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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने निदेशक कृषि और सचिव अधीनस्थ सेवा चयन आयोग को दिया अवमानना नोटिस - यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को निदेशक कृषि और सचिव अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (Uttar Pradesh Subordinate Services Selection Commission) को अवमानना नोटिस दिया. एक माह में आदेश का पालन न करने की दशा में हाजिर होने का निर्देश दिया.

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Published : Mar 23, 2022, 5:25 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवेक कुमार निदेशक कृषि निदेशालय उत्तर प्रदेश और आशुतोष मोहन अग्निहोत्री सचिव यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग लखनऊ को अवमानना नोटिस जारी की है. अदालत ने एक माह में आदेश का पालन न करने की दशा में हाजिर होने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि यह दूसरी अवमानना याचिका है. इससे पहले भी कोर्ट ने आदेश पालन करने का समय दिया था, लेकिन अनुपालन नहीं किया गया. कोर्ट ने कहा प्रथमदृष्टया अवमानना का केस बनता है. इसलिए आदेश का पालन कर एक माह में हलफनामा दाखिल करें अन्यथा हाजिर हों.

यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने वर्षा सैनी वह छह अन्य लोगों की अवमानना याचिका पर दिया. याचिका पर वरिष्ठअधिवक्ता एएन त्रिपाठी, एके मिश्र और राघवेन्द्र प्रसाद मिश्र ने बहस की. इनका कहना था कि याची आयोग की भर्ती में याचीगण कनिष्ठ अभियंता कृषि पद पर चयनित किए गए. लेकिन उन्हें यह कहते हुए नियुक्ति से बाहर कर दिया गया कि महिला आरक्षण कोटे में यूपी का निवासी होना चाहिए. याचीगण उत्तराखंड और बिहार के रहने वाले हैं. इनकी नियुक्ति आरक्षण कोटे में नहीं की जा सकती है.

ये भी पढ़ें- यूपी में गिरा कोरोना संक्रमण का ग्राफ, 23 जिलों में मरीज नहीं

इसे चुनौती दी गई. अधिवक्ता का कहना था कि अनुच्छेद 16(3) के तहत आरक्षण कानून बनाने का अधिकार संसद को है. राज्य इस संबंध में कानून नहीं बना सकते. महिला आरक्षण में प्रदेश का निवासी की शर्त नहीं लगाई जा सकती. याची चयनित हुए हैं, उन्हें नियुक्ति पाने का अधिकार है. निवास के आधार पर विभेद नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली और याचियों की नियुक्ति का निर्देश दिया था. इसका पालन नहीं करने पर यह अवमानना याचिका दायर की गई.

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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवेक कुमार निदेशक कृषि निदेशालय उत्तर प्रदेश और आशुतोष मोहन अग्निहोत्री सचिव यूपी अधीनस्थ सेवा चयन आयोग लखनऊ को अवमानना नोटिस जारी की है. अदालत ने एक माह में आदेश का पालन न करने की दशा में हाजिर होने का निर्देश दिया. अदालत ने कहा कि यह दूसरी अवमानना याचिका है. इससे पहले भी कोर्ट ने आदेश पालन करने का समय दिया था, लेकिन अनुपालन नहीं किया गया. कोर्ट ने कहा प्रथमदृष्टया अवमानना का केस बनता है. इसलिए आदेश का पालन कर एक माह में हलफनामा दाखिल करें अन्यथा हाजिर हों.

यह आदेश न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल ने वर्षा सैनी वह छह अन्य लोगों की अवमानना याचिका पर दिया. याचिका पर वरिष्ठअधिवक्ता एएन त्रिपाठी, एके मिश्र और राघवेन्द्र प्रसाद मिश्र ने बहस की. इनका कहना था कि याची आयोग की भर्ती में याचीगण कनिष्ठ अभियंता कृषि पद पर चयनित किए गए. लेकिन उन्हें यह कहते हुए नियुक्ति से बाहर कर दिया गया कि महिला आरक्षण कोटे में यूपी का निवासी होना चाहिए. याचीगण उत्तराखंड और बिहार के रहने वाले हैं. इनकी नियुक्ति आरक्षण कोटे में नहीं की जा सकती है.

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इसे चुनौती दी गई. अधिवक्ता का कहना था कि अनुच्छेद 16(3) के तहत आरक्षण कानून बनाने का अधिकार संसद को है. राज्य इस संबंध में कानून नहीं बना सकते. महिला आरक्षण में प्रदेश का निवासी की शर्त नहीं लगाई जा सकती. याची चयनित हुए हैं, उन्हें नियुक्ति पाने का अधिकार है. निवास के आधार पर विभेद नहीं किया जा सकता. हाईकोर्ट ने याचिका मंजूर कर ली और याचियों की नियुक्ति का निर्देश दिया था. इसका पालन नहीं करने पर यह अवमानना याचिका दायर की गई.

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