल्स नाम का पाठ कम किया गया है.
ग्यारहवीं की किताब से हटाए गए पाठ में मोहम्मद साहब के जिक्र से लेकर देश दुनिया में इस्लाम के प्रचार-प्रसार को लेकर जानकारी दी गयी थी जबकि बारहवीं की किताब से हटाए गए पाठ में मुग़ल काल से जुड़ी जानकारियां थीं जिन्हें कोर्स से हटाया गया है. हालांकि दसवीं-बारहवीं की कक्षा में जिन पाठों को हटाया गया है, उनकी जगह पर कुछ दूसरे पाठ जोड़े भी गए हैं.
साहित्यकार ने सरकार पर साधा निशाना : इस्लाम और मोहम्मद साहब से जुड़ी जानकारी व फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की कविता को हटाने को लेकर साहित्य जगत से जुड़े कवि यश मालवीय ने केंद्र सरकार के साथ ही सीबीएसई बोर्ड पर भी निशाना साधा है. उनका आरोप है कि इस तरह से एक धर्म और कवि से जुड़ी जानकारियां हटाकर सरकार ज्यादती कर रही है. इससे देश में नफरत फैलेगी और आने वाली पीढ़ी पूरे इतिहास को जानने से वंचित हो जाएगी. आने वाली पीढ़ी को सरकार बीते हुए इतिहास को बदलकर दिखाना और पढ़ाना चाहती है. कोर्स और पाठ्यक्रम में मनमानी करते हुए बदलाव और संशोधन कर रही है. इसका नतीजा आने वाली पीढ़ियों को भुगतना पड़ेगा.
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शिक्षकों ने बताया समय समय पर होने वाला परिवर्तन : शिक्षकों का कहना है कि समय-समय पर सीबीएसई बोर्ड अपने पाठ्यक्रम में बदलाव करता रहता है. इसके तहत गैर जरूरी पाठ और टॉपिक में संशोधन या उसे बदला जाता रहा है. इसी के तहत इस बार भी कुछ बदलाव हुए है. उनका कहना है कि कोरोना काल में हटाए गए कुछ पाठों को पुनः कोर्स में शामिल कर लिया गया है. इससे हटाये गए कोर्स की काफी हद तक कमी दूर हो जाएगी.
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