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काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद: इलाहाबाद हाईकोर्ट में 8 अप्रैल को होगी सुनवाई

इलाहाबाद हाईकोर्ट में काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद (Kashi Vishwanath Temple Gyanvapi Mosque Case) को लेकर सुनवाई अब 8 अप्रैल को होगी.

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Kashi Vishwanath Temple Gyanvapi Mosque Case
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Published : Apr 4, 2022, 8:27 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की सुनवाई सोमवार को हुई. अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी और कई अन्य याचिकाओं की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं. अपर सालिसिटर जनरल वरिष्ठ अधिवक्ता शशि प्रकाश सिंह ने कोर्ट को भारत सरकार के रोल की जानकारी दी और कहा सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है.

राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने भी सरकार का पक्ष स्पष्ट किया. याचिका पर मंदिर की तरफ से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने बहस की. उन्होंने कहा कि किसी धार्मिक भवन की प्रकृति का निर्धारण एक हिस्से से नहीं, बल्कि पूरी संपत्ति के साक्ष्य से तय किया जायेगा. एक हिस्से में बदलाव से पूरी संपत्ति की प्रकृति नहीं बदल सकती.

रस्तोगी ने कहा कि संपत्ति विवाद पर पूरा साक्ष्य आने के बाद ही उसके धार्मिक चरित्र का निर्धारण किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मस्जिद को वक्फ एक्ट के तहत वक्फ संपत्ति घोषित करने मात्र से वक्फ कानून उसपर लागू नहीं होगा. विवाद हिंदू मुस्लिम के बीच का है. मुस्लिम समुदाय के दो धड़ों के बीच विवाद नहीं है, इसलिए इस मामले में वक्फ कानून लागू नहीं होगा.
ये भी पढ़ें- Gorakhnath Temple Attack: गोरखनाथ मंदिर में सुरक्षाकर्मियों पर हमले का वीडियो वायरल

उन्होंने कहा कि केवल संपत्ति का ही विवाद नहीं है. करोड़ों हिंदुओं की आस्था और भावनाओं का राष्ट्रीय विवाद है. विवादित स्थान भगवान विश्वेश्वर नाथ मंदिर का है. यहां मुस्लिम समुदाय मस्जिद होने का विवाद खड़ा कर रहा है. रस्तोगी ने कहा कि राम अयोध्या जन्मभूमि मंदिर फैसले के बाद इस केस का महत्व बढ़ गया है. समय की कमी के कारण बहस पूरी नहीं हो सकी. अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट में विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद विवाद की सुनवाई सोमवार को हुई. अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी. अंजुमन इंतजामिया मस्जिद वाराणसी और कई अन्य याचिकाओं की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया कर रहे हैं. अपर सालिसिटर जनरल वरिष्ठ अधिवक्ता शशि प्रकाश सिंह ने कोर्ट को भारत सरकार के रोल की जानकारी दी और कहा सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है.

राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी ने भी सरकार का पक्ष स्पष्ट किया. याचिका पर मंदिर की तरफ से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने बहस की. उन्होंने कहा कि किसी धार्मिक भवन की प्रकृति का निर्धारण एक हिस्से से नहीं, बल्कि पूरी संपत्ति के साक्ष्य से तय किया जायेगा. एक हिस्से में बदलाव से पूरी संपत्ति की प्रकृति नहीं बदल सकती.

रस्तोगी ने कहा कि संपत्ति विवाद पर पूरा साक्ष्य आने के बाद ही उसके धार्मिक चरित्र का निर्धारण किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मस्जिद को वक्फ एक्ट के तहत वक्फ संपत्ति घोषित करने मात्र से वक्फ कानून उसपर लागू नहीं होगा. विवाद हिंदू मुस्लिम के बीच का है. मुस्लिम समुदाय के दो धड़ों के बीच विवाद नहीं है, इसलिए इस मामले में वक्फ कानून लागू नहीं होगा.
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उन्होंने कहा कि केवल संपत्ति का ही विवाद नहीं है. करोड़ों हिंदुओं की आस्था और भावनाओं का राष्ट्रीय विवाद है. विवादित स्थान भगवान विश्वेश्वर नाथ मंदिर का है. यहां मुस्लिम समुदाय मस्जिद होने का विवाद खड़ा कर रहा है. रस्तोगी ने कहा कि राम अयोध्या जन्मभूमि मंदिर फैसले के बाद इस केस का महत्व बढ़ गया है. समय की कमी के कारण बहस पूरी नहीं हो सकी. अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी.

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