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Gorakhpur : बांसगांव नगर पंचायत अध्यक्ष के अधिकार छीनने के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक

याची के खिलाफ वाहन खरीद में एक करोड़ तीस लाख 18450 रुपये के घोटाले का आरोप लगा. राज्य सरकार ने कमिश्नर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की जिसने 7 नवंबर 20 को प्रारंभिक रिपोर्ट दी.

बांसगांव नगर पंचायत अध्यक्ष के अधिकार छीनने के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक
बांसगांव नगर पंचायत अध्यक्ष के अधिकार छीनने के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक
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Published : Aug 5, 2021, 8:22 PM IST

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर, बांसगांव नगर पंचायत अध्यक्ष के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार छीनने के जिलाधिकारी के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है.

याचिका की अगली सुनवाई 2 सितंबर को होगी. कोर्ट ने यह आदेश जिलाधिकारी से जानकारी मांगने और उनके कोर्ट को आधी-अधूरी जानकारी भेजने के परिप्रेक्ष्य में दिया गया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर की खंडपीठ ने नगर पंचायत अध्यक्ष वेद प्रकाश शाही की याचिका पर दिया है.

यह भी पढ़ें : शादी का झूठा वादा कर यौन शोषण रेप की श्रेणी का अपराध : हाईकोर्ट

याची के खिलाफ वाहन खरीद में एक करोड़ तीस लाख 18450 रुपये के घोटाले का आरोप लगा. राज्य सरकार ने कमिश्नर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की जिसने 7 नवंबर 20 को प्रारंभिक रिपोर्ट दी.

याची का कहना था कि जांच के दौरान उसे न तो नोटिस दी गई और न ही उसे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया. 10 मार्च 20 को कारण बताओ नोटिस जारी कर अधिकार छीन लिए गए.

इस पर कोर्ट ने जिलाधिकारी से जानकारी मांगी. किन्तु मांगी गई जरूरी जानकारी नहीं कोर्ट को उपलब्ध नहीं कराई गई. इसके कारण कोर्ट ने याची को अंतरिम राहत देते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गोरखपुर, बांसगांव नगर पंचायत अध्यक्ष के वित्तीय व प्रशासनिक अधिकार छीनने के जिलाधिकारी के आदेश पर रोक लगा दी है. साथ ही राज्य सरकार से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है.

याचिका की अगली सुनवाई 2 सितंबर को होगी. कोर्ट ने यह आदेश जिलाधिकारी से जानकारी मांगने और उनके कोर्ट को आधी-अधूरी जानकारी भेजने के परिप्रेक्ष्य में दिया गया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति साधना रानी ठाकुर की खंडपीठ ने नगर पंचायत अध्यक्ष वेद प्रकाश शाही की याचिका पर दिया है.

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याची के खिलाफ वाहन खरीद में एक करोड़ तीस लाख 18450 रुपये के घोटाले का आरोप लगा. राज्य सरकार ने कमिश्नर की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की जिसने 7 नवंबर 20 को प्रारंभिक रिपोर्ट दी.

याची का कहना था कि जांच के दौरान उसे न तो नोटिस दी गई और न ही उसे अपना पक्ष रखने का अवसर दिया गया. 10 मार्च 20 को कारण बताओ नोटिस जारी कर अधिकार छीन लिए गए.

इस पर कोर्ट ने जिलाधिकारी से जानकारी मांगी. किन्तु मांगी गई जरूरी जानकारी नहीं कोर्ट को उपलब्ध नहीं कराई गई. इसके कारण कोर्ट ने याची को अंतरिम राहत देते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है.

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