प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि पुत्रवधू को सस्ते गल्ले की दुकान का मृतक आश्रित कोटे में लाइसेंस पाने का अधिकार है. कोर्ट ने कहा कि हालांकि पुत्रवधू 5 अगस्त 2019 के शासनादेश के तहत परिवार का हिस्सा नहीं है. किन्तु सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पावर कारपोरेशन बनाम उर्मिला देवी केस में पुत्रवधू को परिवार से बाहर रखने को असंवैधानिक करार दिया है.
कोर्ट ने उप जिलाधिकारी भिनगा, श्रावस्ती को याची को आश्रित कोटे में सस्ते गल्ले की दुकान आवंटन पर 6 हफ्ते में निर्णय लेने का आदेश दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति मनीष माथुर ने शर्मा देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है.
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याची के ससुर श्याम लाल के नाम पर दुकान का लाइसेंस था. उनकी 27 नवंबर 2021 को मौत हो गई. याची ने आश्रित कोटे में दुकान का लाइसेंस आवंटित करने की अर्जी दी. प्रशासन ने यह कहते हुए अर्जी खारिज कर दी कि पुत्रवधू परिवार में शामिल नहीं है, जिसे चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने एसडीएम के आदेश को रद्द करते हुए पुष्पा देवी केस के फैसले के आलोक में निर्णय लेने का निर्देश दिया.
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