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इलाहाबाद हाईकोर्ट से बाहुबली उमाकांत यादव को मिली राहत, उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर लगाई रोक

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली पूर्व सांसद उमाकांत यादव को बड़ी राहत दी है. अदालत ने जौनपुर के लाइन बाजार थाने में उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर के तहत उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट से बाहुबली उमाकांत यादव को राहत
इलाहाबाद हाईकोर्ट से बाहुबली उमाकांत यादव को राहत
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Published : Dec 17, 2021, 10:08 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली पूर्व सांसद उमाकांत यादव के खिलाफ जौनपुर के लाइन बाजार थाने में दर्ज एफआईआर के तहत उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. शिकायतकर्ता संजीव कुमार जायसवाल को नोटिस जारी कर, उनसे और राज्य सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है.

कोर्ट ने कहा कि जिस मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई है. उसी मामले में हाईकोर्ट में याचिका विचाराधीन है. ऐसे में आपराधिक कार्रवाई नहीं चलाने के तर्क विचारणीय है. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने उमाकांत यादव की याचिका पर दिया.

ये भी पढ़े- UP Election 2022: वाराणसी के बाद PM मोदी का यूपी में ताबड़तोड़ दौरा, दस दिन में 4 बार आएंगे उत्तर प्रदेश

याची उमाकांत यादव का कहना है कि 1975 में जमीन का बैनामा कराया था. 1994 में चकबंदी अधिकारी ने याची का नाम अभिलेख में दर्ज कर दिया. किसी ने आपत्ति नहीं की. 2016 में विपक्षी संजीव कुमार जायसवाल ने आपत्ति की और जिलाधिकारी के समक्ष पुनरीक्षण अर्जी दाखिल की. इसमें याची के खिलाफ आदेश जारी किया गया.

इस आदेश को याचिका में चुनौती दी गई थी, जो विचाराधीन है. इसी मामले को लेकर एफआईआर दर्ज कराई गई है. याची का कहना है कि सिविल वाद लंबित रहते, आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती है.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बाहुबली पूर्व सांसद उमाकांत यादव के खिलाफ जौनपुर के लाइन बाजार थाने में दर्ज एफआईआर के तहत उत्पीड़नात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है. शिकायतकर्ता संजीव कुमार जायसवाल को नोटिस जारी कर, उनसे और राज्य सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है.

कोर्ट ने कहा कि जिस मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई है. उसी मामले में हाईकोर्ट में याचिका विचाराधीन है. ऐसे में आपराधिक कार्रवाई नहीं चलाने के तर्क विचारणीय है. यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने उमाकांत यादव की याचिका पर दिया.

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याची उमाकांत यादव का कहना है कि 1975 में जमीन का बैनामा कराया था. 1994 में चकबंदी अधिकारी ने याची का नाम अभिलेख में दर्ज कर दिया. किसी ने आपत्ति नहीं की. 2016 में विपक्षी संजीव कुमार जायसवाल ने आपत्ति की और जिलाधिकारी के समक्ष पुनरीक्षण अर्जी दाखिल की. इसमें याची के खिलाफ आदेश जारी किया गया.

इस आदेश को याचिका में चुनौती दी गई थी, जो विचाराधीन है. इसी मामले को लेकर एफआईआर दर्ज कराई गई है. याची का कहना है कि सिविल वाद लंबित रहते, आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती है.

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